13 वह, जो शिक्षा को तुच्छ दृष्टि से देखता है, स्वयं अपना विनाश आमंत्रित करता है, किंतु वह, जो आदेश का सम्मान करता है, उत्कृष्ट प्रतिफल प्राप्त करता है.
किन्तु परमेश्वर के लोगों ने परमेश्वर के संदेशवाहकों (नबियों) का मजाक उड़ाया। उन्होंने परमेश्वर के संदेशवाहकों (नबियों) की अनसुनी कर दी। उन्होंने परमेश्वर के संदेश से घृणा की। अन्त में परमेश्वर और अधिक अपना क्रोध न रोक सका। परमेश्वर अपने लोगों पर क्रोधित हुआ और उसे रोकने के लिये कुछ भी नहीं था जिसे किया जा सके।
अब हम अपने परमेश्वर के सामने उन सभी स्त्रियों और उनके बच्चों को वापस भेजने की वाचा करें। हम लोग यह एज्रा की सलाह मानने के लिये और उन लोगों की सलाह मानने के लिये करेंगे जो परमेश्वर के नियमों का सम्मान करते हैं। हम परमेश्वर के नियमों का पालन करेंगें।
मैंने स्वयं ही ये सारी वस्तुएँ रची हैं। ये सारी वस्तुएँ यहाँ टिकी हैं क्योंकि उन्हें मैंने बनाया है। यहोवा ने ये बातें कहीं थी। मुझे बता कि मैं कैसे लोगों की चिन्ता किया करता हूँ मुझको दीन हीन लोगों की चिंता है। ये ही वे लोग हैं जो बहुत दु:खी रहते हैं। ऐसे ही लोगों की मैं चिंता किया करता हूँ जो मेरे वचनो का पालन किया करते हैं।
होशाया का पुत्र अजर्याह, कारेह का पुत्र योहानान और कुछ अन्य लोग घमण्डी और हठी थी। वे लोग यिर्मयाह पर क्रोधित हो गए। उन लोगों ने यिर्मयाह से कहा, “यिर्मयाह, तुम झूठ बोलते हो! हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम से हमें यह कहने को नहीं भेजा, ‘तुम लोगों को मिस्र में रहने के लिये नहीं जाना चाहिये।’
“‘किन्तु इस्राएल का परिवार मरूभूमि में मेरे विरुद्ध उठ खड़ा हुआ। उन्होंने मेरे नियमों का अनुसरण नहीं किया। उन्होंने मेरे नियमों का पालन करने से इन्कार किया और वे नियम अच्छे हैं। यदि कोई व्यक्ति उनका पालन करेगा तो वह जीवित रहेगा। उन्होंने मेरे विशेष विश्राम के दिनों के प्रति ऐसा व्यवहार किया मानो उनका कोई महत्व न हो। वे उन दिनों में अनेकों बार काम करते रहे। मैंने मरूभूमि में उन्हें नष्ट करने का निश्चय किया अर्थात् अपने क्रोध की पूरी शक्ति का अनुभव उन्हें कराना चाहा।
“‘इस्राएल के लोगों ने मेरे नियमों का पालन करने से इन्कार किया। उन्होंने मेरे नियमों का अनुसरण नहीं किया। उन्होंने मेरे विश्राम के दिनों को ऐसे लिया मानो वे महत्व नहीं रखते। उन्होंने ये सभी काम इसलिये किये कि उनका हृदय उन गन्दी देवमूर्तियों का हो चुका था।
“‘इस्राएल के लोगों ने मेरे आदेश का पालन नहीं किया। उन्होंने मेरे नियमों को मानने से इन्कार कर दिया। उन्होंने मेरे विशेष विश्राम के दिनों को ऐसे लिया मानो वे महत्व न रखते हों। उन्होंने अपने पूर्वजों की गन्दी देवमूर्तियों को पूजा।
परमेश्वर के भक्तों ने आपस में बातें कीं और यहोवा ने उनकी सुनी। उसके सामने एक पुस्तक हैं। उस पुस्तक में परमेश्वर के भक्तों के नाम हैं। वे ही लोग है जो यहोवा के नाम का सम्मान करते हैं।
वह व्यक्ति यहोवा के आदेश के विरुद्ध गया है। उसने यहोवा के आदेश का पालन नहीं किया है। उस व्यक्ति को तुम्हारे समूह से अलग कर दिया जाना चाहिए। वह व्यक्ति अपराधी ही रहेगा और दण्ड का भागी होगा!”
तब तुम प्रसन्न रहना, आनन्द से रहना, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हें इसका प्रतिफल मिलेगा। यह वैसा ही है जैसे तुमसे पहले के भविष्यवक्ताओं को लोगों ने सताया था।