न्यायियों 7:15 - पवित्र बाइबल15 जब गिदोन ने स्वप्न के बारे में सुना और उसका अर्थ समझा तो वह परमेश्वर के प्रति झुका। तब गिदोन इस्राएली लोगों के डेरे में लौट गया। गिदोन ने लोगों को बाहर बुलाया, “तैयार हो जाओ। यहोवा हम लोगों को मिद्यानी लोगों को हराने में सहायता करेगा।” अध्याय देखेंHindi Holy Bible15 उस स्वप्न का वर्णन और फल सुनकर गिदोन ने दण्डवत की; और इस्राएल की छावनी में लौटकर कहा, उठो, यहोवा ने मिद्यानी सेना को तुम्हारे वश में कर दिया है। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)15 जब गिद्ओन ने स्वप्न की बातें और उसका अर्थ सुना तब भूमि पर झुककर प्रभु की वन्दना की। वह इस्राएली-पड़ाव को लौट गया। उसने इस्राएलियों से कहा, ‘उठो! प्रभु ने मिद्यानी पड़ाव को तुम्हारे हाथ में सौंप दिया है।’ अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)15 उस स्वप्न का वर्णन और फल सुनकर गिदोन ने दण्डवत् किया; और इस्राएल की छावनी में लौटकर कहा, “उठो, यहोवा ने मिद्यानी सेना को तुम्हारे वश में कर दिया है।” अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल15 जब गिदोन ने इस स्वप्न तथा इसके फल के बारे में सुना, वह परमेश्वर की स्तुति में वहीं दंडवत हो गया. वह इस्राएली छावनी को लौट गया और वहां यह घोषणा कर दी, “उठो-उठो याहवेह ने मिदियानी पड़ाव को तुम्हारे वश में कर दिया है.” अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 201915 उस स्वप्न का वर्णन और फल सुनकर गिदोन ने दण्डवत् किया; और इस्राएल की छावनी में लौटकर कहा, “उठो, यहोवा ने मिद्यानी सेना को तुम्हारे वश में कर दिया है।” अध्याय देखें |
दोनों व्यक्तियों ने उत्तर दिया, “पिछली रात हम लोगों ने सपना देखा, किन्तु हम लोग नहीं समझते कि सपने का क्या अर्थ है? कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जो सपनों की व्याख्या करे या हम लोगों को स्पष्ट बताए।” यूसुफ ने उनसे कहा, “केवल परमेश्वर ही ऐसा है जो सपने को समझता और उसकी व्याख्या करता है। इसलिए मैं निवेदन करता हूँ कि अपने सपने मुझे बताओ।”
एहूद ने इस्राएल के लोगों से कहा, “मेरे पीछे चलो। यहोवा ने मोआब के लोगों अर्थात् हमारे शत्रुओं को हराने में हमारी सहायता की है।” इसलिए इस्राएल के लोगों ने एहूद का अनुसरण किया। वे एहूद का अनुसरण उन स्थानों पर अधिकार करने के लिए करते रहे जहाँ से यरदन नदी सरलता से पार की जा सकती थी। वे स्थान मोआब के प्रदेश तक पहुँचाते थे। इस्राएल के लोगों ने किसी को यरदन नदी के पार नहीं जाने दिया।