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एस्तेर 9:30 - पवित्र बाइबल

30 सो महाराजा क्षयर्ष के राज्य के एक सौ सत्ताईस प्रांतों में सभी यहूदियों के पास मोर्दकै ने पत्र भिजवाये। मोर्दकै ने शांति और सत्य का एक सन्देश लिखा।

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Hindi Holy Bible

30 इसकी नकलें मोर्दकै ने क्षयर्ष के राज्य के, एक सौ सत्ताईसों प्रान्तों के सब यहूदियों के पास शान्ति देने वाली और सच्ची बातों के साथ इस आशय से भेजीं,

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

30 इस प्रकार मोरदकय ने सम्राट क्षयर्ष के अधीन एक सौ सत्ताईस प्रदेशों के रहने वाले यहूदियों को कल्‍याण और सत्‍यनिष्‍ठा की कामना करते हुए पत्र लिखे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

30 इसकी नकलें मोर्दकै ने क्षयर्ष के राज्य के एक सौ सत्ताईसों प्रान्तों के सब यहूदियों के पास शान्ति देनेवाली और सच्‍ची बातों के साथ इस आशय से भेजीं,

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सरल हिन्दी बाइबल

30 मोरदकय ने राजा अहषवेरोष के साम्राज्य के समस्त 127 राज्यों में निवास कर रहे यहूदियों को चिट्ठियां लिखी जिसमें शांति और आश्वासन का संदेश भेजा

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

30 इसकी नकलें मोर्दकै ने क्षयर्ष के राज्य के, एक सौ सत्ताईस प्रान्तों के सब यहूदियों के पास शान्ति देनेवाली और सच्ची बातों के साथ इस आशय से भेजीं,

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एस्तेर 9:30
7 क्रॉस रेफरेंस  

सारा एक सौ सत्ताईस वर्ष तक जीवित रही।


यह उन दिनों की बात है जब क्षयर्ष नाम का राजा राज्य किया करता था। भारत से लेकर कूश के एक सौ सत्ताईस प्रांतों पर उसका राज्य था।


राजा के सचिवों को तत्काल बुलाया गया। सीवान नाम के तीसरे महीने की तेईसवीं तारीख को वह आदेश पत्र लिखा गया। यहूदियों के लिये मोर्दकै के सभी आदेशों को सचिवों ने लिखकर यहूदियों, मुखियाओं, राज्यपालों और एक सौ सत्ताईस प्रांतो के अधिकारियों के पास पहुँचा दिया। ये प्रांत भारत से लेकर कूश तक फैले हुए थे। ये आदेश पत्र हर प्रांत की लिपि और भाषा में लिखे गये थे और हर देश के लोगों की भाषा में उसका अनुवाद किया गया था। यहूदियों के लिये ये आदेश उन की अपनी भाषा और उनकी अपनी लिपि में लिखे गये थे।


परमेश्वर, जो लोग तुझको त्यागते हैं, वे नष्ट हो जाते है। जिनका विश्वास तुझमें नहीं तू उन लोगों को नष्ट कर देगा।


वह नेकी सदा—सदा के लिये शांति और सुरक्षा को लायेगी।


हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “यहोवा के इन वचनों का सुनना मेरे लिये बहुत उत्तम होगा।” (हिजकिय्याह ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसका विचार था, “जब मैं राजा होऊँगा, तब शांति रहेगी और कोई उत्पात नहीं होगा।”)


सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शोक मनाने और उपवास के विशेष दिन चौथे महीने, पाँचवें महीने, सातवें महीने और दसवें महीने में हैं। वे शोक के दिन प्रसन्नता के दिन में बदल जाने चाहिये। वे अच्छे और प्रसन्ननता के दिन में बदल जाने चाहिये। वो अच्छे और प्रसन्ननता के पवित्र दिन होंगे और तम्हें सत्य और शान्ति से प्रेम करना चाहिये!”


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