13 इसके बाद मैंने अपने कपड़ों की सलवटें फाड़ते हुए कहा, “हर उस व्यक्ति के साथ, जो अपने वचन को नहीं निभायेगा, परमेश्वर तद्नुकूल करेगा। परमेश्वर उन्हें उनके घरों से उखाड़ देगा और उन्होंने जिन भी वस्तुओं के लिये काम किया है वे सभी उनके हाथ से जाती रहेंगी। वह व्यक्ति अपना सब कुछ खो बैठेगा!” मैंने जब इन बातों का कहना समाप्त किया तो सभी लोग इनसे सहमत हो गये। वे सभी बोले, “आमीन!” और फिर उन्होंने यहोवा की प्रशंसा की और इस प्रकार जैसा उन्होंने वचन दिया था, वैसा ही किया
13 फिर मैं ने अपने कपड़े की छोर झाड़ कर कहा, इसी रीति से जो कोई इस वचन को पूरा न करे, उसको परमेश्वर झाड़ कर, उसका घर और कमाई उस से छुड़ाए, और इसी रीति से वह झाड़ा जाए, और छूछा हो जाए। तब सारी सभा ने कहा, आमेन! और यहोवा की स्तुति की। और लोगों ने इस वचन के अनुसार काम किया।
13 फिर मैंने अपना पल्ला झाड़कर कहा, ‘जो व्यक्ति इस वचन का पालन नहीं करेगा, उसको परमेश्वर इसी प्रकार झाड़ेगा। परमेश्वर उस व्यक्ति को उसके मकान, और उसकी धन-सम्पत्ति से झाड़ देगा, और उसको सब वस्तुओं से वंचित कर देगा।’ आम-सभा में उपस्थित सब लोगों ने कहा, ‘आमेन, ऐसा ही हो!’ सभा ने परमेश्वर की स्तुति की। धनी यहूदियों और सरकारी अफसरों ने अपने वचन को पूरा किया।
13 फिर मैं ने अपने कपड़े की छोर झाड़कर कहा, “इसी रीति से जो कोई इस वचन को पूरा न करे, उसको परमेश्वर झाड़कर, उसका घर और कमाई उससे छुड़ाए, और इसी रीति से वह झाड़ा जाए, और छूछा हो जाए।” तब सारी सभा ने कहा, “आमीन!” और यहोवा की स्तुति की। तब लोगों ने इस वचन के अनुसार काम किया।
13 तब मैंने अपने बाहरी कपड़े के सामने का छोर झटकते हुए कहा, “परमेश्वर ऐसे हर एक मनुष्य को उसके घर से और उसकी संपत्ति से ठीक उसी प्रकार झटक दे, जो इस शपथ को पूरी न करेगा, यहां तक कि उसे इस तरह हिला दिया जाए कि वह पूरी तरह खाली ही हो जाए.” यह सुन सारी सभा कह उठी, “आमेन!” और उनके मुंह से याहवेह की स्तुति निकली. लोगों ने अपनी शपथ के अनुसार ही किया.
13 फिर मैंने अपने कपड़े की छोर झाड़कर कहा, “इसी रीति से जो कोई इस वचन को पूरा न करे, उसको परमेश्वर झाड़कर, उसका घर और कमाई उससे छुड़ाए, और इसी रीति से वह झाड़ा जाए, और कंगाल हो जाए।” तब सारी सभा ने कहा, “आमीन!” और यहोवा की स्तुति की। और लोगों ने इस वचन के अनुसार काम किया।
राजा स्तम्भ के पास खड़ा हुआ और उसने यहोवा के साथ वाचा की। उसने यहोवा का अनुसरण करना, उसकी आज्ञा, वाचा और नियमों का पालन करना स्वीकार किया। उसने पूरी आत्मा और हृदय से यह करना स्वीकार किया। उसने उस पुस्तक में लिखी वाचा को मानना स्वीकार किया। सभी लोग यह प्रकट करने के लिये खड़े हुए कि वे राजा की वाचा का समर्थन करते हैं।
एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा की स्तुति की और सभी लोगों ने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए एक स्वर में कहा, “आमीन! आमीन!” और फिर सभी लोगों ने अपने सिर नीचे झुका दिये और धरती पर दण्डवत करते हुए यहोवा की उपासना की।
सचमुच जिस बलि की परमेश्वर को अपेक्षा है, वह तुम्हारी स्तुति है। तुम्हारी मनौतियाँ उसकी सेवा की हैं। सो परमेश्वर को निज धन्यवाद की भेटें चढ़ाओ। उस सर्वोच्च से जो मनौतियाँ की हैं उसे पूरा करो।
लोग परमेश्वर की मन्नतें मानेंगे और वे उन वस्तुओं को जिनकी मन्नतें उन्होंने मानीं हैं, यहोवा को अर्पण करेंगे। लोग हर किसी स्थान से उस परमेश्वर को उपहार लायेंगे।
याजक को कहना चाहिए, तुम इस जल को लोगी जो तुम्हारे शरीर में परेशानी उत्पन्न करेगा। यदि तुमने पाप किया है तो तुम बच्चों को जन्म नहीं दे सकोगी और यदि तुम्हारा कोई बच्चा गर्भ में है तो वह जन्म लेने के पहले मर जाएगा। तब स्त्री को कहना चाहिएः मैं वह स्वीकार करती हूँ जो आप कहते हैं।
सो जब उन्होंने उसका विरोध किया और उससे भला बुरा कहा तो उसने उनके विरोध में अपने कपड़े झाड़ते हुए उनसे कहा, “तुम्हारा खून तुम्हारे ही सिर पड़े। उसका मुझ से कोई सरोकार नहीं है। अब से आगे मैं ग़ैर यहूदियों के पास चला जाऊँगा।”
क्योंकि यदि तू केवल अपनी आत्मा से ही कोई आशीर्वाद दे तो वहाँ बैठा कोई व्यक्ति जो बस सुन रहा है, तेरे धन्यवाद पर “आमीन” कैसे कहेगा क्योंकि तू जो कह रहा है, उसे वह जानता ही नहीं।
शमूएल ने शाऊल से कहा, “तुमने मेरे लबादे को फाड़ दिया। इसी प्रकार यहोवा ने आज इस्राएल के राज्य को तुमसे फाड़ दिया है। यहोवा ने राज्य तुम्हारे मित्रों में से एक को दे दिया है। वह व्यक्ति तुमसे अच्छा है।