तू तो परमेश्वर है! यहोवा, बस तू ही परमेश्वर है! आकाश को तूने बनाया है! सर्वोच्च आकाशों की रचना की तूने, और जो कुछ है उनमें सब तेरा बनाया है! धरती की रचना की तूने ही, और जो कुछ धरती पर है! सागर को, और जो कुछ है सागर में! तूने बनाया है हर किसी वस्तु को जीवन तू देता है! सितारे सारे आकाश के, झुकते हैं सामने तेरे और उपासना करते हैं तेरी!
यहोवा का मन्दिर पर्वत पर है। भविष्य में, उस पर्वत को अन्य सभी पर्वतों में सबसे ऊँचा बनाया जायेगा। उस पर्वत को सभी पहाड़ियों से ऊँचा बनाया जायेगा। सभी देशों के लोग वहाँ जाया करेंगे।
यह सन्देश यहोवा का है: “समय आ रहा है जब मैं दाऊद के कुल में एक सच्चा ‘अंकुर’ उगाऊँगा। वह ऐसा राजा होगा जो बुद्धिमत्ता से शासन करेगा और वह वही करेगा जो देश में उचित और न्यायपूर्ण होगा।
“चौथे राज्य के उन राज्यों के समय में ही स्वर्ग का परमेश्वर एक दूसरे राज्य की स्थापना कर देगा। इस राज्य का कभी अंत नहीं होगा और यह सदा—सदा बना रहेगा! यह एक ऐसा राज्य होगा जो कभी किसी दूसरे समूह के लोगों के हाथ में नहीं जायेगा। यह राज्य उन दूसरे राज्य को कुचल देगा। यह उन राज्यों का विनाश कर देगा। किन्तु वह राज्य अपने आप सदा—सदा बना रहेगा।
इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।
“रात को मैंने अपने दिव्य स्वप्न में देखा कि मेरे सामने कोई खड़ा है, जो मनुष्य जैसा दिखाई देता था। वह आकाश में बादलों पर आ रहा था। वह उस सनातन राजा के पास आया था। सो उसे उसके सामने ले आया गया।
फिर परमेश्वर के पवित्र लोग उस राज्य का शासन चलायेंगे। धरती के सभी राज्यों के सभी लोगों पर उनका शासन होगा। यह राज्य सदा सदा अटल रहेगा, और अन्य सभी राज्यों के लोग उन्हें आदर देंगे और उनकी सेवा करेंगे।’
सिय्योन, आनन्दित हो! यरूशलेम के लोगों आनन्दघोष करो! देखो तुम्हारा राजा तम्हारे पास आ रहा है! वह विजय पानेवाला एक अच्छा राजा है। किन्तु वह विनम्र है। वह गधे के बच्चे पर सवार है, एक गधे के बच्चे पर सवार है।
“प्रभु-प्रभु कहने वाला हर व्यक्ति स्वर्ग के राज्य में नहीं जा पायेगा बल्कि वह जो स्वर्ग में स्थित मेरे परम पिता की इच्छा पर चलता है, वही उसमें प्रवेश पायेगा।
वे जब इन बातों को सुन रहे थे तो यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त-कथा सुनाई क्योंकि यीशु यरूशलेम के निकट था और वे सोचते थे कि परमेश्वर का राज्य तुरंत ही प्रकट होने जा रहा है।
फिर शाऊल को हटा कर उसने उनका राजा दाऊद को बनाया जिसके विषय में उसने यह साक्षी दी थी, ‘मैंने यिशे के बेटे दाऊद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पाया है, जो मेरे मन के अनुकूल है। जो कुछ मैं उससे कराना चाहता हूँ, वह उस सब कुछ को करेगा।’
अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।
केवल किसी के देखते रहते ही काम मत करो जैसे तुम्हें लोगों के समर्थन की आवश्यकता हो। बल्कि मसीह के सेवक के रूप में काम करो जो अपना मन लगाकर परमेश्वर की इच्छा पूरी करते हैं।
इसलिए जिस दिन से हमने इसके बारे में सुना है, हमने भी तुम्हारे लिये प्रार्थना करना और यह विनती करना नहीं छोड़ा है: प्रभु का ज्ञान सब प्रकार की समझ-बूझ जो आत्मा देता, तुम्हे प्राप्त हो। और तुम बुद्धि भी प्राप्त करो,
तुम्हें सभी उत्तम साधनों से सम्पन्न करे। जिससे तुम उसकी इच्छा पूरी कर सको। और यीशु मसीह के द्वारा वह हमारे भीतर उस सब कुछ को सक्रिय करे जो उसे भाता है। युग-युगान्तर तक उसकी महिमा होती रहे। आमीन!
सातवें स्वर्गदूत ने जब अपनी तुरही फूँकी तो आकाश में तेज आवाज़ें होने लगीं। वे कह रही थीं: “अब जगत का राज्य हमारे प्रभु का है, और उसके मसीह का ही। अब वह सुशासन युगयुगों तक करेगा।”
फिर मैंने ऊँचे स्वर में एक आकाशवाणी को कहते सुना: “यह हमारे परमेश्वर के विजय की घड़ी है। उसने अपनी शक्ति और संप्रभुता का बोध करा दिया है। उसके मसीह ने अपनी शक्ति को प्रकट कर दिया है क्योंकि हमारे बन्धुओं पर परमेश्वर के सामने दिन-रात लांछन लगाने वाले को नीचे धकेल दिया गया है।
फिर मैंने एक बड़े जनसमुद्र का सा शब्द सुना जो एक विशाल जलप्रवाह और मेघों के शक्तिशाली गर्जन-तर्जन जैसा था। लोग गा रहे थे: “हल्लिलूय्याह! उसकी जय हो, क्योंकि हमारा प्रभु परमेश्वर! सर्वशक्ति सम्पन्न राज्य कर रहा है।
फिर मैंने कुछ सिंहासन देखे जिन पर कुछ लोग बैठे थे। उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया था। और मैंने उन लोगों की आत्माओं को देखा जिनके सिर, उस सत्य के कारण, जो यीशु द्वारा प्रमाणित है, और परमेश्वर के संदेश के कारण काटे गए थे, जिन्होंने उस पशु या उसकी प्रतिमा की कभी उपासना नहीं की थी। तथा जिन्होंने अपने माथों पर या अपने हाथों पर उसका संकेत चिन्ह धारण नहीं किया था। वे फिर से जीवित हो उठे और उन्होंने मसीह के साथ एक हज़ार वर्ष तक राज्य किया।