हीराम की माँ नप्ताली परिवार समूह से इस्राएली थी। उसका मृत पिता सोर का था। हीराम काँसे से चीज़ें बनाता था। वह बहुत कुशल और अनुभवी कारीगर था। अत: राजा सुलैमान ने उसे आने के लिये कहा और हीराम ने उसे स्वीकार किया। इसलिये राजा सुलैमान ने हीराम को काँसे के सभी कामों का अधीक्षक बनाया। हीराम ने काँसे से निर्मित सभी चीज़ों को बनाया।
बसलेल ने एक काँसे की वेदी बनाई थी। बसलेल ऊरी का पुत्र था। वह काँसे की वेदी गिबोन में पवित्र तम्बू के सामने थी। इसलिये सुलैमान और वे लोग यहोवा से राय लेने गिबोन गए।
मूसा ने यहोवा से कहा, “तूने मुझे इन लोगों को ले चलने को कहा। किन्तु तूने यह नहीं बताया कि मेरे साथ किसे भेजेगा। तूने मुझसे कहा, ‘मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता हूँ और मैं तुमसे प्रसन्न हूँ।’
“इसलिए, बसलेल, ओहोलीआब और सभी निपुण व्यक्ति उन कामों को करेंगे जिनका आदेश यहोवा ने दिया है। यहोवा ने इन व्यक्तियों को उन सभी निपुण काम करने की बुद्धि और समझ दे रखी है जिनकी आवश्यकता इस पवित्र स्थान को बनाने के लिए है।”
दान के परिवार समूह से अहीसामाक के पुत्र ओहोलीआब ने भी उसे सहायता दी। ओहोलीआब एक निपुण कारीगर और शिल्पकार था। वह सन के उत्तम रेशों और नीले, बैंगनी और लाल कपड़े बुनने में निपुण था।