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दानिय्येल 10:1 - पवित्र बाइबल

1 कुस्रू फारस का राजा था। कस्रू के शासन काल के तीसरे वर्ष दानिय्येल को इन बातों का पता चला। (दानिय्येल का ही दूसरा नाम बेलतशस्सर था) ये संकेत सच थे और ये एक बड़े युद्ध के बारे में थे। दानिय्येल उन्हें समझ गया। वे बातें एक दर्शन में उसे समझाई गई थीं।

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Hindi Holy Bible

1 फारस देश के राजा कुस्रू के राज्य के तीसरे वर्ष में दानिय्येल पर, जो बेलतशस्सर भी कहलाता है, एक बात प्रगट की गई। और वह बात सच थी कि बड़ा युद्ध होगा। उसने इस बात को बूझ लिया, और उसको इस देखी हुई बात की समझ आ गई॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 फारस देश के सम्राट कुस्रू के राज्‍य-काल के तीसरे वर्ष में दानिएल को जो बेलतशस्‍सर भी कहलाते हैं, परमेश्‍वर की ओर से एक वाक्‍य सुनाया गया, और यह वाक्‍य सच था, और वाक्‍य का सम्‍बन्‍ध एक बड़े संघर्ष से था। दानिएल ने वाक्‍य का अर्थ समझ लिया। उनमें दर्शन को समझने की सामर्थ्य थी।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 फारस देश के राजा कुस्रू के राज्य के तीसरे वर्ष में दानिय्येल पर, जो बेलतशस्सर भी कहलाता है, एक बात प्रगट की गई। वह बात सच थी कि बड़ा युद्ध होगा। उस ने इस बात को जान लिया, और उसको यह देखी हुई बात समझ आ गई।

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सरल हिन्दी बाइबल

1 फारस के राजा कोरेश के शासनकाल के तीसरे साल में दानिएल (जिसे बैलशत्सर कहा जाता था) पर एक संदेश प्रकाशित किया गया. यह संदेश सत्य था और इसका संबंध एक बड़े युद्ध से था. संदेश की समझ उसके पास एक दर्शन में आई.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

1 फारस देश के राजा कुस्रू के राज्य के तीसरे वर्ष में दानिय्येल पर, जो बेलतशस्सर भी कहलाता है, एक बात प्रगट की गई। और वह बात सच थी कि बड़ा युद्ध होगा। उसने इस बात को जान लिया, और उसको इस देखी हुई बात की समझ आ गई।

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दानिय्येल 10:1
28 क्रॉस रेफरेंस  

“हे फ़िरौन, आपने एक ही बात के बारे में दो सपने देखे थे। यह इस बात को दिखाने के लिए हुआ कि परमेश्वर निश्चय ही ऐसा होने देगा और यह बताया है कि परमेश्वर इसे जल्दी ही होने देगा।


यह तब पहले वर्ष हुआ जब फारस का राजा कुस्रू शासन कर रहा था। यहोवा ने यिर्मयाह नबी के माध्यम से जो वचन दिये वे सत्य घटित हुए। यहोवा ने कुस्रू के हृदय को कोमल बनाया जिससे उसने आदेश लिखा और अपने राज्य में हर एक स्थान पर भेजा:


तब उन लोगों ने जो बन्धुवाई से छूट कर आये थे, संगतराशों और बढ़ईयों को धन दिया और उन लोगों ने उन्हें भोजन, दाखमधु और जैतून का तेल दिया। उन्होंने इन चीजों का उपयोग सोर और सीदोन के लोगों को लबानोन से देवदार के लट्ठों को लाने के लिये भुगतान करने में किया। वे लोग चाहते थे कि जापा नगर के समुद्री तट पर लट्ठों को जहाजों द्वारा ले आएँ। जैसा कि सुलैमान ने किया था जब उसने पहले मन्दिर को बनाया था। फारस के राजा कुस्रू ने यह करने के लिये उन्हें स्वीकृति दे दी।


किन्तु जरुब्बाबेल, येशू और इस्राएल के अन्य परिवार प्रमुखों ने उत्तर दिया, “नहीं, तुम जैसे लोग हमारे परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाने में हमें सहायता नहीं कर सकते। केवल हम लोग ही यहोवा के लिये मन्दिर बना सकते हैं। वह इस्राएल का परमेश्वर है। फारस के राजा कुस्रू ने जो करने का आदेश दिया है, वह यही है।”


उन शत्रुओं ने सरकारी अधिकारियों को यहूदा के लोगों के विरुद्ध काम करने के लिए खरीद लिया। उन अधिकारियों ने यहूदियों द्वारा मन्दिर को बनाने की योजना को रोकने के लिए लगातार काम किया। यह उस दौरान तब तक लगातार चलता रहा जब तक कुस्रू फारस का राजा रहा और बाद में जब तक दारा फारस का राजा नहीं हो गया।


अत: यहूदी अग्रजों (प्रमुखों) ने निर्माण कार्य जारी रखा और वे सफल हुए क्योंकि हाग्गै नबी और इद्दो के पुत्र जकर्याह ने उन्हें प्रोत्साहित किया। उन लोगों ने मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया। यह इस्राएल के परमेश्वर के आदेश का पालन करने के लिये किया गया। यह फारस के राजाओं, कुस्रू, दारा और अर्तक्षत्र ने जो आदेश दिये थे उनका पालन करने के लिये किया गया।


कुस्रू के राजा होने के प्रथम वर्ष में कुस्रू ने यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये एक आदेश दिया। आदेश यह था: परमेश्वर का मन्दिर फिर से बनने दो। यह बलि भेंट करने का स्थान होगा। इसकी नींव को बनने दो। मन्दिर साठ हाथ ऊँचा और साठ हाथ चौड़ा होना चाहिए।


यहोवा कुस्रू से कहता है, “तू मेरा चरवाहा है। जो मैं चाहता हूँ तू वही काम करेगा। तू यरूशलेम से कहेगा, ‘तुझको फिर से बनाया जायेगा!’ तू मन्दिर से कहेगा, ‘तेरी नीवों का फिर से निर्माण होगा!’”


