7 क्योंकि जो महिमा और वैभव उसने स्वयं को दिया तुम उसी ढँग से उसे यातनाएँ और पीड़ा दो क्योंकि वह स्वयं अपने आप ही से कहती रही है, ‘मैं अपनी नृपासन विराजित महारानी मैं विधवा नहीं फिर शोक क्यों करूँगी?’
7 जितनी उस ने अपनी बड़ाई की और सुख-विलास किया; उतनी उस को पीड़ा, और शोक दो; क्योंकि वह अपने मन में कहती है, मैं रानी हो बैठी हूं, विधवा नहीं; और शोक में कभी न पडूंगी।
7 उसने जितनी डींग मारी और जितना भोगविलास किया है, उसे उतनी यन्त्रणा और उतना शोक दो। वह अपने मन में यह कहती है, ‘मैं रानी की तरह सिंहासन पर विराजमान हूँ। मैं विधवा नहीं हूँ और कभी शोक नहीं मनाऊंगी।’
7 जितनी उसने अपनी बड़ाई की और सुख– विलास किया, उतनी उसको पीड़ा और शोक दो; क्योंकि वह अपने मन में कहती है, ‘मैं रानी हो बैठी हूँ, विधवा नहीं; और शोक में कभी न पड़ूँगी।’
7 जितनी उसने अपनी बड़ाई की और भोग-विलास किया, उतनी ही उसे पीड़ा और शोक दो। क्योंकि वह अपने मन में कहती है, ‘मैं रानी बनकर बैठी हूँ, मैं विधवा नहीं हूँ; मैं कभी शोक नहीं देखूँगी।’
7 उसने जितनी अपनी प्रशंसा की और उसने जितना भोग विलास किया है, तुम भी उसे उतनी ही यातना और पीड़ा दो. क्योंकि वह मन ही मन कहती है, ‘मैं तो रानी समान विराजमान हूं, मैं विधवा नहीं हूं; मैं कभी विलाप न करूंगी.’
नीनवे इन दिनों इतना अधिक घमण्डी है। यह ऐसा प्रसन्न नगर है। लोग समझते हैं कि वे सुरक्षित हैं। वे समझते हैं कि नीनवे संसार में सबसे बड़ा स्थान है। किन्तु वह नगर नष्ट किया जायेगा! यह एक सूना स्थान होगा, जहाँ केवल जंगली जानवर आराम करने जाते हैं। जब लोग उधर से गुजरेंगे और देखेंगे कि कितनी बुरी तरह नगर नष्ट किया गया है तब वे सीटियाँ बजाएंगे और सिर हिलायेंगे।
एक समय वह था जब यरूशलेम में लोगों की भीड़ थी। किन्तु आज वही नगरी उजाड़ पड़ी हुई हैं! एक समय वह था जब देशों के मध्य यरूशलेम महान नगरी थी! किन्तु आज वही ऐसी हो गयी है जैसी कोई विधवा होती है! वह समय था जब नगरियों के बीच वह एक राजकुमारी सी दिखती थी। किन्तु आज वही नगरी दासी बना दी गयी है।
तुम अपने अभिमान के द्वारा छले गये हो। तुम ऊँची पहाड़ियों की गुफाओं में रहते हो। तुम्हारा घर पहाड़ियों में ऊँचे पर है। तुम अपने मन में कहते हो, ‘मुझे काई भी धूल नहीं चटा सकता।’”
किन्तु युवती-विधवाओं को इस सूची में सम्मिलित मत करो क्योंकि मसीह के प्रती उनके समर्पण पर जब उनकी विषय वासना पूर्ण इच्छाएँ हावी होती हैं तो वे फिर विवाह करना चाहती हैं।
क्योंकि उसने सब जनों को व्यभिचार के क्रोध की मदिरा पिलायी थी। इस जगत के शासकों ने जो स्वयं जगाई थी उससे व्यभिचार किया था। और उसके भोग व्यय से जगत के व्यापारी सम्पन्न बने थे।”
“जब धरती के राजा, जिन्होंने उसके साथ व्यभिचार किया और उसके भोग-विलास में हिस्सा बटाया, उसके जलने से निकलते धुआँ को देखेंगे तो वे उसके लिए रोयेंगे और विलाप करेंगे।
राजा ने हामान को आदेश दिया, “तुम तत्काल चले जाओ तथा वस्त्र और घोड़ा लेकर यहूदी मोर्दकै के लिए वैसा ही करो, जैसा तुमने सुझाव दिया है। मोर्दकै राजद्वार के पास बैठा है। जो कुछ तुमने सुझाया है, सब कुछ वैसा ही करना।”
तुम उसी प्याले में विष पीओगी। तुम उसकी अन्तिम बूंद तक उसे पीओगी। तुम गिलास को फेंकोगी और उसके टुकड़े कर डालोगी और तुम पीड़ा से अपनी छाती विदीर्ण करोगी। यह होगा क्योंकि मैं यहोवा और स्वामी हूँ और मैंने वे बातें कहीं।