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भजन संहिता 49:11 - पवित्र बाइबल

11 कब्र सदा सर्वदा के लिए हर किसी का घर बनेगा, इसका कोई अर्थ नहीं कि वे कितनी धरती के स्वामी रहे थे।

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Hindi Holy Bible

11 वे मन ही मन यह सोचते हैं, कि उनका घर सदा स्थिर रहेगा, और उनके निवास पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे; इसलिये वे अपनी अपनी भूमि का नाम अपने अपने नाम पर रखते हैं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 उनकी कबर ही उनका स्‍थायी घर है। वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी के लिए उनका निवास- स्‍थान है, चाहे वे अपनी भूमि-क्षेत्रों को अपने नाम से संबोधित करें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 वे मन ही मन यह सोचते हैं कि उनका घर सदा स्थिर रहेगा, और उनके निवास पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे; इसलिये वे अपनी अपनी भूमि का नाम अपने अपने नाम पर रखते हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

11 वे मन ही मन सोचते हैं कि उनके घर सदा बने रहेंगे, और उनका निवास पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा। इसलिए सब अपने नाम पर अपनी-अपनी भूमि का नाम रखते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

11 उनकी आत्मा में उनका विचार है, कि उनके आवास अमर हैं, तथा उनके निवास सभी पीढ़ियों के लिए हो गए हैं, वे तो अपने देशों को भी अपने नाम से पुकारने लगे हैं.

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भजन संहिता 49:11
13 क्रॉस रेफरेंस  

कैन ने अपनी पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। वह गर्भवती हुई। उसने हनोक नामक बच्चे को जन्म दिया। कैन ने एक शहर बसाया और उसका नाम अपने अपने पुत्र के नाम पर हनोक ही रखा।


जब अबशालोम जीवित था, उसने राजा की घाटी में एक स्तम्भ खड़ा किया था। अबशालोम ने कहा, था, “मेरा कोई पुत्र मेरे नाम को चलाने वाला नहीं है।” इसलिये उसने स्तम्भ को अपना नाम दिया। वह स्तम्भ आज भी “अबशालोम का स्मृति—चिन्ह” कहा जाता है।


वे सोचते हैं, जैसे कोई बुरी बात उनके साथ नहीं घटेगी। वे कहा करते हैं, “हम मौज से रहेंगे और कभी भी दण्डित नहीं होंगे।”


सो, मेरे यहोवा, मैं क्या आशा रखूँ? तू ही बस मेरी आशा है!


वे लोग सत्य नहीं बोलते। वे झूठे हैं, जो सत्य को तोड़ते मरोड़ते रहते हैं। उनके मुख खुली कब्र के समान हैं। वे औरों से उत्तम चिकनी—चुपड़ी बातें करते किन्तु वे उन्हें बस जाल में फँसाना चाहते हैं।


लोग बहुत कुटिल हो सकते हैं। वे लोग क्या सोच रहे हैं इसका समझ पाना कठिन है।


यह वैसे ही है जैसे: एक बुद्धिमान व्यक्ति, वह कहाँ जा रहा है, उसे देखने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग, अपनी आँखों की तरह करता है। किन्तु एक मूर्ख व्यक्ति उस व्यक्ति के समान है जो अंधेरे में चल रहा है। किन्तु मैंने यह भी देखा कि मूर्ख और बुद्धिमान दोनों का अंत एक ही प्रकार से होता हैं। दोनों ही अंत में मृत्यु को प्राप्त करते हैं।


एक व्यक्ति अपनी बुद्धि, अपने ज्ञान और अपनी चतुराई का प्रयोग करते हुए कठिन परिश्रम कर सकता हैं। किन्तु वह व्यक्ति तो मर जायेगा और जिन वस्तुओं के लिये उस व्यक्ति ने कठिन परिश्रम किया था, वे किसी दूसरे ही व्यक्ति को मिल जायेंगी। उन व्यक्तियों ने वस्तुओं के लिये कोई काम तो नहीं किया था, किन्तु उन्हें वह सभी कुछ हासिल हो जायेगा। इससे मुझे बहुत दुःख होता है। यह न्यायपूर्ण तो नहीं है। यह तो विवेकपूर्ण नहीं है।


मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: “उस समय तुम्हारे मस्तिष्क में एक विचार उठेगा। तुम एक बुरी योजना बनाना आरम्भ करोगे।


इस पर प्रभु ने उनसे कहा, “अब देखो तुम फ़रीसी थाली और कटोरी को बस बाहर से तो माँजते हो पर भीतर से तुम लोग लालच और दुष्टता से भरे हो।


इसलिए अपनी इस दुष्टता से मन फिराव कर और प्रभु से प्रार्थना कर। हो सकता है तेरे मन में जो विचार था, उस विचार के लिये तू क्षमा कर दिया जाये।


मनश्शे के एक वंशज याईर ने अर्गोब के पूरे क्षेत्र अर्थात् बाशान, गशूरी और माका लोगों की सीमा तक के पूरे प्रदेश पर आधिपत्य स्थापित किया। याईर ने बाशान के इन शहरों को अपने नाम पर रखा। इसी से आज भी याईर नगर के नाम से पुकारा जाता है।)


शमूएल अगले सवेरे उठा और शाऊल से मिलने गया। किन्तु लोगों ने बताया, “शाऊल यहूदा में कर्मेल नामक नगर को गया है। शाऊल वहाँ अपने सम्मान में एक पत्थर की यादगार बनाने गया था। तब शाऊल ने कई स्थानों की यात्रा की और अन्त में गिलगाल को चला गया।” इसलिये शमूएल वहाँ गया जहाँ शाऊल था। शाऊल ने अमालेकियों से ली गई चीज़ों का पहला भाग ही भेंट में चढ़ाया था। शाऊल उन्हें होम बलि के रूप में यहोवा को भेंट चढ़ा रहा था।


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