4 फिर मैंने कुछ सिंहासन देखे जिन पर कुछ लोग बैठे थे। उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया था। और मैंने उन लोगों की आत्माओं को देखा जिनके सिर, उस सत्य के कारण, जो यीशु द्वारा प्रमाणित है, और परमेश्वर के संदेश के कारण काटे गए थे, जिन्होंने उस पशु या उसकी प्रतिमा की कभी उपासना नहीं की थी। तथा जिन्होंने अपने माथों पर या अपने हाथों पर उसका संकेत चिन्ह धारण नहीं किया था। वे फिर से जीवित हो उठे और उन्होंने मसीह के साथ एक हज़ार वर्ष तक राज्य किया।
4 फिर मैं ने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उन को न्याय करने का अधिकार दिया गया; और उन की आत्माओं को भी देखा, जिन के सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण काटे गए थे; और जिन्हों ने न उस पशु की, और न उस की मूरत की पूजा की थी, और न उस की छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी; वे जीवित हो कर मसीह के साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे।
4 मैंने सिंहासन देखे। जो उन पर बैठने आये, उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया। मैंने उन लोगों की आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर येशु की साक्षी और परमेश्वर के वचन के कारण काटे गये थे, जिन्होंने पशु और उसकी प्रतिमा की आराधना नहीं की थी तथा अपने माथे और हाथों पर पशु की छाप अंकित नहीं होने दिया था। वे पुनर्जीवित हो कर मसीह के साथ एक हजार वर्ष तक राज्य करते रहे।
4 फिर मैं ने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उनको न्याय करने का अधिकार दिया गया। मैं ने उनकी आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण काटे गए थे, और जिन्होंने न उस पशु की, और न उसकी मूर्ति की पूजा की थी, और न उसकी छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी। वे जीवित होकर मसीह के साथ हज़ार वर्ष तक राज्य करते रहे।
4 फिर मैंने सिंहासन देखे और उन पर लोग बैठ गए और उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया। फिर मैंने उन लोगों की आत्माओं को भी देखा जिनके सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण काट दिए गए थे, और जिन्होंने न तो उस पशु की और न ही उसकी मूर्ति की पूजा की थी और न अपने माथे और हाथों पर उसकी छाप लगवाई थी। फिर वे जीवित हो गए और उन्होंने एक हज़ार वर्ष तक मसीह के साथ राज्य किया।
4 तब मैंने सिंहासन देखे. उन पर वे व्यक्ति बैठे थे, जिन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया था. तब मैंने उनकी आत्माओं को देखा, जिनके सिर मसीह येशु से संबंधित उनकी गवाही तथा परमेश्वर के वचन का प्रचार करने के कारण उड़ा दिए गए थे. उन्होंने उस हिंसक पशु या उसकी मूर्ति की पूजा नहीं की थी. जिनके मस्तक तथा हाथ पर उसकी मुहर नहीं लगी थी, वे जीवित हो उठे और उन्होंने हज़ार वर्ष तक मसीह के साथ राज्य किया.
“चौथे राज्य के उन राज्यों के समय में ही स्वर्ग का परमेश्वर एक दूसरे राज्य की स्थापना कर देगा। इस राज्य का कभी अंत नहीं होगा और यह सदा—सदा बना रहेगा! यह एक ऐसा राज्य होगा जो कभी किसी दूसरे समूह के लोगों के हाथ में नहीं जायेगा। यह राज्य उन दूसरे राज्य को कुचल देगा। यह उन राज्यों का विनाश कर देगा। किन्तु वह राज्य अपने आप सदा—सदा बना रहेगा।
परमेश्वर के पवित्र लोग को वह सींग उस समय तक मारता रहा जब तक सनातन राजा ने आकर उसका न्याय नहीं किया। सनातन राजा ने उस सींग के न्याय की घोषणा की। उस न्याय से परम परमेश्वर के भक्तों को सहारा मिला और उन्हे उनके अपने राज्य की प्राप्ति हो गयी।
फिर परमेश्वर के पवित्र लोग उस राज्य का शासन चलायेंगे। धरती के सभी राज्यों के सभी लोगों पर उनका शासन होगा। यह राज्य सदा सदा अटल रहेगा, और अन्य सभी राज्यों के लोग उन्हें आदर देंगे और उनकी सेवा करेंगे।’
“मेरे देखते ही देखते, उनकी जगह पर सिंहासन रखे गये और वह सनातन राजा सिंहासन पर विराज गया। उसके वस्त्र अति धवल थे, वे वस्त्र बर्फ से श्वेत थे। उनके सिर के बाल श्वेत थे, वे ऊन से भी श्वेत थे। उसका सिंहासन अग्नि का बना था और उसके पहिए लपटों से बने थे।
यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम लोगों से सत्य कहता हूँ कि नये युग में जब मनुष्य का पुत्र अपने प्राप्त सिंहासन पर विराजेगा तो तुम भी, जो मेरे पीछे हो लिये हो, बारह सिंहासनों पर बैठकर परमेश्वर के लोगों का न्याय करोगे।
वह एलिय्याह की शक्ति और आत्मा में स्थित हो प्रभु के आगे आगे चलेगा। वह पिताओं का हृदय उनकी संतानों की ओर वापस मोड़ देगा और वह आज्ञा ना मानने वालों को ऐसे विचारों की ओर प्रेरित करेगा जिससे वे धर्मियों के जैसे विचार रखें। यह सब, वह लोगों को प्रभु की खातिर तैयार करने के लिए करेगा।”
क्योंकि यदि परमेश्वर के द्वारा उनके नकार दिये जाने से जगत में परमेश्वर के साथ मेलपिलाप पैदा होता है तो फिर उनका अपनाया जाना क्या मरे हुओं में से जिलाया जाना नहीं होगा?
