11 उन पत्रों पर राजा के ये आदेश लिखे थे: यहूदियों को हर नगर में आपस में एक जुट होकर अपनी रक्षा करने का अधिकार है। उन्हें अधिकार है कि वे किसी भी प्रांत और समूह के लोगों की ऐसी किसी भी सेना को छिन्न—भिन्न कर दें, मार डालें अथवा पूरी तरह नष्ट कर दें जो उन पर, उनकी स्त्रियों पर, और उनके बच्चों पर आक्रमण कर रही हो। यहूदियों को अधिकार है कि वे अपने शत्रुओं की सम्पत्ति को ले लें और उसे नष्ट कर डालें।
11 इन चिट्ठियों में सब नगरों के यहूदियों को राजा की ओर से अनुमति दी गई, कि वे इकट्ठे हों और अपना अपना प्राण बचाने के लिये तैयार हो कर, जिस जाति वा प्रान्त से लोग अन्याय कर के उन को वा उनकी स्त्रियों और बाल-बच्चों को दु:ख देना चाहें, उन को विध्वंसघात और नाश करें, और उनकी धन सम्मत्ति लूट लें।
11 इन पत्रों के द्वारा सम्राट ने सब नगरों में रहने वाले यहूदियों को यह अनुमति दी कि वे अपने प्राणों की रक्षा के लिए परस्पर एकत्र होकर सुरक्षा-दल बना सकते हैं। यदि कोई जाति अथवा प्रदेश की सशस्त्र-सेना उन पर आक्रमण करेगी तो वे बच्चों और स्त्रियों सहित उनको नष्ट कर सकते हैं, उनका वध और सर्वनाश कर सकते हैं, और उनकी धन-सम्पत्ति लूट सकते हैं।
11 इन चिट्ठियों में सब नगरों के यहूदियों को राजा की ओर से अनुमति दी गई, कि वे इकट्ठे हों और अपना अपना प्राण बचाने के लिये तैयार होकर, जिस जाति या प्रान्त के लोग अन्याय करके उनको या उनकी स्त्रियों और बाल–बच्चों को दु:ख देना चाहें, उनको घात और नष्ट करें, और उनकी धन सम्पत्ति लूट लें।
11 इन चिट्ठियों के द्वारा राजा ने उन यहूदियों को, जो साम्राज्य के हर एक नगर में रहते थे, यह अनुमति प्रदान कर दी थी, कि वे एकत्र होकर अपने प्राणों की रक्षा के उपक्रम में किसी भी समुदाय वा राज्य की सशस्त्र सेना को, जो उन पर, उनकी स्त्रियों तथा बालकों पर आक्रमण करें, उनको घात और नष्ट करें, एवं उनकी संपत्ति को लूट लें और उनका अस्तित्व ही मिटा दें.
11 इन चिट्ठियों में सब नगरों के यहूदियों को राजा की ओर से अनुमति दी गई, कि वे इकट्ठे हों और अपना-अपना प्राण बचाने के लिये तैयार होकर, जिस जाति या प्रान्त के लोग अन्याय करके उनको या उनकी स्त्रियों और बाल-बच्चों को दुःख देना चाहें, उनको घात और नाश करें, और उनकी धन-सम्पत्ति लूट लें।
संदेशवाहक राजा के विभिन्न प्रांतों में उन पत्रों को ले गये। इन पत्रों में सभी यहूदियों के सम्पूर्ण विनाश, हत्या और बर्बादी के राज्यादेश थे। इसका आशा था कि युवा, वृद्ध, स्त्रियाँ और नन्हें बच्चे तक समाप्त कर दिये जायें। आज्ञा यह थी कि सभी यहूदियों को बस एक ही दिन मौत के घाट उतार दिया जाये। वह दिन था अदार नाम के बारहवें महीने की तेरहवीं तारीख़ को था और यह आदेश भी दिया गया था कि यहूदियों के पास जो कुछ भी हो, उसे ले लिया जाये।
आदार महीने की तेरहवीं तारीख को शूशन में यहूदी परस्पर एकत्र हुए। फिर पन्द्रहवीं तारीख को उन्होंने विश्राम किया। उन्होंने पन्द्रहवीं तारीख को फिर एक खुशी भरी छुट्टी का दिन बना दिया।
ऐसे लोगों के विरुद्ध जो पाप कर्म करते हैं युद्ध करने के लिये मैं अश्शूर को भेजूँगा। मैं उन लोगों से कुपित हूँ और उन लोगों से युद्ध करने के लिये मैं अश्शूर को आदेश दूँगा। अश्शूर उन लोगों को हरा देगा और फिर उनसे उनकी कीमती वस्तुएँ छीन लेगा। अश्शूर के लिए इस्राएल गलियों में पड़ी उस धूल जैसा होगा जिसे वह अपने पैरों तले रौंदेगा।
उन्हें मैंदानों से लकड़ी इकट्ठी नहीं करनी पड़ेगी या जंगलों से ईंधन नहीं काटना पड़ेगा, क्योंकि वे अस्त्र—शस्त्रों का उपयोग ईंधन के रूप में करेंगे। वे कीमती चीजों को सैनिकों से छीनेंगे जिसे वे उनसे चुराना चाहते थे। वे सैनिकों से अच्छी चीजें लेंगे जिन्होंने उनसे अच्छी चीजें ली थीं।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।