17 तू उन्हें पहुचाकर अपने निज भाग वाले पहाड़ पर बसाएगा, यह वही स्थान है, हे यहोवा जिसे तू ने अपने निवास के लिये बनाया, और वही पवित्रस्थान है जिसे, हे प्रभु, तू ने आप स्थिर किया है॥
17 ‘हे प्रभु, तू अपने उस पर्वत पर, अपने उस स्थान पर, जिसे तूने अपने निवास-स्थान के लिए बनाया है, उन्हें पहुँचाएगा। हे प्रभु, अपने पवित्र स्थान पर, जिसे तेरे हाथों ने स्थापित किया है, तू उन्हें रोपेगा।
17 तू उन्हें पहुँचाकर अपने निज भागवाले पहाड़ पर बसाएगा, यह वही स्थान है, हे यहोवा, जिसे तू ने अपने निवास के लिये बनाया, और वही पवित्रस्थान है जिसे, हे प्रभु, तू ने आप ही स्थिर किया है।
17 हे यहोवा, तू उन्हें अपने निज भाग के पर्वत पर लाएगा और उन्हें वहाँ बसाएगा, जिसे तूने अपने निवास अर्थात् पवित्रस्थान के लिए बनाया है, और जिसे हे प्रभु, तेरे हाथों ने स्थिर किया है।
और मैं अपने लोग इस्राएलियों के लिये एक स्थान चुनूँगा। मैं इस्राएलियों को इस प्रकार जमाऊँगा कि वे अपनी भूमि पर रह सकें। तब वे फिर कभी हटाये नहीं जा सकेंगे। अतीत में मैंने अपने इस्राएल के लोगों को मार्गदर्शन के लिये न्यायाधीशों को भेजा था और पापी व्यक्तियों ने उन्हें परेशान किया। अब वैसा नहीं होगा। मैं तुम्हें तुम्हारे सभी शत्रुओं से शान्ति दूँगा। मैं तुमसे यह भी कहता हूँ कि मैं तुम्हारे परिवार को राजाओं का परिवार बनाऊँगा।
प्रचीन काल में, तूने हमें एक अति महत्वपूर्ण पौधे सा समझा। तू अपनी दाखलता मिस्र से बाहर लाया। तूने दूसरे लोगों को यह धरती छोड़ने को विवश किया और यहाँ तूने अपनी निज दाखलता रोप दी।
परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हारे सामने एक दूत भेज रहा हूँ। यह दूत तुम्हें उस स्थान तक ले जाएगा जिसे मैंने तुम्हारे लिए तैयार किया है। यह दूत तुम्हारी रक्षा करेगा।
इसलिए जाओ और लोगों को वहाँ ले जाओ जहाँ मैं कहता हूँ। मेरा दूत तुम्हारे आगे आगे चलेगा और तुम्हें रास्ता दिखाएगा। जब उन लोगों को दण्ड देने का समय आएगा जिन्होंने पाप किया है तब उन्हें दण्ड दिया जायेगा।”
इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: “मैं यहूदा के लोगों के लिये फिर अच्छा काम करूँगा। उस समय यहूदा देश और उसके नगरों के लोग इन शब्दों का उपयोग फिर करेंगे: ‘ऐ सच्ची निवास भूमि ये पवित्र पर्वत यहोवा तुम्हें आशीर्वाद दे।’
वे मुझे प्रसन्न करेंगे। मैं उनका भला करने में आनन्दित होऊँगा और मैं, निश्चय ही, उन्हें इस धरती में बसाऊँगा और उन्हें बढ़ाऊँगा। यह मैं अपने पूरे हृदय और आत्मा से करूँगा।’”
मैं उनके साथ एक शान्ति—सन्धि करूँगा। यह सन्धि सदा बनी रहेगी। मैं उनको उनका देश देना स्वीकार करता हूँ। मैं उन्हें बहुसंख्यक लोग बनाना स्वीकार करता हूँ। मैं अपना पवित्र स्थान वहाँ उनके साथ सदा के लिये रखना स्वीकार करता हूँ।
वे लोगों का आहवान करेंगे अपने गिरि पर, वहाँ करेंगे भेंट सभी सच्ची बलि क्यों? क्योंकि वे लोग सागर से निकालते हैं धन और पाएंगे बालू में छिपा हुआ जो धन है।”
“‘यदि तुम्हारा प्रदेश उपासना के लिये उपयुक्त नहीं है तो हमारे प्रदेश में आओ। यहोवा का तम्बू हमारे प्रदेश में है। तुम हमारे कुछ प्रदेश ले सकते हो और उनमें रह सकते हो। किन्तु यहोवा के विरुद्ध मत होओ। अन्य वेदी मत बनाओ। हम लोगों के पास पहले से ही अपने परमेश्वर यहोवा की वेदी मिलापवाले तम्बू में है।