24 “फिर वह जिसे चाँदी की एक थैली मिली थी, अपने स्वामी के पास आया और बोला, ‘स्वामी, मैं जानता हूँ तू बहुत कठोर व्यक्ति है। तू वहाँ काटता हैं जहाँ तूने बोया नहीं है, और जहाँ तूने कोई बीज नहीं डाला वहाँ फसल बटोरता है।
24 अन्त में वह आया, जिसे एक सिक्का मिला था। उसने कहा, ‘स्वामी! मुझे मालूम था कि आप कठोर व्यक्ति हैं। आपने जहाँ नहीं बोया, वहाँ काटते हैं और जहाँ नहीं बिखेरा, वहाँ बटोरते हैं।
24 “तब जिसको एक तोड़ा मिला था, उसने आकर कहा, ‘हे स्वामी, मैं तुझे जानता था कि तू कठोर मनुष्य है : तू जहाँ कहीं नहीं बोता वहाँ काटता है, और जहाँ नहीं छींटता वहाँ से बटोरता है।
24 जिसे एक तोड़ा मिला था उसने भी आकर कहा, ‘स्वामी, मैं तुझे जानता था कि तू कठोर मनुष्य है; तू जहाँ नहीं बोता वहाँ से काटता है और जहाँ नहीं बिखेरता वहाँ से बटोरता है।
24 “तब वह सेवक भी उपस्थित हुआ, जिसे एक तालन्त दिया गया था. उसने स्वामी से कहा, ‘महोदय, मैं जानता था कि आप एक कठोर व्यक्ति हैं. आप वहां से फसल काटते हैं, जहां आपने बोया ही नहीं तथा वहां से फसल इकट्ठा करते हैं, जहां आपने बीज डाला ही नहीं.
अब वे लोग कहते हैं, “तेरे प्रति आदर दिखाने के लिये हम भोजन करना बन्द कर देते हैं। तू हमारी ओर देखता क्यों नहीं तेरे प्रति आदर व्यक्त करने के लिये हम अपनी देह को क्षति पहुँचाते हैं। तू हमारी ओर ध्यान क्यों नहीं देता” किन्तु यहोवा कहता है, “उपवास के उन दिनों में उपवास रखते हुए तुम्हें आनन्द आता है किन्तु उन्हीं दिनों तुम अपने दासों का खून चूसते हो।
इस पीढ़ी के लोगों, यहोवा के सन्देश पर ध्यान दो: “क्या मैं इस्राएल के लोगों के लिये मरुभूमि सा बन गया? क्या मैं उनके लिये अंधेरे और भयावने देश सा बन गया? मेरे लोग कहते है, ‘हम अपनी राह जाने को स्वतन्त्र हैं, यहोवा, हम फिर तेरे पास नहीं लौटेंगे!’ वे उन बातों को क्यों कहते हैं?
उन्होंने कहा, ‘जो बाद में लगे थे, उन्होंने बस एक घंटा काम किया और तूने हमें भी उतना ही दिया जितना उन्हें। जबकि हमने सारे दिन चमचमाती धूप में मेहनत की।’
“उत्तर में उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘तू एक बुरा और आलसी दास है, तू जानता है कि मैं बिन बोये काटता हूँ और जहाँ मैंने बीज नहीं बोये, वहाँ से फसल बटोरता हूँ
“प्रभु-प्रभु कहने वाला हर व्यक्ति स्वर्ग के राज्य में नहीं जा पायेगा बल्कि वह जो स्वर्ग में स्थित मेरे परम पिता की इच्छा पर चलता है, वही उसमें प्रवेश पायेगा।
पर उसने पिता को उत्तर दिया, ‘देख मैं बरसों से तेरी सेवा करता आ रहा हूँ। मैंने तेरी किसी भी आज्ञा का विरोध नहीं किया, पर तूने मुझे तो कभी एक बकरी तक नहीं दी कि मैं अपने मित्रों के साथ कोई आनन्द मना सकता।