परमेश्वर ने दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह को बुद्धि प्रदान की और उन्हें अलग—अलग तरह की लिपियों और विज्ञानों को सीखने की योग्यता दी। दानिय्येल तो हर प्रकार के दिव्य दर्शनों और स्वपनों को भी समझ सकता था।


सो राजा कुस्रू के शासन काल के पहले वर्ष तक दानिय्येल राजा की सेवकाई करता रहा।


सो इसके बाद यहूदा के उन युवकों को अशपनज ने नये नाम रख दिये। दानिय्येल को बेलतशस्सर का नया नाम दिया गया। हनन्याह का नया नाम था शद्रक। मीशाएल को नया नाम दिया गया मेशक और अजर्याह का नया नाम रखा गया अबेदनगो।


हे दानिय्येल, अब मैं तेरे पास तुझे वह बताने को आया हूँ जो भविष्य में तेरे लोगों के साथ घटने वाला है। वह स्वप्न एक आने वाले समय के बारे में है।”


“अब देख, दानिय्येल मैं, तुझे सच्ची बात बताता हूँ। फारस में तीन राजाओं का शासन और होगा। यह इसके बाद एक चौथा राजा आयेगा। यह चौथा राजा अपने पहले के फारस के अन्य राजाओं से कहीं अधिक धनवान होगा। वह चौथा राजा शक्ति पाने के लिये अपने धन का प्रयोग करेगा। वह हर किसी को यूनान के विरोध में कर देगा।


“किन्तु हे दानिय्येल! इस सन्देश को तू छिपा कर के रख दे। तुझे यह पुस्तक बन्द कर देनी चाहिये। तुझे अंत समय तक इस रहस्य को छिपाकर रखना है। सच्चा ज्ञान पाने के लिये बहुत से लोग इधर—उधर भाग दौड़ करेंगे और इस प्रकार सच्चे ज्ञान का विकास होगा।”


उसने उत्तर दिया, “दानिय्येल, तू अपना जीवन जीए जा। यह संदेश गुप्त है जब तक अंत समय नहीं आयेगा, यह गुप्त ही बना रहेगा।


वह ही समय को बदलता है वह ही वर्ष के ऋतओं को बदलता है। वह ही राजाओं को बदलता है। वही राजाओं को शक्ति देता है और वही छीन लेता है। वही बुद्धि देता है और लोग बुद्धिमान बन जाते हैं। वही लोगों को ज्ञान देता है और लोग ज्ञानी बन जाते हैं।


अंत में दानिय्येल मेरे पास आया (मैंने अपने ईश्वर को सम्मानित करने के लिये दानिय्येल को बेलतशस्सर नाम दिया था। पवित्र ईश्वरों की आत्मा का उसमें निवास है।) दानिय्येल को मैंने अपना सपना कह सुनाया।


मैं जिस व्यक्ति के बारे में बातें कर रही हूँ उसका नाम दानिय्येल है। किन्तु राजा ने उसे बेलतशस्सर का नाम दे दिया था। बेलतशस्सर (दानिय्येल) बहुत चुस्त है और वह बहुत सी बाते जानता है। वह स्वप्नों की व्याख्या कर सकता है। पहेलियों को समझा सकता है और कठिन से कठिन हलों को सुलझा सकता है। तू दानिय्येल को बुला। दीवार पर जो लिखा है, उसका अर्थ तुझे वही बतायेगा।”


इसके बाद दानिय्येल ने राजा को उत्तर देते हुए कहा, “हे राजा बेलशस्सर, तुम अपने उपहार अपने पास रखो, अथवा चाहो तो उन्हें किसी और को दे दो। मैं तुम्हें वैसे ही दीवार की लिखावट पढ़ दूँगा और उसका अर्थ क्या है, यह तुम्हें समझा दूँगा।


इस तरह जब दारा का राजा था और जिन दिनों फारसी राजा कुस्रू की हूकुमत थी, दानिय्येल ने सफलता प्राप्त की।


इसके बाद मैंने किसी पुरूष की वाणी सुनी। यह वाणी ऊलै नदी के ऊपर से आ रही थी। उस आवाज़ ने कहा, “जिब्राएल, इस व्यक्ति को इसके दर्शन का अर्थ समझा दो।”


“उन भक्तों के बारे में यह दर्शन और वे बातें जो मैंने कही हैं, सत्य हैं। किन्तु इस दर्शन पर तू मुहर लगा कर रख दे। क्योंकि वे बातें अभी बहुत सारे समय तक घटने वाली नहीं हैं।”


किन्तु देख! क्योंकि तूने मेरे शब्दों पर, जो निश्चित समय आने पर सत्य सिद्ध होंगे, विश्वास नहीं किया, इसलिये तू गूँगा हो जायेगा और उस दिन तक नहीं बोल पायेगा जब तक यह पूरा न हो ले।”


फिर वह मुझसे कहने लगा, “लिखो वे धन्य हैं जिन्हें इस विवाह भोज में बुलाया गया है।” उसने फिर कहा, “ये परमेश्वर के सत्य वचन हैं।”


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