35 यह राज्य तुम्हारा है क्योंकि मैं भूखा था और तुमने मुझे कुछ खाने को दिया, मैं प्यासा था और तुमने मुझे कुछ पीने को दिया। मैं पास से जाता हुआ कोई अनजाना था, और तुम मुझे भीतर ले गये।
वह भला पुत्र लोगों से अनुचित लाभ नहीं उठाता। यदि कोई व्यक्ति उससे ऋ ण लेता है तब भला पुत्र चीज गिरवी रखता है और उस व्यक्ति को मुद्रा दे देता है और जब वह व्यक्ति वापस भुगतान करता है तो भला व्यक्ति गिरवी चीज़ वापस कर देता है। भला व्यक्ति भूखों को भोजन देता है और वह उन लोगों को वस्त्र देता है जिन्हें उसकी आवश्यकता है।
वह भला व्यक्ति लोगों से अनुचित लाभ नहीं उठाता। यदि कोई व्यक्ति उससे मुद्रा ऋण लेता है तो वह भला व्यक्ति गिरवी रखकर दूसरे व्यक्ति को मुद्रा देता है और जब वह व्यक्ति उसे भुगतान कर देता है तो भला व्यक्ति उसे गिरवी वस्तु वापिस कर देता है। भला व्यक्ति भूखे लोगों को भोजन देता है और वह उन लोगों को वस्त्र देता है जिन्हें उनकी आवश्यकता है।
परम पिता परमेश्वर के सामने सच्ची और शुद्ध भक्ति वही है जिसमें अनाथों और विधवाओं की उनके दुःख दर्द में सुधि ली जाए और स्वयं को कोई सांसारिक कलंक न लगने दिया जाए।
तथा जो बाल बच्चों को पालते हुए, अतिथि सत्कार करते हुए, पवित्र लोगों के पांव धोते हुए दुखियों की सहायता करते हुए, अच्छे कामों के प्रति समर्पित होकर सब तरह के उत्तम कार्यों के लिए जानी-मानी जाती हो।
जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।
अपने समूचे परिवार समेत बपतिस्मा लेने के बाद उसने हमसे यह कहते हुए विनती की, “यदि तुम मुझे प्रभु की सच्ची भक्त मानते हो तो आओ और मेरे घर ठहरो।” सो उसने हमें जाने के लिए तैयार कर लिया।
विश्वासियों का यह समूचा दल एक मन और एक तन था। कोई भी यह नहीं कहता था कि उसकी कोई भी वस्तु उसकी अपनी है। उनके पास जो कुछ होता, उस सब कुछ को वे बाँट लेते थे।
कुछ ने सोचा कि रुपयों की थैली यहूदा के पास रहती है इसलिए यीशु उससे कह रहा है कि पर्व के लिये आवश्यक सामग्री मोल ले आओ या कह रहा है कि गरीबों को वह कुछ दे दे।
“फिर राजा उत्तर में उनसे कहेगा, ‘मैं तुमसे सत्य कह रहा हूँ जब कभी तुमने मेरे भोले-भाले भाईयों में से किसी एक के लिए भी कुछ किया तो वह तुमने मेरे ही लिये किया।’
हे मनुष्य, यहोवा ने तुझे वह बातें बतायीं हैं जो उत्तम हैं। ये वे बातें हैं, जिनकी यहोवा को तुझ से अपेक्षा है। ये वे बातें हैं—तू दुसरे लोगों के साथ में सच्चा रह; तू दूसरों से दया के साथ प्रेम कर, और अपने जीवन नम्रता से परमेश्वर के प्रति बिना उपहारों से तुम उसे प्रभावित करने का जतन मत करो।
इसलिये हे राजन, आप कृपा करके मेरी सलाह मानें। मैं आपको यह सलाह देता हूँ कि आप पाप करना छोड़ दें और जो उचित है, वही करें। कुकर्मो का त्याग कर दें। गरीबों पर दयालु हों। तभी आप सफल बने रह सकेंगे।”