और क्योंकि हम उसकी संतान हैं, हम भी उत्तराधिकारी हैं, परमेश्वर के उत्तराधिकारी और मसीह के साथ हम उत्तराधिकारी यदि वास्तव में उसके साथ दुःख उठाते हैं तो हमें उसके साथ महिमा मिलेगी ही।
मैं यूहन्ना तुम्हारा भाई हूँ और यातनाओं, राज्य तथा यीशु में, धैर्यपूर्ण सहनशीलता में तुम्हारा साक्षी हूँ। परमेश्वर के वचन और यीशु की साक्षी के कारण मुझे पत्तमुस नाम के द्वीप में देश निकाला दे दिया गया था।
सातवें स्वर्गदूत ने जब अपनी तुरही फूँकी तो आकाश में तेज आवाज़ें होने लगीं। वे कह रही थीं: “अब जगत का राज्य हमारे प्रभु का है, और उसके मसीह का ही। अब वह सुशासन युगयुगों तक करेगा।”
मैं अपने दो गवाहों को खुली छूट दे दूँगा और वो एक हज़ार दो सौ साठ दिनों तक भविष्यवाणी करेंगे। वे ऊन के ऐसे वस्त्र धारण किए हुए होंगे जिन्हें शोक प्रदर्शित करने के लिए पहना जाता है।”
युग-युगान्तर तक उनकी यातनाओं से धूआँ उठता रहेगा। और जिस किसी पर भी पशु के नाम की छाप अंकित होगी और जो उसकी और उसकी मूर्ति की उपासना करता होगा, उन्हें रात-दिन कभी चैन नहीं मिलेगा।”
फिर मुझे काँच का एक सागर सा दिखायी दिया जिसमें मानो आग मिली हो। और मैंने देखा कि उन्होंने उस पशु की मूर्ति पर तथा उसके नाम से सम्बन्धित संख्या पर विजय पा ली है, वे भी उस काँच के सागर पर खड़े हैं। उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दी गयी वीणाएँ ली हुई थीं।
जो तुमने देखा है, पहले कभी जीवित था, किन्तु अब जीवित नहीं है। फिर भी वह पाताल से अभी निकलने वाला है। और तभी उसका विनाश हो जायेगा। फिर धरती के वे लोग जिन के नाम सृष्टि के प्रारम्भ से ही जीवन की पुस्तक में नहीं लिखे गये हैं, उस पशु को देखकर चकित होंगे क्योंकि कभी वह जीवित था, किन्तु अब जीवित नहीं है, पर फिर भी वह आने वाला है।
वह धन्य है और पवित्र भी है जो पहले पुनरुत्थान में भाग ले रहा है। इन व्यक्तियों पर दूसरी मृत्यु को कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। बल्कि वे तो परमेश्वर और मसीह के अपने याजक होंगे और उसके साथ एक हज़ार वर्ष तक राज्य करेंगे।
वहाँ कभी रात नहीं होगी और न ही उन्हें सूर्य के अथवा दीपक के प्रकाश की कोई आवश्यकता रहेगी। क्योंकि उन पर प्रभु परमेश्वर अपना प्रकाश डालेगा और वे सदा सदा शासन करेंगे।
“जो विजयी होगा मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठने का गौरव प्रदान करूँगा। ठीक वैसे ही जैसे मैं विजयी बनकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठा हूँ।
फिर उस मेमने ने जब पाँचवी मुहर तोड़ी तो मैंने वेदी के नीचे उन आत्माओं को देखा जिनकी परमेश्वर के सुसन्देश के प्रति आत्मा के तथा जिस साक्षी को उन्होंने दिया था, उसके कारण हत्याएँ कर दी गयीं थीं।