13 वे सभी भयानक बातें हमारे साथ भी घटीं। यह बातें ठीक वैसे ही घटीं, जैसे मूसा के व्यवस्था के विधान में लिखी हुई हैं। किन्तु हमने अभी भी परमेश्वर से सहारा नहीं माँगा है! हमने अभी भी पाप करना नहीं छोड़ा है। हे यहोवा, तेरे सत्य पर हम अभी भी ध्यान नहीं देते।
13 जैसे मूसा की व्यवस्था में लिखा है, वैसे ही यह सारी विपत्ति हम पर आ पड़ी है, तौभी हम अपने परमेश्वर यहोवा को मनाने के लिये न तो अपने अधर्म के कामों से फिरे, और ने तेरी सत्य बातों पर ध्यान दिया।
13 मूसा की व्यवस्था में लिखित समस्त विपत्तियाँ हम पर पड़ीं, तो भी हमने अपने प्रभु परमेश्वर की कृपा-दृष्टि प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं किया और न हम अपने अधर्ममय आचरण को छोड़कर तेरे सत्य वचन सुनने को तत्पर हुए।
13 जैसे मूसा की व्यवस्था में लिखा है, वैसे ही यह सारी विपत्ति हम पर आ पड़ी है, तौभी हम अपने परमेश्वर यहोवा को मनाने के लिये न तो अपने अधर्म के कामों से फिरे, और न तेरी सत्य बातों पर ध्यान दिया।
13 जैसा कि मोशेह के कानून में लिखा है, ये सारी विपत्ति हम पर आ पड़ी है, फिर भी हमने न तो याहवेह हमारे परमेश्वर का अनुग्रह पाने का यत्न किया है, और न ही अपने पापों को छोड़कर आपकी सच्चाई पर ध्यान दिया है.
13 जैसे मूसा की व्यवस्था में लिखा है, वैसे ही यह सारी विपत्ति हम पर आ पड़ी है, तो भी हम अपने परमेश्वर यहोवा को मनाने के लिये न तो अपने अधर्म के कामों से फिरे, और न तेरी सत्य बातों पर ध्यान दिया।
इस्राएल का कोई भी व्यक्ति तेरी शिक्षाओं पर नहीं चला। वे सभी भटक गये थे। उन्होंने तेरे आदेशों का पालन नहीं किया। मूसा, (जो परमेश्वर का सेवक था) की व्यवस्था के विधान में शापों और वादों का उल्लेख हुआ है। वे शाप और वादे व्यवस्था के विधान पर नहीं चलने के दण्ड का बखान करते हैं और वे सभी बातें हमारे संग घट चुकी हैं क्योंकि हमने यहोवा के विरोध में पाप किये हैं।
“यहूदा के लोगों, मैंने तुम्हारे लोगों को दण्ड दिया, किन्तु इसका कोई परिणाम न निकला। तुम तब लौट कर नहीं आए जब दण्डित किये गये। तुमने उन नबियों को तलवार के घाट उतारा जो तुम्हारे पास आए। तुम खूंखार सिंह की तरह थे और तुमने नबियों को मार डाला।”
परमेश्वर यद्यपि लोगों को दण्ड देगा, किन्तु वे फिर भी पाप करना नहीं छोंड़ेंगे। वे परमेश्वर की ओर नहीं मुड़ेंगे। वे सर्वशक्तिमान यहोवा का अनुसरण नहीं करेंगे।
एप्रैम का अहंकार उसके विरोध में बोलता है। लोगों ने बहुतेरी यातनायें झेली हैं किन्तु वे अब भी अपने परमेश्वर यहोवा के पास नहीं लौटे हैं। लोग उसकी शरण में नहीं गये थे।
मैंने एप्रैम को रोते सुना है। मैंने एप्रैम को यह कहते सुना है: ‘हे यहोवा, तूने, सच ही, मुझे दण्ड दिया है और मैंने अपना पाठ सीख लिया। मैं उस बछड़े की तरह था जिसे कभी प्रशिक्षण नहीं मिला कृपया मुझे दण्ड देना बन्द कर, मैं तेरे पास वापस आऊँगा। तू सच ही मेरा परमेश्वर यहोवा है।
हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि तू लोगों में सच्चाई देखना चाहता है। तूने यहूदा के लोगों को चोट पहुँचाई, किन्तु उन्होंने किसी पीड़ा का अनुभव नहीं किया। तूने उन्हें नष्ट किया, किन्तु उन्होंने अपना सबक सीखने से इन्करा कर दिया। वे बहुत हठी हो गए। उन्होंने अपने पापों के लिये पछताने से इन्कार कर दिया।
“ऐसे लोग जिनको परवाह परमेश्वर की वे सदा कड़वाहट से भरे रहे है। यहाँ तक कि जब परमेश्वर उनको दण्ड देता हैं, वे परमेश्वर से सहारा पाने को विनती नहीं करते।
मुझे कोई संदेह नहीं है कि तुमने उसके विषय में सुना है; और वह सत्य जो यीशु में निवास करता है, उसके अनुसार तुम्हें उसके शिष्यों के रूप में शिक्षित भी किया गया है।
वे कभी मन से मुझे नहीं पुकारते हैं। हाँ, बिस्तर में पड़े हुए वे पुकारा करते हैं। जब वे नया अन्न और नयी दाखमधु मांगते हैं तब पूजा के अंग के रूप में वे अपने अगों को स्वंय काटा करते हैं। किन्तु वे अपने हृदय में मुझ से दूर हुये हैं।
मैं यहूदा के उन लोगों पर नजर रख रहा हूँ। किन्तु मैं उन पर नजर उनकी देखरेख के लिये नहीं रख रहा हूँ। मैं उन पर चोट पहुँचाने के लिये नजर रख रहा हूँ। मिस्र में रहने वाले यहूदा के लोग भूख से मरेंगे और तलवार से मारे जायेंगे। वे तब तक मरते चले जायेंगे जब तक वे समाप्त नहीं होंगे।
हम तेरी उपासना नहीं करते हैं। हम को तेरे नाम में विश्वास नहीं है। हम में से कोई तेरा अनुसरण करने को उत्साही नहीं है। इसलिये तूने हमसे मुख मोड़ लिया है। क्योंकि हम पाप से भरे हैं इसलिये तेरे सामने हम असमर्थ हैं।
उन लोगों को धिक्कार है जो सहायता पाने के लिये मिस्र की ओर उतर रहे हैं। ये लोग घोड़े चाहते हैं। उनका विचार है, घोड़े उन्हें बचा लेंगे। लोगों को आशा है कि मिस्र के रथ और घुड़सवार सैनिक उन्हें बचा लेंगे। लोग सोचते हैं कि वे सुरक्षित इसलिये हैं कि वह एक विशाल सेना है। लोग इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर भरोसा नहीं रखते। लोग यहोवा से सहायता नहीं माँगते।
‘यहोवा यह कहता हैः मैं इस स्थान पर विपत्ति ला रहा हूँ और उन मनुष्यों पर भी जो यहाँ रहते हैं। ये विपत्तियाँ हैं जिन्हें उस पुस्तक में लिखा गया है जिसे यहूदा के राजा ने पढ़ा है।
तुम अनेक राष्ट्रों के मित्र बने हो, किन्तु वे राष्ट्र तुम्हारी परवाह नहीं करते। तुम्हारे मित्र तुम्हें भूल गए हैं। मैंने तुम्हें शत्रु जैसी चोट पहुँचाई। मैंने तुम्हें कठोर दण्ड दिया। मैंने यह तुम्हारे बड़े अपराध के लिये किया।
वे सभी बुरी घटनायें तुम्हारे साथ घटी क्योंकि तुमने अन्य देवताओं को बलि भेंट की। तुमने यहोवा के विरुद्ध पाप किये। तुमने यहोवा की आज्ञा का पालन नहीं किया। तुमने उसके उपदेशों या उसके दिये नियमों का अनुसरण नहीं किया। तुमने उसके साथ की गयी वाचा का पालन नहीं किया।”
ये सारी बातें क्यों होंगी क्योंकि तुमने वह याद नहीं रखा कि तुम्हारे साथ बचपन में क्या घटित हुआ था। तुमने वे सभी बुरे पाप किये और मुझे क्रोधित किया। इसलिये उन बुरे पापों के लिये मुझे तुमको दण्ड देना पड़ा। किन्तु तुमने और भी अधिक भयंकर योजनाएँ बनाई।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।