12 शहर में मरने वाले गरीबों की कराहें सुनाई देती हैं; घायल दरिद्र व्यक्तियों के प्राण दुहाई देते हैं। तब भी परमेश्वर उनकी प्रार्थना पर ध्यान नहीं देता!
मैंने फिर यह भी देखा है कि कुछ लोगों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। मैंने उनके आँसू देखे हैं और फिर यह भी देखा है कि उन दुःखी लोगों को ढाढ़स बँधाने वाला भी कोई नहीं है। मैंने देखा है कि कठोर लोगों के पास समूची शक्ति है और ये लोग जिन लोगों को क्षति पहुँचाते हैं उन्हें ढाढ़स बँधाने वाला भी कोई नहीं है।
हम समझते रहे कि गर्वीलें लोग सुखी रहते हैं। दुष्ट लोग सफल होते हैं। वे परमेश्वर के धैर्य की परीक्षा करने के लिये बुरे काम करते हैं, और परमेश्वर उन्हें दण्ड नहीं देता।”
तुमने गलत शिक्षा दी है। और उन गलत शिक्षाओं ने यहोवा को बहुत अधिक दु:खी किया है। तुमने यह शिक्षा दी कि परमेश्वर उन्हें पसन्द करता है जो बुरे काम करते हैं। तुमने कहा कि परमेश्वर उन्हें अच्छे लोग समझता है और तुमने यह शिक्षा दी कि परमेश्वर लोगों को बुरा काम करने के लिये दण्ड नहीं देता।
अब देखो, यह क्या हो गया है! अब किसी दूसरे राष्ट्र ने मेरे लोगों को ले लिया है। मेरे लोगों को ले जाने के लिए इस देश ने कोई भुगतान नहीं किया था। यह देश मेरे लोगों पर शासन करता है और उनकी हँसी उड़ाता है। वहाँ के लोग सदा ही मेरे प्रति बुरी बातें कहा करते हैं।”
तुम बुरे कर्म करते हो, और तुम सोचते हो मुझे चुप रहना चाहिए। तुम कुछ नहीं कहते हो और सोचते हो कि मुझे चुप रहना चहिए। देखो, मैं चुप नहीं रहूँगा, तुझे स्पष्ट कर दूँगा। तेरे ही मुख पर तेरे दोष बताऊँगा।
किन्तु यहोवा कहता है: “बुरे मनुष्यों ने दीन दुर्बलों से वस्तुएँ चुरा ली हैं। उन्होंने असहाय दीन जन से उनकी वस्तुएँ ले लीं। किन्तु अब मैं उन हारे थके लोगों की रक्षा खड़ा होकर करुँगा।”
तब इस्राएल के लोगों ने अपने पास के विदेशी देवताओं को फेंक दिया। उन्होंने फिर से यहोवा की उपासना आरम्भ की। इसलिए जब यहोवा ने उन्हें कष्ट उठाते देखा, तब वह उनके लिए दुःखी हुआ।
यदि वह व्यक्ति अपना लबादा नहीं पाता तो उसके पास शरीर ढकने को कुछ भी नहीं रहेगा। जब वह सोएगा तो उसे सर्दी लगेगी। यदि वह मुझे रोकर पुकारेगा तो मैं उसकी सुनूँगा। मैं उसकी बात सुनूँगा क्योंकि मैं कृपालु हूँ।
यहोवा यदि मैं तुझसे तर्क करता हूँ, तू सदा ही सही निकलता है। किन्तु मैं तुझसे उन सब के बारे में पूछना चाहता हूँ जो सही नहीं लगतीं। दुष्ट लोग सफल क्यों हैं जो तुझ पर विश्वास नहीं करते, उनका उतना जीवन सुखी क्यों है
तूने उन दुष्ट लोगों को यहाँ बसाया है। वे दृढ़ जड़ वाले पौधे जैसे हैं जो बढ़ते तथा फल देते हैं। अपने मुँह से वे तुझको अपने समीपी और प्रिय कहते हैं। किन्तु अपने हृदय से वे वास्तव में तुझसे बहुत दूर हैं।