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मत्ती 21:46 - पवित्र बाइबल

46 सो उन्होंने उसे पकड़ने का जतन किया किन्तु वे लोगों से डरते थे क्योंकि लोग यीशु को नबी मानते थे।

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Hindi Holy Bible

46 और उन्हों ने उसे पकड़ना चाहा, परन्तु लोगों से डर गए क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता जानते थे॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

46 वे उन्‍हें गिरफ्‍तार करना चाहते थे, किन्‍तु वे जनता से डरते थे; क्‍योंकि वह येशु को नबी मानती थी।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

46 और उन्होंने उसे पकड़ना चाहा, परन्तु लोगों से डर गए क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्‍ता मानते थे।

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नवीन हिंदी बाइबल

46 उन्होंने उसे पकड़ना चाहा, पर भीड़ से डर गए, क्योंकि लोग उसे भविष्यवक्‍ता मानते थे।

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सरल हिन्दी बाइबल

46 इसलिये उन्होंने येशु को पकड़ने की कोशिश तो की, किंतु उन्हें भीड़ का भय था, क्योंकि लोग येशु को भविष्यवक्ता मानते थे.

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मत्ती 21:46
15 क्रॉस रेफरेंस  

लोग ही जवाब दे रहे थे, “यह गलील के नासरत का नबी यीशु है।”


किन्तु यदि हम कहते हैं ‘मनुष्य से’ तो हमें लोगों का डर है क्योंकि वे यूहन्ना को एक नबी मानते हैं।”


“हे इस्राएल के लोगों, इन वचनों को सुनो: नासरी यीशु एक ऐसा पुरुष था जिसे परमेश्वर ने तुम्हारे सामने अद्भुत कर्मों, आश्चर्यों और चिन्हों समेत जिन्हें परमेश्वर ने उसके द्वारा किया था तुम्हारे बीच प्रकट किया। जैसा कि तुम स्वयं जानते ही हो।


यह जगत तुमसे घृणा नहीं कर सकता पर मुझसे घृणा करता है। क्योंकि मैं यह कहता रहता हूँ कि इसकी करनी बुरी है।


उस फ़रीसी ने जिसने यीशु को अपने घर बुलाया था, यह देखकर मन ही मन सोचा, “यदि यह मनुष्य नबी होता तो जान जाता कि उसे छूने वाली यह स्त्री कौन है और कैसी है? वह जान जाता कि यह तो पापिन है।”


और फिर वे सभी श्रद्धा और विस्मय से भर उठे। और यह कहते हुए परमेश्वर की महिमा करने लगे कि “हमारे बीच एक महान नबी प्रकट हुआ है।” और कहने लगे, “परमेश्वर अपने लोगों की सहायता के लिये आ गया है।”


परमेशवर कहता है, “अरीएल को देखो! अरीएल वह स्थान हैं जहाँ दाऊद ने छावनी डाली थी। वर्ष दो वर्ष साथ उत्सवों के पूरे चक्र तक गुजर जाने दो।


उपहास करने वाला सुधार नहीं अपनाता है। वह विवेकी से परामर्श नहीं लेता।


जब प्रमुख याजकों और फरीसियों ने यीशु की दृष्टान्त कथाएँ सुनीं तो वे ताड़ गये कि वह उन्हीं के बारे में कह रहा था।


एक बार फिर यीशु उनसे दृष्टान्त कथाएँ कहने लगा। वह बोला,


जब प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों ने यह सुना तो वे उसे मारने का कोई रास्ता ढूँढने लगे। क्योंकि भीड़ के सभी लोग उसके उपदेश से चकित थे। इसलिए वे उससे डरते थे।


फिर वे उसे बंदी बनाने का जतन करने लगे पर कोई भी उस पर हाथ नहीं डाल सका क्योंकि उसका समय अभी नहीं आया था।


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