अमासै तीस वीरों का प्रमुख था। अमासै पर आत्मा उतरी। अमासै ने कहा, “दाऊद हम तुम्हारे हैं। यिशै—पुत्र, हम तुम्हारे साथ हैं! शान्ति, शान्ति हो तम्हारे साथ! शान्ति उन लोगों को जो तुम्हारी सहायता करें। क्यों? क्योंकि तुम्हारी परमेश्वर, तुम्हारा सहायता करता है!” तब दाऊद ने इन लोगों का स्वागत किया। उसने अपनी सेना में उन्हें प्रमुख बनाया।
मनश्शे के परिवार समूह के कुछ लोग भी दाऊद के साथ हो गये। वे दाऊद के साथ तब हुए जब वह पलिश्तियों के साथ शाऊल से युद्ध करने गया। किन्तु दाऊद और उसके लोगों ने वास्तव में पलिश्तियों की सहायता नहीं की। पलिश्तियों के प्रमुख दाऊद के विषय में सहायक के रूप में बातें करते रहे, किन्तु तब उन्होंने उसे भेज देने का निर्णय लिया। उन शासकों ने कहा, “यदि दाऊद अपने स्वामी शाऊल के पास जाएगा, तो हमारे सिर काट डाले जाएंगे!”
परमेश्वर की आत्मा जकर्याह पर उतरी। जकर्याह का पिता याजक यहोयादा था। जकर्याह लोगों के सामने खड़ा हुआ और उसने कहा, “जो यहोवा कहता है वह यह है: ‘तुम लोग यहोवा का आदेश पालन करने से क्यों इन्कार करते हो तुम सफल नहीं होगे। तुमने यहोवा को छोड़ा है। इसलिये यहोवा ने भी तुम्हें छोड़ दिया है!’”
मनश्शे के परिवार समूह के अन्य परिवारों को भी भूमि दी गई। वे परिवार अबीएजेर, हेलेक, अस्त्रीएल, शेकेम, हेपेर और शमीदा थे। ये सभी मनश्शे के अन्य पुत्र थे, जो यूसुफ का पुत्र था। इन व्यक्तियों के परिवारों के परिवारों ने कुछ भूमि प्राप्त की।
शिमशोन बहुत क्रोधित हुआ। यहोवा की आत्मा उसके ऊपर बड़ी शक्ति के साथ आई। वह आश्कलोन नगर को गया। उस नगर में उसने उनके तीस व्यक्तियों को मारा। तब उसने सारे वस्त्र और शवों से सारी सम्पत्ति ली। वह उन वस्त्रों को लेकर लौटा और उन व्यक्तियों को दिया, जिन्होने पहली का उत्तर दिया था। तब वह अपने पिता के घर लौटा।
जब शिमशोन लही नामक स्थान पर पहुँचा तो पलिश्ती लोग उससे मिलने आए। वे प्रसन्नता से शोर मचा रहे थे। तब यहोवा की आत्मा बड़ी शक्ति से शिमशोन में आई। उसके ऊपर की रस्सियाँ ऐसी कमज़ोर हो गई जैसे मानो वे जल गई हों। रस्सियाँ उसके हाथों से ऐसे गिरीं मानो वे गल गई हो।
यहोवा की आत्मा ओत्नीएल पर उतरी और वह इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश हो गया। ओत्नीएल ने इस्राएल के लोगों का युद्ध में संचालन किया। यहोवा ने मेसोपोटामिया के राजा कूशत्रिशातैम को हराने में ओत्नीएल की सहायता की।
एहूद सेइरे नामक स्थान पर पहुँचा। तब उसने एप्रैम के पहाड़ी क्षेत्र में तुरही बजाई। इस्राएल के लोगों ने तुरही की आवाज़ सुनी और वे पहाड़ियों से उतरे। एहूद उनका संचालक था।
उस समय, यहोवा का दूत गिदोन नामक व्यक्ति के पास आया। यहोवा का दूत आया और ओप्रा नामक स्थान पर एक बांज के पेड़ के नीचे बैठा। यह बांज का पेड़ योआश नामक व्यक्ति का था। योआश अबीएजेरी लोगों में से एक था। योआश गिदोन का पिता था। गिदोन कुछ गेहूँ को दाखमधु निकालने के यंत्र में कूट रहा था। यहोवा का दूत गिदोन के पास बैठा। गिदोन मिद्यानी लोगों से अपना गेंहूँ छिपाने का प्रयत्न कर रहा था। यहोवा का दूत गिदोन के सामने प्रकट हुआ और उससे कहा, “यहोवा तुम्हारे साथ है, तुम जैसे शक्तिशाली सैनिकों के साथ है।”
किन्तु गिदोन ने एप्रैम के लोगों को उत्तर दिया, “मैंने उतनी अच्छी तरह युद्ध नहीं किया जितनी अच्छी तरह आप लोगों ने किया। क्या यह सत्य नहीं है कि फसल लेने के बाद तुम अपनी अंगूर की बेलों में जो अंगूर बिना तोड़े छोड़ देते हो। वह मेरे परिवार, अबीएजेर के लोगों की पूरी फसल से अधिक होते हैं।
योनातान ने गिबा में जाकार पलिश्तियों को उनके डेरे में हराया। पलिश्तियों ने इसके बारे में सुना। उन्होंने कहा, “हिब्रुओं ने विद्रोह किया है।” शाऊल ने कहा, “जो कुछ हुआ है उसे हिब्रू लोगों को सुनाओ।” अत: शाऊल ने लोगों से कहा कि वे पूरे इस्राएल देश में तुरही बजायें।