“तुम्हें उनसे कहना चाहिए, ‘मेरा स्वामी यहोवा कहता है: मैं अपनी जीवन की शपथ खाकर विश्वास दिलाता हूँ कि मैं लोगों को मरता देख कर आनन्दित नहीं होता, पापी व्यक्तियों को भी नहीं। मैं नहीं चाहता कि वे मरें। मैं उन पापी व्यक्तियों को अपने पास लौटाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि वे अपने जीवन को बदलें जिससे वे जीवित रह सकें। अत: मेरे पास लौटो! बुरे काम करना छोड़ो! इस्राएल के परिवार, तुम्हें मरना ही क्यों चाहिए?’
इसके बाद, मैं तुम सब पर अपनी आत्मा उंडेलूँगा। तुम्हारे पुत्र—पुत्रियाँ भविष्यवाणी करेंगे। तुम्हारे बूढ़े दिव्य स्वप्नों को देखेंगे। तुम्हारे युवक दर्शन करेंगे।
तब तक ऐसा ही होता रहेगा, जब तक परमेश्वर ऊपर से हमें अपनी आत्मा नहीं देगा। अब धरती पर कोई अच्छाई नहीं है। यह रेगिस्तान सी बनी हुई हैं किन्तु आने वाले समय में यह रेगिस्तान उपजाऊ मैदान हो जायेगा।
बल्कि उसके विपरीत मैं पहले उन्हें दमिश्क में, फिर यरूशलेम में और यहूदिया के समूचे क्षेत्र में और ग़ैर यहूदियों को भी उपदेश देता रहा कि मनफिराव के, परमेश्वर की ओर मुड़े और मनफिराव के योग्य काम करें।
सो बुरे होते हूए भी जब तुम जानते हो कि अपने बच्चों को उत्तम उपहार कैसे दिये जाते हैं, तो स्वर्ग में स्थित परम पिता, जो उससे माँगते हैं, उन्हें पवित्र आत्मा कितना अधिक देगा।”
मैं दाऊद के घर और यरूशलेम के निवासियों के हृदय में दया और करूणा की भावनाबरूंगा। वे मेरी ओर देखेंगे, जिसे उन्होंने छेद डाला था और वे बहुत दुखी होंगे वे इतने ही दुखी होंगे। वे इतने ही दुखी होंगे, जितना अपने इकलौते पुत्र की मृत्यु पर रोने वाला व्यक्ति, या अपने पहलौठे पुत्र की मृत्यु पर रोनेवाला व्यक्ति।
“उपर आकाश से पुण्य ऐसे बरसता है जैसे मेघ से वर्षा धरती पर बरसती है! धरती खुल जाती है और पुण्य कर्म उसके साथ—साथ उग आते हैं जो मुक्ति में फलते फूलते हैं। मैंने, मुझ यहोवा ने ही यह सब किया है।
“अभक्त लोगों, मेरे पास लौट आओ।” यह सन्देश यहोवा का था। “मैं तुम्हारा स्वामी हूँ। मैं हर एक नगर से एक व्यक्ति लूँगा और हर एक परिवार से दो व्यक्ति और तुम्हें सिय्योन पर लाऊँगा।
तुमको पता चल जायेगा कि मैं इस्राएली लोगों के साथ हूँ। तुमको पता चल जायेगा कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ और कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है। मेरे लोग फिर कभी लज्जित न होंगे।