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उत्पत्ति 42:25 - पवित्र बाइबल

25 यूसुफ ने कुछ सेवकों को उनकी बोरियों को अन्न से भरने को कहा। भाईयों ने इस अन्न का मूल्य यूसुफ को दिया। किन्तु यूसुफ ने उस धन को अपने पास नहीं रखा। उसने उस धन को उनकी अनाज की बोरियों में रख दिया। तब यूसुफ ने उन्हें वे चीज़ें दीं, जिनकी आवश्यकता उन्हें घर तक लौटने की यात्रा में हो सकती थी।

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Hindi Holy Bible

25 तब यूसुफ ने आज्ञा दी, कि उनके बोरे अन्न से भरो और एक एक जन के बोरे में उसके रूपये को भी रख दो, फिर उन को मार्ग के लिये सीधा दो: सो उनके साथ ऐसा ही किया गया।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

25 तत्‍पश्‍चात् उसने आज्ञा दी कि उनके बोरे अन्न से भर दिए जाएँ। प्रत्‍येक व्यक्‍ति के बोरे में उसके रुपए भी रखे जाएँ। उन्‍हें मार्ग के लिए भोजन-सामग्री भी दी जाए। उनके लिए ऐसा ही किया गया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

25 तब यूसुफ ने आज्ञा दी कि उनके बोरे अन्न से भरो और एक एक जन के बोरे में उसके रुपये को भी रख दो, फिर उनको मार्ग के लिये भोजनवस्तु दो। अत: उनके साथ ऐसा ही किया गया।

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नवीन हिंदी बाइबल

25 तब यूसुफ ने आज्ञा दी कि उनके बोरे अनाज से भर दिए जाएँ और प्रत्येक के बोरे में उनका रुपया भी रख दिया जाए, तथा उनके मार्ग के लिए उन्हें भोजन-सामग्री भी दी जाए। अतः उनके लिए ऐसा ही किया गया।

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सरल हिन्दी बाइबल

25 फिर योसेफ़ ने आदेश दिया कि उनके बोरों को अन्‍न से भर दिया जाए और जो दाम दिया है, वह भी उसी के बोरे में रख दिया जाए. और योसेफ़ ने कहा कि उनकी यात्रा के लिए आवश्यक सामान भी उन्हें दे दिया जाए.

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उत्पत्ति 42:25
9 क्रॉस रेफरेंस  

इसलिए भाईयों ने अन्न को अपने गधों पर लादा और वहाँ से चल पड़े।


इस समय, पहले से दुगुना धन भी ले लो जो पिछली बार देने के बाद लौटा दिया गया था। संभव है कि प्रशासक से गलती हुई हो।


इसलिए इस्राएल के पुत्रों ने यही किया। यूसुफ ने फ़िरौन के वचन के अनुसार अच्छी गाड़ियाँ दीं और यूसुफ ने यात्रा के लिए उन्हें भरपूर भोजन दिया।


“हे प्यासे लोगों, जल के पास आओ। यदि तुम्हारे पास धन हीं है तो इसकी चिन्ता मत करो। आओ, खाना लो और खाओ। आओ, भोजन लो। तुम्हें इसकी कीमत देने की आवश्यकता नहीं है। बिना किसी कीमत के दूध और दाखमधु लो।


किन्तु मैं कहता हूँ अपने शत्रुओं से भी प्यार करो। जो तुम्हें यातनाएँ देते हैं, उनके लिये भी प्रार्थना करो।


इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी।


एक बुराई का बदला दूसरी बुराई से मत दो। अथवा अपमान के बदले अपमान मत करो बल्कि बदले में आशीर्वाद दो क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें ऐसा ही करने को बुलाया है। इसी से तुम्हें परमेश्वर के आशीर्वाद का उत्तराधिकार मिलेगा।


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