राजा अर्तक्षत्र हम चाहते हैं कि आप उन राजाओं के लेखों का पता लगायें जिन्होंने आपके पहले शासन किये। आप उन लेखों में देखेंगे कि यरूशलेम ने सदैव अन्य राजाओं के प्रति विद्रोह किया। इसने अन्य राजाओं और राष्द्रों के लिये बहुत कठिनाईयाँ उत्पन्न की हैं। प्राचीन काल से इस नगर में बहुत से विद्रोह का आरम्भ हुआ है! यही कारण है कि यरूशलेम नष्ट हुआ था!
फिर हामान महाराजा क्षयर्ष के पास आया और उससे बोला, “हे महाराजा क्षयर्ष तुम्हारे राज्य के हर प्रान्त में लोगों के बीच एक विशेष समूह के लोग फैले हुए हैं। ये लोग अपने आप को दूसरे लोगों से अलग रखते हैं। इन लोगों के रीतिरिवाज भी दूसरे लोगों से अलग हैं और ये लोग राजा के नियमों का पालन भी नहीं करते हैं। ऐसे लोगों को अपने राज्य में रखने की अनुमति देना महाराज के लिये अच्छा नहीं हैं।
वे उस पर अभियोग लगाने लगे। उन्होंने कहा, “हमने हमारे लोगों को बहकाते हुए इस व्यक्ति को पकड़ा है। यह कैसर को कर चुकाने का विरोध करता है और कहता है यह स्वयं मसीह है, एक राजा।”
फिर वे चिल्ला कर बोले, “इस्राएल के लोगो सहायता करो। यह वही व्यक्ति है जो हर कहीं हमारी जनता के, हमारी व्यवस्था के और हमारे इस स्थान के विरोध में लोगों को सिखाता फिरता है। और अब तो यह विधर्मियों को मन्दिर में ले आया है। और इसने इस प्रकार इस पवित्र स्थान को ही भ्रष्ट कर दिया है।”
फिर फेस्तुस बोला, “महाराजा अग्रिप्पा तथा उपस्थित सज्जनो! तुम इस व्यक्ति को देख रहे हो जिसके विषय में समूचा यहूदी-समाज, यरूशलेम में और यहाँ, मुझसे चिल्ला-चिल्ला कर माँग करता रहा है कि इसे अब और जीवित नहीं रहने देना चाहिये।
वे विधर्मियों को सुसमाचार का उपदेश देने में बाधा खड़ी करते हैं कि कहीं उन लोगों का उद्धार न हो जाये। इन बातों में वे सदा अपने पापों का घड़ा भरते रहते हैं और अन्ततः अब तो परमेश्वर का प्रकोप उन पर पूरी तरह से आ पड़ा है।