17 उत्तर में यीशु ने कहा, “अरे भटके हुए अविश्वासी लोगों, मैं कितने समय तुम्हारे साथ और रहूँगा? कितने समय मैं यूँ ही तुम्हारे साथ रहूँगा? उसे यहाँ मेरे पास लाओ।”
यहोवा ने मूसा से कहा, “ये लोग इस प्रकार मुझसे कब तक घृणा करते रहेंगे? वे प्रकट कर रहे हैं कि वे मुझ पर बिश्वास नहीं करते। वे दिखाते हैं कि उन्हें मेरी शक्ति पर बिश्वास नहीं। वे मुझ पर बिश्वास करने से तब भी इन्कार करते हैं जबकि मैंने उन्हें बहुत से शक्तिशाली चिन्ह दिखाये हैं। मैंने उनके बीच अनेक बड़ी चीजें की हैं।
इसलिये जब जंगली पौधों को जो आज जीवित हैं पर जिन्हें कल ही भाड़ में झोंक दिया जाना है, परमेश्वर ऐसे वस्त्र पहनाता है तो अरे ओ कम विश्वास रखने वालों, क्या वह तुम्हें और अधिक वस्त्र नहीं पहनायेगा?
बाद में, जब उसके ग्यारहों शिष्य भोजन कर रहे थे, वह उनके सामने प्रकट हुआ और उसने उन्हें उनके अविश्वास और मन की जड़ता के लिए डाँटा फटकारा क्योंकि इन्होंने उनका विश्वास ही नहीं किया था जिन्होंने जी उठने के बाद उसे देखा था।
इसलिए मूसा और हारून फ़िरौन के पास गए। उन्होंने उससे कहा, “हिब्रू लोगों का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘तुम मेरे आदेशों का पालन करने से कब तक इन्कार करोगे? मेरे लोगों को मेरी उपासना करने के लिए जाने दो!
तब यीशु ने उत्तर दिया, “अरे अविश्वासियों और भटकाये गये लोगों, मैं और कितने दिन तुम्हारे साथ रहूँगा और कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? अपने बेटे को यहाँ ले आ।”
यहोवा ने मुखियाओं को उलझन में डाल दिया है। वे भटक गये हैं और मिस्र को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं। वे नशे में धुत ऐसे लोगों के समान हैं जो बीमारी के कारण धरती में लोट रहे हैं।