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प्रकाशितवाक्य 8:3 - पवित्र बाइबल

3 फिर एक और स्वर्गदूत आया और वेदी पर खड़ा हो गया। उसके पास सोने का एक धूपदान था। उसे संत जनों की प्रार्थनाओं के साथ सोने की उस वेदी पर जो सिंहासन के सामने थी, चढ़ाने के लिए बहुत सारी धूप दी गई।

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Hindi Holy Bible

3 फिर एक और स्वर्गदूत सोने का धूपदान लिये हुए आया, और वेदी के निकट खड़ा हुआ; और उस को बहुत धूप दिया गया, कि सब पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ उस सोनहली वेदी पर जो सिंहासन के साम्हने है चढ़ाए।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 तब तक दूसरा स्‍वर्गदूत, सोने का धूपदान लिये आया, और वेदी के सामने खड़ा हो गया। उसे बहुत-सा धूप दिया गया, जिससे वह उसे सब सन्‍तों की प्रार्थनाओं के साथ सिंहासन के सामनेवाली स्‍वर्ण वेदी पर चढ़ाये।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 फिर एक और स्वर्गदूत सोने का धूपदान लिये हुए आया, और वेदी के निकट खड़ा हुआ; और उसको बहुत धूप दिया गया कि सब पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ सोने की उस वेदी पर, जो सिंहासन के सामने है चढ़ाए।

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नवीन हिंदी बाइबल

3 फिर एक और स्वर्गदूत सोने का धूपदान लिए हुए आया और वेदी के पास खड़ा हो गया, और उसे बहुत सा धूप दिया गया कि वह उसे सब पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ सोने की उस वेदी पर जो सिंहासन के सामने है, चढ़ाए।

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सरल हिन्दी बाइबल

3 सोने के धूपदान लिए हुए एक अन्य स्वर्गदूत आकर वेदी के पास खड़ा हो गया. उसे बड़ी मात्रा में धूप दी गई कि वह उसे सभी पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ उस सोने की वेदी पर भेंट करे, जो सिंहासन के सामने है.

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प्रकाशितवाक्य 8:3
32 क्रॉस रेफरेंस  

हे यहोवा, मेरी विनती तेरे लिये जलती धूप के उपहार सी हो मेरी विनती तेरे लिये दी गयी साँझ कि बलि सी हो।


तब मूसा ने सोने की वेदी को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने सोने की वेदी को पर्दे के सामने रखा।


वहाँ वेदी पर आग जल रही थी। उन साराप (स्वर्गदूतों) में से एक ने उस आग में से चिमटे से एक दहकता हुआ कोयला उठा लिया और


वेदी के समान लकड़ी का बना दिखता था। यह तीन हाथ ऊँचा और दो हाथ लम्बा था। इसके कोने, नींव और पक्ष लकड़ी के थे। उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “यह मेज है जो यहोवा के सामने है।”


मैंने अपने स्वामी को दर्शन के सामने खड़ा देखा। उसने कहा, “स्तम्भों के सिरे पर प्रहार करो, और पूरी इमारत की देहली तक काँप उठेगी। स्तम्भों को लोगों के सिर पर गिराओ। यदि कोई जीवित बचेगा, सो उसे तलवार से मारो। कोई व्यक्ति भाग सकता है, किन्तु वह बच नहीं सकेगा। लोगों में से कोई भी व्यक्ति बचकर नहीं निकलेगा।


“संसार में सर्वत्र लोग मेरे नाम का सम्मान करते हैं। संसार में सर्वत्र लोग मेरे लिये अच्छी भेंट लाते हैं। वे अच्छी सुगन्धि मेरी भेंट के रप में जलाते हैं। क्यों क्योंकि मेरा नाम उन सभी लोगों के लिये महत्वपूर्ण है।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा।


“सुनहरी वेदी पर एक नीला कपड़ा फैलाओ। उसे सुइसों के चमड़े से ढको। तब वेदी को ले जाने के लिए उसमें लगे हुए कड़ो में डंडे डालो।


जब धूप जलाने का समय आया तो बाहर इकट्ठे हुए लोग प्रार्थना कर रहे थे।


ऐसा कौन है जो उन्हें दोषी ठहराएगा? मसीह यीशु वह है जो मर गया (और इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि) उसे फिर जिलाया गया। जो परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है और हमारी ओर से विनती भी करता है


अतः जो उसके द्वारा परमेश्वर तक पहुँचते हैं, वह उनका सर्वदा के लिए उद्धार करने में समर्थ है क्योंकि वह उनकी मध्यस्थता के लिए ही सदा जीता है।


इसमें सुगन्धित सामग्री के लिए सोने की वेदी और सोने की मढ़ी वाचा की सन्दूक थी। इस सन्दूक में सोने का बना मन्ना का एक पात्र था, हारून की वह छड़ी थी जिस पर कोंपलें फूटी थीं तथा वाचा के पत्थर के पतरे थे।


फिर मैंने आकाश से नीचे उतरते हुए एक और बलवान स्वर्गदूत को देखा। उसने बादल को ओढ़ा हुआ था तथा उसके सिर के आस-पास एक मेघ धनुष था। उसका मुखमण्डल सूर्य के समान तथा उसकी टाँगे अग्नि स्तम्भों के जैसी थीं।


तभी वेदी से एक और स्वर्गदूत आया। अग्नि पर उसका अधिकार था। उस स्वर्गदूत से ऊँचे स्वर में कहा, “अपने तेज हँसिये का प्रयोग कर और धरती की बेल से अंगूर के गुच्छे उतार ले क्योंकि इसके अंगूर पक चुके हैं।”


जब उसने वह लपेटा हुआ पुस्तक ले लिया तो उन चारों प्राणियों तथा चौबीसों प्राचीनों ने उस मेमने को दण्डवत प्रणाम किया। उनमें से हरेक के पास वीणा थी तथा वे सुगन्धित सामग्री से भरे सोने के धूपदान थामे थे; जो संत जनों की प्रार्थनाएँ हैं।


फिर उस मेमने ने जब पाँचवी मुहर तोड़ी तो मैंने वेदी के नीचे उन आत्माओं को देखा जिनकी परमेश्वर के सुसन्देश के प्रति आत्मा के तथा जिस साक्षी को उन्होंने दिया था, उसके कारण हत्याएँ कर दी गयीं थीं।


फिर मैंने देखा कि एक और स्वर्गदूत है जो पूर्व दिशा से आ रहा है। उसने सजीव परमेश्वर की मुहर ली हुई थी। तथा वह उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें धरती और आकाश को नष्ट कर देने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे स्वर में पुकार कर कह रहा था,


फिर स्वर्गदूत के हाथ से धूप का वह धुआँ संत जनों की प्रार्थनाओं के साथ-साथ परमेश्वर के सामने पहुँचा।


इसके बाद स्वर्गदूत ने उस धूपदान को उठाया, उसे वेदी की आग से भरा और उछाल कर धरती पर फेंक दिया। इस पर मेघों का गर्जन-तर्जन, भीषण शब्द, बिजली की चमक और भूकम्प होने लगे।


फिर छठे स्वर्गदूत ने जैसे ही अपनी तुरही फूँकी, वैसे ही मैंने परमेश्वर के सामने एक सुनहरी वेदी देखी, उसके चार सींगों से आती हुई एक ध्वनि सुनी।


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