तब शीबा की रानी ने राजा को लगभग नौ हजार पौंड सोना दिया। उसने उसे अनेक मसाले और रत्न भी दिये। जितनी मात्रा में शीबा की रानी ने राजा सुलैमान को मसाले उपहार में दिये, उतनी मात्रा में मसाले फिर कभी इस्राएल देश में नहीं आए। शीबा की रानी ने उससे अधिक मसाले सुलैमान को दिये जितने पहले कभी किसी ने इस्राएल को लाकर दिये थे।
शीबा की रानी ने सुलैमान का यश सुना। वह यरूशलेम में कठिन प्रश्नों से सुलैमान की परीक्षा लेने आई। शीबा की रानी अपने साथ एक बड़ा समूह लेकर आई थी। उसके पास ऊँट थे जिन पर मसाले, बहुत अधिक सोना और बहुमूल्य रत्न लदे थे। वह सुलैमान के पास आई और उसने सुलैमान से बातें कीं। उसे सुलैमान से अनेक प्रश्न पूछने थे।
मिद्यान और एपा देशों के ऊँटों के झुण्ड तेरी धरती को ढक लेंगे। शिबा के देश से ऊँटों की लम्बी पंक्तियाँ तेरे यहाँ आयेंगी। वे सोना और सुगन्ध लायेंगे। लोग यहोवा के प्रशंसा के गीत गायेंगे।
वे घर के भीतर गये और उन्होंने उसकी माता मरियम के साथ बालक के दर्शन किये। उन्होंने साष्टांग प्रणाम करके उसकी उपासना की। फिर उन्होंने बहुमूल्य वस्तुओं की अपनी पिटारी खोली और सोना, लोबान और गन्धरस के उपहार उसे अर्पित किये।
जो लोग उनके आगे चल रहे थे और जो लोग उनके पीछे चल रहे थे सब पुकार कर कह रहे थे: “होशन्ना! धन्य है दाऊद का वह पुत्र! ‘जो आ रहा है प्रभु के नाम पर धन्य है।’ प्रभु जो स्वर्ग में विराजा।”
उसी जीवन का ज्ञान हमें कराया गया। हमने उसे देखा। हम उसके साक्षी हैं और अब हम तुम लोगों को उसी अनन्त जीवन की उद्घोषणा कर रहे हैं जो पिता के साथ था और हमें जिसका बोध कराया गया।
हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमारे उद्धारकर्ता उस एकमात्र परमेश्वर की महिमा, वैभव, पराक्रम और अधिकार सदा-सदा से अब तक और युग-युगांतर तक बना रहें। आमीन!