7 वह ऊँचा पर्वत जरूब्बाबेल के लिये समतल भूमि—सा होगा। वह मंदिर को बनायेगा और जब अन्तिम पत्थर उस स्थान पर रखा जाएगा तब लोग चिल्ला उठेंगे— ‘सुन्दर! अति सुन्दर।’”
7 ओ महापर्वत, जरूब्बाबेल के सामने तू क्या है? तू सपाट मैदान हो जाएगा। जरूब्बाबेल शिखर का पत्थर लाएगा, और लोग यह जय-जयकार करेंगे: “प्रभु की कृपा...... प्रभु की कृपा इस पत्थर पर हो।” ’
7 “हे विशाल पहाड़, क्या हो तुम? ज़ेरुब्बाबेल के सामने तुम समतल मैदान बन जाओगे. तब वह चोटी के पत्थर को यह चिल्लाते हुए ले आएगा, ‘परमेश्वर इसे आशीष दे! परमेश्वर इसे आशीष दे!’ ”
कारीगरों ने यहोवा के मन्दिर की नींव डालनी पूरी कर दी। जब नींव पड़ गई तब याजकों ने अपने विशेष वस्त्र पहने। तब उन्होंने अपनी तुरही ली और आसाप के पुत्रों ने अपने झाँझों को लिया। उन्होंने यहोवा की स्तुति के लिये अपने अपने स्थान ले लिये। यह उसी तरह किया गया जिस तरह करने के लिये भूतकाल में इस्राएल के राजा दाऊद ने आदेश दिया था।
यहोवा हमारा संरक्षक और हमारा तेजस्वी राजा है। परमेश्वर हमें करूणा और महिमा के साथ आशीर्वद देता है। जो लोग यहोवा का अनुसरण करते हैं और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं, उनको वह हर उत्तम वस्तु देता है।
इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं।
देख, मैंने तुझे एक नये दाँवने के यन्त्र सा बनाया है। इस यन्त्र में बहुत से दाँते हैं जो बहुत तीखे हैं। किसान इसको अनाज के छिलके उतारने के काम में लाते है। तू पर्वतों को पैरों तले मसलेगा और उनको धूल में मिला देगा। तू पर्वतों को ऐसा कर देगा जैसे भूसा होता है।
वहाँ सुख और आनन्द की किलोलें होंगी। वहाँ वर—वधु की उमंग भरी चुहल होगी। वहाँ यहोवा के मन्दिर में अपनी भेंट लाने वाले की मधुर वाणी होगी। वे लोग कहेंगे, सर्वशक्तिमान यहोवा की स्तुति करो! यहोवा दयालु है! यहोवा की दया सदा बनी रहती है! लोग ये बातें कहेंगे क्योंकि मैं फिर यहूदा के लिये अच्छे काम करुँगा। यह वैसा ही होगा जैसा आरम्भ में था।” ये बातें यहोवा ने कही।
यहोवा कहता है, “बाबुल, तुम पर्वत को गिरा रहे हो और मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ। बाबुल, तुमने पूरा देश नष्ट किया है, और मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ। मैं तुम्हारे विरुद्ध अपना हाथ बढ़ाऊँगा। मैं तुम्हें चट्टानों से लुढ़काऊँगा। मैं तुम्हें जला हुआ पर्वत कर दूँगा।
आगे आने वाले समय में यह घटना घटेगी यहोवा के मन्दिर का पर्वत सभी पर्वतों में अत्यन्त ही महत्वपूर्ण हो जायेगा। उसे पहाड़ों के ऊपर उठा दिया जायेगा। दूसरे देशों के लोग इसकी ओर उमड़ पड़ेंगे।
यहोवा खड़ा हुआ और उसने धरती को कँपा दिया। उसने अन्य जातियों के लोगों पर तीखी दृष्टि डाली और वे भय से काँप उठे। जो पर्वत अनन्त काल से अचल खड़े थे, वे पर्वत टूट—टूट कर गिरे और चकनाचूर हो गये। पुराने, अति प्राचीन पहाड़ ढह गये थे। परमेश्वर सदा से ही ऐसा रहा है!
“जरूब्बाबेल मेरे मंदिर की नींव रखेगा और जरूब्बाबेल मंदिर को बनाना पूरा करेगा। लोगों तब तुम समझोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है।
यीशु ने उत्तर देते हुए उनसे कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ। यदि तुम में विश्वास है और तुम संदेह नहीं करते तो तुम न केवल वह कर सकते हो जो मैंने अंजीर के पेड़ का किया। बल्कि यदि तुम इस पहाड़ से कहो, ‘उठ और अपने आप को सागर में डुबो दे’ तो वही हो जायेगा।
यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुमने शास्त्र का वह वचन नहीं पढ़ा: ‘जिस पत्थर को मकान बनाने वालों ने बेकार समझा, वही कोने का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पत्थर बन गया? ऐसा प्रभु के द्वारा किया गया जो हमारी दृष्टि में अद्भुत है।’
तब यीशु ने उनकी ओर देखते हुए कहा, “तो फिर यह जो लिखा है उसका अर्थ क्या है: ‘जिस पत्थर को कारीगरों ने बेकार समझ लिया था वही कोने का प्रमुख पत्थर बन गया?’
और यदि यह परमेश्वर के अनुग्रह का परिणाम है तो लोग जो कर्म करते हैं, यह उन कर्मों का परिणाम नहीं है। नहीं तो परमेश्वर की अनुग्रह, अनुग्रह ही नहीं ठहरती।
तुम विश्वासियों के लिये बहुमूल्य है किन्तु जो विश्वास नहीं करते हैं उनके लिए: “वही पत्थर जिसे शिल्पियों ने नकारा था सब से महत्वपूर्ण कोने का पत्थर बन गया।”