9 मुझसे अपना मुखमंडल न छिपाइए, क्रोध में अपने सेवक को दूर न कीजिए; आप ही मेरे सहायक रहे हैं. मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धारक मुझे अस्वीकार न कीजिए और न मेरा परित्याग कीजिए.
“और मेरे पुत्र सुलैमान, तुम, अपने पिता के परमेश्वर को जानते हो। शुद्ध हृदय से परमेश्वर की सेवा करो। परमेश्वर की सेवा करने में अपने हृदय (मस्तिष्क) में प्रसन्न रहो। क्यों? क्योंकि यहोवा जानता है कि हर एक के हृदय (मस्तिष्क) में क्या है। हर बात जो सोचते हो, यहोवा जानता है। यदि तुम यहोवा के पास सहायता के लिये जाओगे, तो तुम्हें वह मिलेगी। किन्तु यदि उसको छोड़ते हो, तो वह तुमको सदा के लिये छोड़ देगा।
यहोवा कहता है, “हे इस्राएल के लोगों, तुम कहा करते थे कि मैंने तुम्हारी माता यरूशलेम को त्याग दिया। किन्तु वह त्यागपत्र कहाँ है जो प्रमाणित कर दे कि मैंने उसे त्यागा है। हे मेरे बच्चों, क्या मुझको किसी का कुछ देना है क्या अपना कोई कर्ज चुकाने के लिये मैंने तुम्हें बेचा है नहीं! देखो जरा, तुम बिके थे इसलिए कि तुमने बुरे काम किये थे। इसलिए तुम्हारी माँ (यरूशलेम) दूर भेजी गई थी।
“‘मैं इस्राएल और यहूदा के लोगों के साथ एक वाचा करूँगा। यह वाचा सदैव के लिये रहेगी। इस वाचा के अनुसार मैं लोगों से कभी दूर नहीं जाऊँगा। मैं उनके लिये सदैव अच्छा रहूँगा। मैं उन्हें, अपना आदर करने के लिये इच्छुक बनाऊँगा। तब वे मुझसे कभी दूर नहीं हटेंगे।
अपने जीवन को धन के लालच से मुक्त रखो। जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी में संतोष करो क्योंकि परमेश्वर ने कहा है: “मैं तुझको कभी नहीं छोड़ूँगा; मैं तुझे कभी नहीं तजूँगा।”
इसके बाद, शमूएल ने एक विशेष पत्थर स्थापित किया। उसने यह इसलिऐ किया कि लोग याद रखें कि परमेश्वर ने क्या किया। शमूएल ने पत्थर को मिस्पा और शेन के बीच रखा। शमूएल ने पत्थर का नाम “सहायता का पत्थर” रखा। शमूएल ने कहा, “यहोवा ने लगातार पूरे रास्ते इस स्थान तक हमारी सहायता की।”