दानिय्येल 4:14 - पवित्र बाइबल14 वह बड़े ऊँचे स्वर में बोला। उसने कहा, ‘वृक्ष को काट फेंको। इसकी टहनियों को काट डालो। इसकी पत्तियों को नोच लो। इसके फलों को चारों ओर बिखेर दो। इस वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए पशु कहीं दूर भाग जायेंगे। इसकी शाखाओं पर बसेरा किये हुए पक्षी कहीं उड़ जायेंगे। अध्याय देखेंHindi Holy Bible14 उसने ऊंचे शब्द से पुकार कर यह कहा, वृक्ष को काट डालो, उसकी डालियों को छांट दो, उसके पत्ते झाड़ दो और उसके फल छितरा डालो; पशु उसके नीचे से हट जाएं, और चिडिय़ें उसकी डालियों पर से उड़ जाएं। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)14 उसने उच्च स्वर में पुकारा, और यह कहा, “इस वृक्ष को काट डालो, और इसकी शाखाओं को छांट दो। इसकी पत्तियों को झड़ा दो, और इसके फल बिखेर दो। इसकी छांव में बैठे हुए वनपशुओं को भगा दो। इसकी शाखाओं में बसेरा करनेवाले पक्षियों को उड़ा दो। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)14 उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर यह कहा, ‘वृक्ष को काट डालो, उसकी डालियों को छाँट दो, उसके पत्ते झाड़ दो और उसके फल बिखरा डालो; पशु उसके नीचे से हट जाएँ, और चिड़ियें उसकी डालियों पर से उड़ जाएँ। अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल14 उसने ऊंची आवाज में कहा: ‘काट डालो इस पेड़ को और इसकी शाखाओं को अलग कर दो; इसकी पत्तियों को गिरा दो और इसके फल को बिखरा दो. जानवर इसके नीचे से भाग जाएं और चिड़िया इसकी शाखाओं से उड़ जाएं. अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 201914 उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर यह कहा, ‘वृक्ष को काट डालो, उसकी डालियों को छाँट दो, उसके पत्ते झाड़ दो और उसके फल छितरा डालो; पशु उसके नीचे से हट जाएँ, और चिड़ियाँ उसकी डालियों पर से उड़ जाएँ। अध्याय देखें |
हे राजन, आपने एक पवित्र स्वर्गदूत को आकाश से नीचे उतरते देखा था। स्वर्गदूत ने कहा था वृक्ष को काट डालो और उसे नष्ट कर दो। वृक्ष के तने पर लोहे और काँसे का बन्धेज डाल दो और इसके तने और जड़ो को धरती में ही छोड़ दो। खेत में घास के बीच इसे रहने दो। ओस से ही यह नमी लेता रहेगा। वह किसी जंगली पशु के रूप में रहा करेगा। इसके इसी हाल में सात ऋतु—चक्र (साल) बीत जायेंगे।
इस सपने के बारह महीने बाद जब राजा नकूबदनेस्सर बाबुल में अपने महल की छत पर घूम रहा था, तो छत पर खड़े—खड़े ही वह कहने लगा, “बाबुल को देखो! इस महान नगर का निर्माण मैंने किया है। यह महल मेरा है! मैंने अपनी शक्ति से इस विशाल नगर का निर्माण किया है। इस स्थान का निर्माण मैंने यह दिखाने के लिये किया है कि मैं कितना बड़ा हूँ।”
इसके बाद लोगों से दूर भाग जाने के लिये नबूकदनेस्सर को विवश किया गया। उसकी बुद्धि किसी पशु जैसी हो गयी। वह जंगली गधों के बीच में रहने लगा और ढोरों की तरह घास खाता रहा। वह ओस में भीगा। जब तक उसे सबक नहीं मिल गया, उसके साथ ऐसा ही होता गया। फिर उसे यह ज्ञान हो गया कि मनुष्य के राज्य पर परम प्रधान परमेश्वर का ही शासन है और साम्राज्यों के ऊपर शासन करने के लिये वह जिस किसी को भी चाहता है, भेज देता है।