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निर्गमन 20:15 - पवित्र बाइबल

15 “तुम्हें चोरी नहीं करनी चाहिए।

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Hindi Holy Bible

15 तू चोरी न करना॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 ‘तू चोरी न करना।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 “तू चोरी न करना।

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15 “तू चोरी न करना।

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15 तुम चोरी नहीं करना.

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निर्गमन 20:15
25 क्रॉस रेफरेंस  

मैं यह इसलिए कह रहा हूँ, “व्यभिचार मत कर, हत्या मत कर, चोरी मत कर, लालच मत रख।” और जो भी दूसरी व्यवस्थाएँ हो सकती हैं, इस वचन में समा जाती हैं, “तुझे अपने साथी को ऐसे ही प्यार करना चाहिए, जैसे तू अपने आप को करता है।”


जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।


“तुम्हें चोरी नहीं करनी चाहिए। तुम्हें लोगों को ठगना नहीं चाहिए। तुम्हें आपस में झूठ नहीं बोलना चाहिए।


“तुम्हें अपने पड़ोसी को धोखा नहीं देना चाहिए। तुम्हें उसकी चोरी नहीं करनी चाहिए। तुम्हें मजदूर की मजदूरी पूरी रात, सवेरे तक नही रोकनी चाहिए।


उसने यीशु से पूछा, “कौन से आदेश?” तब यीशु बोला, “हत्या मत कर। व्यभिचार मत कर। चोरी मत कर। झूठी गवाही मत दे।


लुटेरे, लालची, पियक्कड़, चुगलखोर और ठग परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे।


उसने यह बात इसलिये नहीं कही थी कि उसे गरीबों की बहुत चिन्ता थी बल्कि वह तो स्वयं एक चोर था। और रूपयों की थैली उसी के पास रहती थी। उसमें जो डाला जाता उसे वह चुरा लेता था।


यहोवा छल के तराजू से घृणा करता है, किन्तु उसका आनन्द सही नाप—तौल है।


“यदि कोई व्यक्ति अपने लोगों (इस्राएलियों) में से किसी का अपहरण करता हुआ पाया जाये और वह उसका उपयोग दास के रूप में करता हो या उसे बेचता हो तो वह अपहरण करने वाला अवश्य मारा जाना चाहिए। इस प्रकार तुम अपने बीच से इस बुराई को दूर करोगे।


यह भी परमेश्वर की इच्छा है कि इस विषय में कोई अपने भाई के प्रति कोई अपराध न करे या कोई अनुचित लाभ न उठाये, क्योंकि ऐसे सभी पापों के लिए प्रभु दण्ड देगा जैसा कि हम तुम्हें बता ही चुके हैं और तुम्हें सावधान भी कर चुके हैं।


वह उनसे बोला, “शास्त्र कहते हैं, ‘मेरा घर प्रार्थना-गृह कहलायेगा। किन्तु तुम इसे डाकुओं का अड्डा बना रहे हो।’”


लोग दोनों हाथों से बुरा करने में पारंगत हैं। अधिकारी लोग रिश्वत माँगते हैं। न्यायाधीश अदालतों में फैसला बदलने के लिये धन लिया करते हैं। “महत्वपूर्ण मुखिया” खरे और निष्पक्ष निर्णय नहीं लेते हैं। उन्हें जैसा भाता है, वे वैसा ही काम करते हैं।


“यदि कोई व्यक्ति किसी को दास के रूप में बेचने या अपना दास बनाने के लिए चुराए तो उसे अवश्य मार दिया जाए।


क्योंकि बुरे विचार, हत्या, व्यभिचार, दुराचार, चोरी, झूठ और निन्दा जैसी सभी बुराईयाँ मन से ही आती हैं।


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