11 सो मैंने उन अधिकारियों से कहा कि वे गलत हैं। मैंने उन से पूछा, “तुमने परमेश्वर के मन्दिर की देखभाल क्यों नहीं की?” मैंने सभी लेवीवंशियों को इकट्ठा किया और मन्दिर में उनके स्थानों और उनके कामों पर वापस लौट आने को कहा।
11 अत: मैंने प्रशासकों को डांटकर पूछा, ‘उपपुरोहितों और गायकों ने परमेश्वर के भवन को क्यों छोड़ा?’ मैंने उपपुरोहितों और गायकों को फिर एकत्र किया, और उनके पहले के स्थान पर उन्हें पुन: नियुक्त किया।
11 इसलिये मैंने अधिकारियों को फटकार लगाई, “परमेश्वर का भवन क्यों छोड़ दिया गया है?” तब मैंने उन सबको वापस बुलाकर उन्हें सेवा के काम पर दोबारा नियुक्त कर दिया.
इस्राएल के लोगों और लेवीवंशियों को चाहिये कि वे अपने उपहारों को कोठियारों में ले आयें। उपहार के अन्न, नयी दाखमधु और तेल को उन्हें वहाँ ले आना चाहिये। मन्दिर में काम आने वाली सभी वस्तुएँ उन कोठियारों में रखी जाती हैं और अपने कार्य पर नियुक्त याजक, गायक और द्वारपालों के कमरे भी वही थे। “हम सभी प्रतिज्ञा करते हैं कि हम अपने परमेश्वर के मन्दिर की देख—रेख किया करेंगे!”
मैंने यहूदा के महत्वपूर्ण लोगों से कहा, कि वे ठीक नहीं कर रहे हैं। उन महत्वपूर्ण लोगों से मैंने कहा, “तुम यह बहुत बुरा काम कर रहे हो। तुम सब्त के दिन को भ्रष्ट कर रहे हो। तुम सब्त के दिन को एक आम दिन जैसा बनाये डाल रहे हो।
सो मैंने उन लोगों से कहा कि वे गलती पर हैं। उन पर परमेश्वर का कहर बरसा हो। कुछ लोगों पर तो मैं चोट ही कर बैठा और मैंने उनके बाल उखाड़ लिये। परमेश्वर के नाम पर एक प्रतिज्ञा करने के लिए मैंने उन पर दबाव डाला। मैंने उनसे कहा, “उन पराये लोगों के पुत्रों के साथ तुम्हें अपनी पुत्रियों को ब्याह नहीं करना है और उन पराये लोगों की पुत्रियों को भी तुम्हें अपने पुत्रों से ब्याह नहीं करने देना है। उन लोगों की पुत्रियों के साथ तुम्हें ब्याह नहीं करना है।
क्यों क्योंकि लोग कहा करते हैं कि मैं उससे कभी नहीं डरा। मैं कभी चुप न रहा और मैंने कभी बाहर जाने से मना नहीं किया क्योंकि उन लोगों से जो मेरे प्रति बैर रखते हैं कभी नहीं डरा।