42 “आज जब मैं कुएं के पास पहुंचा, तो मैंने यह प्रार्थना की, ‘याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मैं जिस उद्देश्य से यहां आया हूं, वह काम पूरा हो जाये.
इसलिए हे यहोवा, कृपा करके अब मेरी विनती सुन। मैं तेरा सेवक हूँ और कृपा करके अपने सेवकों की विनती पर कान दे जो तेरे नाम को मान देना चाहते हैं। कृपा करके आज मुझे सहारा दे। जब मैं राजा से सहायता माँगू तब तू मेरी सहायता कर। मुझे सफल बना। मुझे सहायता दे ताकि मैं राजा के लिए प्रसन्नतादायक बना रहूँ।” उस समय मैं राजा के दाखमधु सेवक था।
वहाँ अहवा नदी के पास, मैंने (एज्रा) घोषणा की कि हमें उपवास रखना चाहिये। हमें अपने को परमेश्वर के सामने विनम्र बनाने के लिये उपवास रखना चाहिये। हम लोग परमेश्वर से अपने लिये, अपने बच्चों के लिये, और जो चीज़ें हमारी थीं, उनके साथ सुरक्षित यात्रा के लिये प्रार्थना करना चाहते थे।
वे बोले, “हमें सेनानायक कुरनेलियुस ने भेजा है। वह परमेश्वर से डरने वाला नेक पुरुष है। यहूदी लोगों में उसका बहुत सम्मान है। उससे पवित्र स्वर्गदूत ने तुझे अपने घर बुलाने का निमन्त्रण देने को और जो कुछ तू कहे उसे सुनने को कहा है।”
लाबान ने कहा, “महोदय, आप पधारें आपका स्वागत है। आपको यहाँ बाहर खड़ा नहीं रहना है। मैंने आपके ऊँटों के लिए एक जगह बना दी है और आपके सोने के लिए एक कमरा ठीक कर दिया है।”
नौकर ने कहा, “मेरे मालिक इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा की कृपा है। यहोवा हमारे मालिक पर दयालु है। यहोवा ने मुझे अपने मालिक के पुत्र के लिए सही दुल्हन दी है।”
किन्तु सेवक ने उत्तर दिया, “इस नगर में परमेश्वर का एक व्यक्ति है। लोग उसका सम्मान करते हैं। वह जो कहता है सत्य होता है। इसलिये हम इस नगर में चलें। संभव है कि परमेश्वर का यह व्यक्ति हमें बताये कि इसके बाद हम लोग कहाँ जायें।”