हीराम की माँ नप्ताली परिवार समूह से इस्राएली थी। उसका मृत पिता सोर का था। हीराम काँसे से चीज़ें बनाता था। वह बहुत कुशल और अनुभवी कारीगर था। अत: राजा सुलैमान ने उसे आने के लिये कहा और हीराम ने उसे स्वीकार किया। इसलिये राजा सुलैमान ने हीराम को काँसे के सभी कामों का अधीक्षक बनाया। हीराम ने काँसे से निर्मित सभी चीज़ों को बनाया।
“अब, मेरे पास सोना, चाँदी, काँसा और लोहे के काम करने में एक कुशल व्यक्ति को भेजो। उस व्यक्ति को इसका ज्ञान होना चाहिए कि बैंगनी, लाल, और नीले कपड़ों का उपयोग कैसे किया जाता है। उस व्यक्ति को यहाँ यहूदा और यरूशलेम में मेरे कुशल कारीगरों के साथ नक्काशी करनी होगी। मेरे पिता दाऊद ने इन कुशल कारीगरों को चुना था।
यहोवा ने मूसा से कहा, “पवित्त्र तम्बू दस कनातों से बनाओ। इन कनातों को अच्छे रेशम तथा नीले, लाल और बैंगनी कपड़ों से बनाओ। किसी कुशल कारीगर को चाहिए कि वह करूबों को पंख सहित कनातों पर काढ़े।
“महायाजक के लिए सीनाबन्द बनाओ। कुशल कारीगर इस सीनाबन्द को वैसे ही बनाएं जैसे एपोद को बनाया। वे सुनहरे धागे, सन के उत्तम रेशों तथा नीले, लाल और बैंगनी कपड़े का उपयोग करें।