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नीतिवचन 18:23 - पवित्र बाइबल

23 गरीब जन तो दया की मांग करता है, किन्तु धनी जन तो कठोर उत्तर देता है।

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Hindi Holy Bible

23 निर्धन गिड़गिड़ा कर बोलता है, परन्तु धनी कड़ा उत्तर देता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

23 गरीब गिड़गिड़ाकर बोलता है, परन्‍तु धनवान सीधे मुंह उत्तर नहीं देता।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

23 निर्धन गिड़गिड़ाकर बोलता है, परन्तु धनी कड़ा उत्तर देता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

23 निर्धन तो गिड़गिड़ाकर बोलता है, परंतु धनी रुखाई से उत्तर देता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

23 संसार में निर्धन व्यक्ति गिड़गिड़ाता रहता है, और धनी उसे कठोरतापूर्व उत्तर देता है.

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नीतिवचन 18:23
18 क्रॉस रेफरेंस  

उन्होंने कहा, “उस देश का प्रशासक हम लोगों से बहुत रूखाई से बोला। उसने सोचा कि हम लोग उस सेना की ओर से भेजे गए हैं जो वहाँ के लोगों को नष्ट करना चाहती है।


यूसुफ ने अपने भाईयों को देखा और उसने उन्हें पहचान लिया कि वे कौन हैं। किन्तु यूसुफ उनसे इस तरह बात करता रहा जैसे वह उन्हें पहचानता ही नहीं। उसने उनके साथ क्रूरता से बात की। उसने कहा, “तुम लोग कहाँ से आए हो?” भाईयों ने उत्तर दिया, “हम कनान देश से आए हैं। हम लोग अन्न खरीदने आए हैं।”


उस समय राजा रहूबियाम ने उनसे कठोर शब्द कहे। उसने अग्रजों की सलाह न मानी।


तब राजा रहूबियाम ने उनसे नीचता से बात की। राजा रहूबियाम ने बुजुर्ग लोगों की सलाह न मानी।


अय्यूब, क्या लिब्यातान आजाद होने के लिये तुझसे विनती करेगा क्या वह तुझसे मधुर बातें करेगा?


किन्तु फ़िरौन ने कहा, “यहोवा कौन है? मैं उसका आदेश क्यों मानूँ? मैं इस्राएलियों को क्यों जाने दूँ? मैं उसे नहीं जानता जिसे तुम यहोवा कहते हो। इसलिए मैं इस्राएलियों को जाने देने से मना करता हूँ।”


निर्धन के सभी सम्बंधी उससे कतराते हैं। उसके मित्र उससे कितना बचते फिरते हैं, यद्यपि वह उन्हें अनुनय—विनय से मनाता रहता है किन्तु वे उसे कहीं मिलते ही नहीं हैं।


धनी दरिद्रों पर शासन करते हैं। उधार लेने वाला, देनेवालों का दास होता है।


मैंने स्वयं ही ये सारी वस्तुएँ रची हैं। ये सारी वस्तुएँ यहाँ टिकी हैं क्योंकि उन्हें मैंने बनाया है। यहोवा ने ये बातें कहीं थी। मुझे बता कि मैं कैसे लोगों की चिन्ता किया करता हूँ मुझको दीन हीन लोगों की चिंता है। ये ही वे लोग हैं जो बहुत दु:खी रहते हैं। ऐसे ही लोगों की मैं चिंता किया करता हूँ जो मेरे वचनो का पालन किया करते हैं।


“धन्य हैं वे जो हृदय से दीन हैं, स्वर्ग का राज्य उनके लिए है।


और तुम जिसने भव्य वस्त्र धारण किए हैं, उसको विशेष महत्त्व देते हुए कहते हो, “यहाँ इस उत्तम स्थान पर बैठो”, जबकि उस निर्धन व्यक्ति से कहते हो, “वहाँ खड़ा रह” या “मेरे पैरों के पास बैठ जा।”


किन्तु तुमने तो उस निर्धन व्यक्ति के प्रति घृणा दर्शायी है। क्या ये धनिक व्यक्ति वे ही नहीं हैं, जो तुम्हारा शोषण करते हैं और तुम्हें कचहरियों में घसीट ले जाते हैं?


वह बहुत सवेरे आई और मुझसे उसने पूछा कि क्या मैं मज़दूरों के पीछे चल सकती हूँ और भूमि पर गिरे अन्न को इकट्ठा कर सकती हूँ और यह तब से काम कर रही है। उसका घर वहाँ है।”


तब सभी लोग जो तुम्हारे परिवार में बचे रहेंगे, आएंगे और इस याजक के आगे झुकेंगे। ये लोग थोड़े धन या रोटी के टुकड़े के लिए भीख मागेंगे। वे कहेंगे, “कृपया याजक का सेवा कार्य हमें दे दो जिससे हम भोजन पा सकें।”’”


किन्तु नाबाल उनके प्रति नीचता से पेश आया। नाबाल ने कहा, “दाऊद है कौन? यह यिशै का पुत्र कौन होता है? इन दिनों बहुत से दास हैं जो अपने स्वामियों के यहाँ से भाग गये हैं!


अब इस विषय में सोचो और निर्णय करो कि तुम क्या कर सकती हो। नाबाल ने जो कुछ कहा वह मूर्खतापूर्ण था। हमारे स्वामी (नाबाल) और उनके सारे परिवार के लिये भयंकर आपत्ति आ रही है।”


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