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उत्पत्ति 32:28 - पवित्र बाइबल

28 तब व्यक्ति ने कहा, “तुम्हारा नाम याकूब नहीं रहेगा। अब तुम्हारा नाम इस्राएल होगा। मैं तुम्हें यह नाम इसलिए देता हूँ कि तुमने परमेश्वर के साथ और मनुष्यों के साथ युद्ध किया है और तुम हराए नहीं जा सके हो।”

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Hindi Holy Bible

28 उसने कहा तेरा नाम अब याकूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर से और मनुष्यों से भी युद्ध कर के प्रबल हुआ है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

28 तब वह बोला, ‘अब तेरा नाम याकूब न होगा, वरन् “इस्राएल” होगा; क्‍योंकि तूने परमेश्‍वर और मनुष्‍य से लड़कर विजय प्राप्‍त की है।’

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

28 उसने कहा, “तेरा नाम अब याक़ूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्‍वर से और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है।”

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नवीन हिंदी बाइबल

28 तब उसने कहा, “अब से तेरा नाम याकूब नहीं बल्कि इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्‍वर और मनुष्यों से युद्ध करके प्रबल हुआ है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

28 तब उस व्यक्ति ने उनसे कहा, “अब से तुम्हारा नाम याकोब नहीं बल्कि इस्राएल होगा, क्योंकि परमेश्वर से तथा मनुष्यों से संघर्ष करते हुए तुम जीत गए हो.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

28 उसने कहा, “तेरा नाम अब याकूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर से और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है।”

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उत्पत्ति 32:28
24 क्रॉस रेफरेंस  

परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा, “मैं सारै को जो तुम्हारी पत्नी है, नया नाम दूँगा। उसका नाम सारा होगा।


मैं तुम्हारे नाम को बदल दूँगा। तुम्हारा नाम अब्राम नहीं रहेगा। तुम्हारा नाम इब्राहीम होगा। मैं तुम्हें यह नाम इसलिए दे रहा हूँ कि तुम बहुत से राष्ट्रों के पिता बनोगे।”


किन्तु याकूब ने कहा, “तुम्हें पहलौठा होने का अधिकार मुझको आज बेचना होगा।”


उस रात परमेश्वर लाबान के पास स्वप्न में प्रकट हुआ। परमेश्वर ने कहा, “याकूब से तुम जो कुछ कहो उसके एक—एक शब्द के लिए सावधान रहो।”


याकूब नदी को पार करने वाला अन्तिम व्यक्ति था। किन्तु पार करने से पहले जब तक वह अकेला ही था, एक व्यक्ति आया और उससे मल्ल युद्ध करने लगा। उस व्यक्ति ने उससे तब तक मल्ल युद्ध किया जब तक सूरज न निकला।


और उस व्यक्ति ने उससे कहा, “तुम्हारा क्या नाम है?” और याकूब ने कहा, “मेरा नाम याकूब है।”


याकूब ने परमेश्वर की उपासना के लिए वहाँ एक विशेष स्मरण स्तम्भ बनाया। याकूब ने जगह का नाम “एले, इस्राएल का परमेश्वर” रखा।


तब एसाव ने याकूब को देखा, वह उस से मिलने को दौड़ पड़ा। एसाव ने याकूब को अपनी बाहों में भर लिया और छाती से लगाया। तब एसाव ने उसकी गर्दन को चूमा और दोनों आनन्द में रो पड़े।


परमेश्वर ने याकूब से कहा, “तुम्हारा नाम याकूब है। किन्तु मैं उस नाम को बदलूँगा। अब तुम याकूब नहीं कहलाओगे। तुम्हारा नया नाम इस्राएल होगा।” इसलिए इसके बाद याकूब का नाम इस्राएल हुआ।


यहोवा ने नबी नातान द्वारा सन्देश भेजा। नातान ने सुलैमान का नाम यदीद्याह रखा। नातान ने यह यहोवा के लिये किया।


एलिय्याह ने बारह पत्थर प्राप्त किए। हर एक बारह परिवार समूहों के लिये एक पत्थर था। इन बारह परिवारों के नाम याकूब के बारह पुत्रों के नाम पर थे। याकूब वह व्यक्ति था जिसे यहोवा ने इस्राएल नाम दिया था।


आज भी वे लोग वैसे ही रहते हैं जैसे वे भूतकाल में रहते थे। वे यहोवा का सम्मान नहीं करते थे। वे इस्राएलियों के आदेशों और नियमों का पालन नहीं करते थे। वे उन नियमों या आदेशों का पालन नहीं करते थे जिन्हें यहोवा ने याकूब (इस्राएल) की सन्तानों को दिया था।


इब्राहीम इसहाक का पिता था। इसहाक के पुत्र एसाव और इस्राएल थे।


यहोवा को जब मनुष्य की राहें भाती हैं, वह उसके शत्रुओं को भी साथ शांति से रहने को मित्र बना देता।


याकूब, तुझको यहोवा ने बनाया था! इस्राएल, तेरी रचना यहोवा ने की थी और अब यहोवा का कहना है: “भयभीत मत हो! मैंने तुझे बचा लिया है। मैंने तुझे नाम दिया है। तू मेरा है।


तुम्हारे नाम मेरे लोगों के लिये गालियों के जैसे हो जायेंगे।” मेरा स्वामी यहोवा तुमको मार डालेगा और वह अपने दासों को एक नये नाम से बुलाया करेगा।


ये उन व्यक्तियों के नाम हैं जिन्हें मूसा ने प्रदेश को देखने और जाँच करने के लिए भेजा। (मूसा से नून के पुत्र होशे को दूसरे नाम से पुकारा। मूसा ने उसे यहोशू कहा।)


फिर अन्द्रियास शमौन को यीशु के पास ले आया। यीशु ने उसे देखा और कहा, “तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है। तू कैफ़ा (“कैफ़ा” यानी “पतरस”) कहलायेगा।”


“जो सुन सकता है, वह सुने कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रहा है! “जो विजयी होगा, मैं उसे स्वर्ग में छिपा मन्ना दूँगा। मैं उसे एक श्वेत पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम अंकित होगा। जिसे उसके सिवा और कोई नहीं जानता जिसे वह दिया गया है।


शाऊल ने दाऊद से कहा, “मेरे पुत्र दाऊद, परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद दे। तुम महान कार्य करोगे और सफल होओगे।” दाऊद अपनी राह गया, और शाऊल घर लौट गया।


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