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प्रेरितों के काम 15:23 - पवित्र बाइबल

23 उन्होंने उनके हाथों यह पत्र भेजा: तुम्हारे बंधु, बुजुर्गों और प्रेरितों की ओर से अन्ताकिया, सीरिया और किलिकिया के गैर यहूदी भाईयों को नमस्कार पहुँचे। प्यारे भाईयों:

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Hindi Holy Bible

23 और उन के हाथ यह लिख भेजा, कि अन्ताकिया और सूरिया और किलिकिया के रहने वाले भाइयों को जो अन्यजातियों में से हैं, प्रेरितों और प्राचीन भाइयों का नमस्कार!

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

23 और उनके हाथ यह पत्र भेजा : “प्रेरित तथा धर्मवृद्ध, आप लोगों के भाई, अन्‍ताकिया, सीरिया तथा किलिकिया के गैर-यहूदी भाई-बहिनों को नमस्‍कार करते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

23 उन्होंने उनके हाथ यह लिख भेजा : “अन्ताकिया और सीरिया और किलिकिया के रहनेवाले भाइयों को जो अन्यजातियों में से हैं, प्रेरितों और प्राचीन भाइयों का नमस्कार।

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नवीन हिंदी बाइबल

23 और उन्होंने उनके हाथ यह लिख भेजा : “प्रेरित और प्रवर भाइयों की ओर से अंताकिया और सीरिया और किलिकिया के भाइयों के नाम जो गैरयहूदियों में से हैं, नमस्कार।

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सरल हिन्दी बाइबल

23 उनके हाथ से भेजा पत्र यह था: प्रेरितों, पुरनियों तथा भाइयों की ओर से: अंतियोख़, सीरिया तथा किलिकिया प्रदेश के गैर-यहूदी विश्वासियो, आप सभी को नमस्कार!

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प्रेरितों के काम 15:23
21 क्रॉस रेफरेंस  

महामहिम राज्यपाल फ़ेलिक्स को क्लोदियुस लूसियास का नमस्कार पहुँचे।


याकूब का, जो परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह का दास है, संतों के बारहों कुलों को नमस्कार पहुँचे जो समूचे संसार में फैले हुए हैं।


उसके बाद मैं सीरिया और किलिकिया के प्रदेशों में गया।


फिर प्रेरितों और बुजुर्गों ने समूचे कलीसिया के साथ यह निश्चय किया कि उन्हीं में से कुछ लोगों को चुनकर पौलुस और बरनाबास के साथ अन्ताकिया भेजा जाये। सो उन्होंने बरसब्बा कहे जाने वाले यहूदा और सिलास को चुन लिया। वे भाइयों में सर्व प्रमुख थे।


बल्कि मुझे तो आशा है कि मैं तुझसे जल्दी ही मिलूँगा। तब हम आमने-सामने बातें कर सकेंगे।


तेरी बहन के पुत्र-पुत्रियों का तुझे नमस्कार पहुँचे।


यदि कोई तुम्हारे पास आकर इस उपदेश को नहीं देता है तो अपने घर उसका आदर सत्कार मत करो तथा उसके स्वागत में नमस्कार भी मत करो।


परम पिता परमेश्वर की ओर से उसका अनुग्रह, दया और शांति सदा हमारे साथ रहेगी तथा परम पिता परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह की ओर से सत्य और प्रेम में हमारी स्थिति बनी रहेगी।


सो पौलुस सीरिया और किलिकिया की यात्रा करते हुए वहाँ की कलीसिया को सृदृढ़ करता रहा।


फिर जब वे यरूशलेम पहुँचे तो कलीसिया ने, प्रेरितों ने और बुजुर्गों ने उनका स्वागत सत्कार किया। और उन्होंने उनके साथ परमेश्वर ने जो कुछ किया था, वह सब कुछ उन्हें कह सुनाया।


फिर कुछ लोग यहूदिया से आये और भाइयों को शिक्षा देने लगे: “यदि मूसा की विधि के अनुसार तुम्हारा ख़तना नहीं हुआ है तो तुम्हारा उद्धार नहीं हो सकता।”


सो जब वे पहुँचे तो उन्होंने कलीसिया के लोगों को इकट्ठा किया और परमेश्वर ने उनके साथ जो कुछ किया था, उसका विवरण कह सुनाया। और उन्होंने घोषणा की कि परमेश्वर ने विधर्मियों के लिये भी विश्वास का द्वार खोल दिया है।


“जहाँ तक विश्वास ग्रहण करने वाले ग़ैर यहूदियों का प्रश्न है, हमने उन्हें एक पत्र में लिख भेजा है, ‘मूर्तियों पर चढ़ाया गया भोजन तुम्हें नहीं लेना चाहिये। गला घोंट कर मारे गये किसी भी पशु का मांस खाने से बचें और लहू को कभी न खायें। व्यभिचार से बचे रहो।’”


जब साइप्रस दिखाई पड़ने लगा तो हम उसे बायीं तरफ़ छोड़ कर सीरिया की ओर मुड़ गये क्योंकि जहाज़ को सूर में माल उतारना था सो हम भी वहीं उतर पड़े।


बहुत दिनों बाद तक पौलुस वहाँ ठहरा रहा। फिर भाइयों से विदा लेकर वह नाव के रास्ते सीरिया को चल पड़ा। उसके साथ प्रिसकिल्ला तथा अक्विला भी थे। पौलुस ने किंखिया में अपने केश उतरवाये क्योंकि उसने एक मन्नत मानी थी।


विश्वासियों ने जब यह सुना तो उन्होंने प्रश्न करना बन्द कर दिया। वे परमेश्वर की महिमा करते हुए कहने लगे, “अच्छा, तो परमेश्वर ने विधर्मियों तक को मन फिराव का वह अवसर दिया है, जो जीवन की ओर ले जाता है!”


समस्त सीरिया देश में उसका समाचार फैल गया। इसलिये लोग ऐसे सभी व्यक्तियों को जो संतापी थे, या तरह तरह की बीमारियों और वेदनाओं से पीड़ित थे, जिन पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, जिन्हें मिर्गी आती थी और जो लकवे के मारे थे, उसके पास लाने लगे। यीशु ने उन्हें चंगा किया।


किन्तु तथाकथित स्वतन्त्र किये गये लोगों के आराधनालय के कुछ लोग जो कुरेनी और सिकन्दरिया से तथा किलिकिया और एशिया से आये यहूदी थे, वे उसके विरोध में वाद-विवाद करने लगे।


इन्हीं विश्वासियों में से कुछ साइप्रस और कुरैन के थे। सो जब वे अन्ताकिया आये तो यूनानियों को भी प्रवचन देते हुए प्रभु यीशु का सुसमाचार सुनाने लगे।


पौलुस और बरनाबास उनसे सहमत नहीं थे, सो उनमें एक बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ। सो पौलुस बरनाबास तथा उनके कुछ और साथियों को इस समस्या के समाधान के लिये प्रेरितों और मुखियाओं के पास यरूशलेम भेजने का निश्चय किया गया।


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