शमायाह, तुमने सपन्याह को अपने पत्र में जो लिखा था वह यह है: ‘सपन्याह यहोवा ने यहोयादा के स्थान पर तुम्हें याजक बनाया है। तुम यहोवा के मन्दिर के अधिकारी हो। तुम्हें उस किसी को कैद कर लेना चाहिये जो पागल की तरह काम करता है और नबी की तरह व्यवहार करता है। तुम्हें उस व्यक्ति के पैरों को लकड़ी के बड़े टुकड़े के बीच रखना चाहिये और उसके गले में लौह—कटक पहनाना चाहिए।
हे मान्यवर थियुफिलुस! क्योंकि मैंने प्रारम्भ से ही सब कुछ का बड़ी सावधानी से अध्ययन किया है इसलिए मुझे यह उचित जान पड़ा कि मैं भी तुम्हारे लिये इसका एक क्रमानुसार विवरण लिखूँ।
उसे उस विश्वास करने योग्य संदेश को दृढ़ता से धारण किये रहना चाहिए जिसकी उसे शिक्षा दी गयी है, ताकि वह लोगों को सद्शिक्षा देकर उन्हें प्रबोधित कर सके। तथा जो इसके विरोधी हों, उनका खण्डन कर सके।
एक बुराई का बदला दूसरी बुराई से मत दो। अथवा अपमान के बदले अपमान मत करो बल्कि बदले में आशीर्वाद दो क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें ऐसा ही करने को बुलाया है। इसी से तुम्हें परमेश्वर के आशीर्वाद का उत्तराधिकार मिलेगा।