47 किन्तु छ: सौ बिन्यामिनी सैनिक मुड़े और निर्जन प्रदेश की दिशा में रिम्मोन की चट्टान की ओर भाग गए। उन्होंने चार महीने तक रिम्मोन की चट्टान में निवास किया।
हे यहोवा, मैंने तेरे विषय में सुना है। हे यहोवा, बीते समय में जो शक्तिपूर्ण कार्य तूने किये थे, उनपर मुझको आश्चर्य है। अब मेरी तुझसे विनती है कि हमारे समय में तू फिर उनसे भी बड़े काम कर। मेरी तुझसे विनती है कि तू हमारे अपने ही दिनों में उन बातों को प्रकट करेगा किन्तु जब तू जोश में भर जाये तब भी तू हम पर दया को दर्शाना याद रख।
“हम जानते हैं कि यह सब कुछ हमारे अपराध के कारण है। हम अब अपने पापों के कारण कष्ट उठा रहे हैं। हे यहोवा, अपने अच्छे नाम के लिये हमारी कुछ मदद कर। हम स्वीकार करते हैं कि हम लोगों ने तुझको कई बार छोड़ा है। हम लोगों ने तेरे विरुद्ध पाप किये हैं।
यह सत्य है किन्तु फिर भी सर्वशक्तिशाली यहोवा ने कुछ लोगों को वहाँ जीवित रहने के लिये छोड़ दिया था। सदोम और अमोरा नगरों के समान हमारा पूरी तरह विनाश नहीं किया गया था।
तब इस्राएल के लोगों ने बिन्यामीन के लोगों के पास एक सन्देश भेजा। उन्होंने बिन्यामीन के लोगों के साथ शान्ति—सन्धि करने का प्रस्ताव रखा। बिन्यामीन के लोग रिम्मोन की चट्टान नामक स्थान पर थे।
इस्राएल के लोग बिन्यामीन के प्रदेश में लौटकर गए। जिन नगरों में वे पहुँचे, उन नगरों के आदमियों को उन्होंने मार डाला। उन्होंने सभी जानवरों को भी मार डाला। वे जो कुछ पा सकते थे, उसे नष्ट कर दिया। वे जिस नगर में गए, उसे जला डाला।
उस समय यरूशलेम के चारों ओर का क्षेत्र अराबा मरूभूमि की तरह सूना हो जाएगा। गेब से लेकर नेगब में रिम्मोन तक देश मरूभूमि सा हो जाएगा। किन्तु यरूशलेम का पूरा नगर फिर से, बिन्यामीन द्वार से प्रथम द्वार (अर्थात् कोने का द्वार) और हननेल की मीनार से राजा के दाखमधु निष्कासक तक बनेगा।