21 इसके बाद लोगों से दूर भाग जाने के लिये नबूकदनेस्सर को विवश किया गया। उसकी बुद्धि किसी पशु जैसी हो गयी। वह जंगली गधों के बीच में रहने लगा और ढोरों की तरह घास खाता रहा। वह ओस में भीगा। जब तक उसे सबक नहीं मिल गया, उसके साथ ऐसा ही होता गया। फिर उसे यह ज्ञान हो गया कि मनुष्य के राज्य पर परम प्रधान परमेश्वर का ही शासन है और साम्राज्यों के ऊपर शासन करने के लिये वह जिस किसी को भी चाहता है, भेज देता है।
21 वह मनुष्यों में से निकाला गया, और उसका मन पशुओं का सा, और उसका निवास जंगली गदहों के बीच हो गया; वह बैलों की नाईं घास चरता, और उसका शरीर आकाश की ओस से भीगा करता था, जब तक कि उसने जान न लिया कि परमप्रधान परमेश्वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहता उसी को उस पर अधिकारी ठहराता है।
21 वह मनुष्य-समाज से बहिष्कृत कर दिए गए और उनका हृदय पशु के हृदय के सदृश बन गया। वह जंगली गधों के साथ जंगल में रहते थे। वह बैल के समान घास खाया करते थे। उनका शरीर आकाश की ओस से भीगा करता था। तब उन्हें अनुभव हुआ कि केवल सर्वोच्च परमेश्वर ही मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है और वह जिसको चाहता है, उसको राजा के रूप में प्रतिष्ठित करता है।
21 वह मनुष्यों में से निकाला गया, और उसका मन पशुओं का सा, और उसका निवास जंगली गदहों के बीच हो गया; वह बैलों के समान घास चरता, और उसका शरीर आकाश की ओस से भींगा करता था, जब तक कि उसने जान न लिया कि परमप्रधान परमेश्वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहता उसी को उस पर अधिकारी ठहराता है।
21 उसे लोगों के बीच से भगा दिया गया और उसे एक जानवर का मन दिया गया; वह जंगली गधों के साथ रहता था और बैल की तरह घांस खाता था; और उसका शरीर आकाश के ओस से भीगता था, यह तब तक होता रहा, जब तक कि उसने यह न मान लिया कि पृथ्वी पर सब राज्यों के ऊपर सर्वोच्च परमेश्वर ही परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं उसे उन राज्यों पर शासक ठहराते हैं.
21 वह मनुष्यों में से निकाला गया, और उसका मन पशुओं का सा, और उसका निवास जंगली गदहों के बीच हो गया; वह बैलों के समान घास चरता, और उसका शरीर आकाश की ओस से भीगा करता था, जब तक कि उसने जान न लिया कि परमप्रधान परमेश्वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहता उसी को उस पर अधिकारी ठहराता है।
हे राजा नबूकदनेस्सर, प्रजा से दूर चले जाने के लिये आपको विवश किया जायेगा। जंगली पशुओं के बीच आपको रहना होगा। मवेशियों के समान आप घास से पेट भरेंगे और ओस से भीगेंगे सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे और फिर उसके बाद तुम यह पाठ पढ़ोगे कि परम प्रधान परमेश्वर मनुष्यों के साम्राज्यों पर शासन करता है और वह जिसे भी चाहता है, उसको राज्य दे देता है।
तब अन्य वृक्ष उसे जानेंगे कि मैं ऊँचे वृक्षों को भूमि पर गिराता हूँ। और मैं छोटे वृक्षों को बढ़ाता और उन्हें लम्बा बनाता हूँ। मैं हरे वृक्षों को सुखा देता हूँ। और मैं सूखे वृक्षों को हरा करता हूँ। मैं यहोवा हूँ। यदि मैं कहूँगा कि मैं कुछ करुँगा तो मैं उसे अवश्य करूँगा!”
इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।
“एक पवित्र स्वर्गदूत ने इस दण्ड की घोषणा की थी ताकि धरती के सभी लोगों को यह पता चल जाये कि मनुष्यों के राज्यों के ऊपर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है। परमेश्वर जिसे भी चाहता है। इन राज्यों को दे देता है और परमेश्वर उन राज्यों पर शासन करने के लिये विनम्र मनुष्यों को चुनता है।
और देखो अब मैं, नबूकदनेस्सर स्वर्ग के राजा की स्तुति करता हूँ तथा उसे आदर और महिमा देता हूँ। वह जो कुछ करता है, ठीक करता है। वह सदा न्यायपूर्ण है। उसमें अहंकारी लोगों को विनम्र बना देने की क्षमता है!
फिर उस समय के अंत में मैं (नकूबदनेस्सर) ने ऊपर स्वर्ग की ओर देखा। मैं फिर सही ढ़ंग से सोचने विचारने लगा। सो मैंने परम प्रधान परमेश्वर की स्तुति की, जो सदा अमर है, मैंने उसे आदर और महिमा प्रदान की। परमेश्वर शासन सदा करता है! उसका राज्य पीढ़ी दर पीढ़ीबना रहता है।
वह बड़े ऊँचे स्वर में बोला। उसने कहा, ‘वृक्ष को काट फेंको। इसकी टहनियों को काट डालो। इसकी पत्तियों को नोच लो। इसके फलों को चारों ओर बिखेर दो। इस वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए पशु कहीं दूर भाग जायेंगे। इसकी शाखाओं पर बसेरा किये हुए पक्षी कहीं उड़ जायेंगे।
हे राजन, वह वृक्ष आप ही हैं। आप महान और शक्तिशाली बन चुके हैं। आप उस ऊँचे वृक्ष के समान हैं जिसने आकाश छू लिया है और आपकी शक्ति धरती के सुदूर भागों तक पहुँची हुई है।
“वृक्ष के तने और उसकी जड़ों को धरती में छोड़ देने को आदेश का अर्थ यह है—कि आपका साम्राज्य आपको वापस मिल जायेगा। किन्तु यह उसी समय होगा जब तुम यह जान जाओगे कि तुम्हारे राज्य पर परम प्रधान परमेश्वर का ही शासन है।