किन्तु वहाँ यहोवा का एक नबी था। इस नबी का नाम ओदेद था। ओदेद इस्राएल की इस सेना से मिला जो शोमरोन लौट आई। ओदेद ने इस्राएल की सेना से कहा, “यहोवा, परमेश्वर ने जिसकी आज्ञा तुम्हारे पूर्वजों ने मानी, तुम्हें यहूदा के लोगों को हराने दिया क्योंकि वह उन पर क्रोधित था। तुम लोगों ने यहूदा के लोगों को बहुत नीच ढंग से मारा और दण्डित किया। अब परमेश्वर तुम पर क्रोधित है।
वे युवक मेरी राह पर निगरानी रखते हैं कि मैं बच निकल कर भागने न पाऊँ। वे मुझे नष्ट करने में सफल हो जाते हैं। उनके विरोध में मेरी सहायता करने को मेरे साथ कोई नहीं है।
यहोवा ने उसे कुचल डालने का निश्चय किया। यहोवा ने निश्चय किया कि वह यातनाएँ झेले। सो सेवक ने अपना प्राण त्यागने को खुद को सौंप दिया। किन्तु वह एक नया जीवन अनन्त—अनन्त काल तक के लिये पायेगा। वह अपने लोगों को देखेगा। यहोवा उससे जो करना चाहता है, वह उन बातों को पूरा करेगा।
किन्तु उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए। उसने हमारी पीड़ा को हमसे ले लिया और हम यही सोचते रहे कि परमेश्वर उसे दण्ड दे रहा है। हमने सोचा परमेश्वर उस पर उसके कर्मों के लिये मार लगा रहा है।
और मैं उन राष्ट्रों पर बहुत क्रोधित हूँ जो अपने को इतना सुरक्षित अनुभव करते हैं। मैं कुछ क्रोधित हो गया था और मैंने उन राष्ट्रों का उपयोग अपने लोगों को दण्ड देने के लिये किया। किन्तु उन राष्ट्रों ने बहुत अधिक विनाश किया।”
सर्वशक्तिमान यहावा कहता है, “तलवार, गड़ेरिये पर चाट कर! मेरे मित्र को मार! गड़ेरिये पर प्रहार करो और भेड़ें भाग खड़ी होंगी और मैं उन छोटों को दण्ड दूँगा।