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अय्यूब 21:25 - पवित्र बाइबल

25 किन्तु कोई एक और व्यक्ति कठिन जीवन के बाद दु:ख भरे मन से मरता है, उसने जीवन का कभी कोई रस नहीं चखा।

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Hindi Holy Bible

25 और कोई अपने जीव में कुढ़ कुढ़कर बिना सुख भोगे मर जाता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

25 पर दूसरा व्यक्‍ति सुख का स्‍वाद लिये बिना ही, आत्‍मा में कुढ़-कुढ़ कर मर जाता है!

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

25 कोई अपने जीव में कुढ़ कुढ़कर बिना सुख भोगे मर जाता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

25 जबकि अन्य व्यक्ति की मृत्यु कड़वाहट में होती है, जिसने जीवन में कुछ भी सुख प्राप्‍त नहीं किया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

25 और कोई अपने जीव में कुढ़कुढ़कर बिना सुख भोगे मर जाता है।

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अय्यूब 21:25
14 क्रॉस रेफरेंस  

उसने आगे कहा, “तुम जानते हो कि तुम्हारे पिता और उनके आदमी शक्तिशाली हैं। वे उस रीछनी की तरह खुंखार हैं जिसके बच्चे छीन लिये गये हों। तुम्हारा पिता कुशल योद्धा है। वह सारी रात लोगों के साथ नहीं ठहरेगा।


उस स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर की शपथ खाकर कहती हूँ कि मेरे पास रोटी नहीं है। मेरे पास बर्तन में मुट्ठी भर आटा और पीपे में थोड़ा सा जैतून का तेल है। इस स्थान पर मैं ईंधन के लिये दो चार लकड़ियाँ इकट्ठी करने आई थी। मैं इसे लेकर घर लौटूँगी और अपना आखिरी भोजन पकाऊँगी। मैं और मेरा पुत्र दोनों इसे खायेंगे और तब भूख से मर जाएंगे।”


“किन्तु हाय, अब मैं वैसा नहीं कर सकता। मुझ को स्वयं अपने जीवन से घृणा हैं अत: मैं मुक्त भाव से अपना दुखड़ा रोऊँगा। मेरे मन में कड़वाहट भरी है अत: मैं अबबोलूँगा।


दुष्ट जन वह सब कुछ खा चुकेगा जिसे वह खाना चाहता है। परमेश्वर अपना धधकता क्रोध उस पर डालेगा। उस दुष्ट व्यक्ति पर परमेश्वर दण्ड बरसायेगा।


उसकी काया को भरपूर भोजन मिला था अब तक उस की हड्डियाँ स्वस्थ थीं।


ये दोनो व्यक्ति एक साथ माटी में गड़े सोते हैं, कीड़े दोनों को एक जैसे ढक लेंगे।


“कोई दु:खी व्यक्ति और अधिक यातनाएँ भोगता जीवित क्यों रहें? ऐसे व्यक्ति को जिस का मन कड़वाहट से भरा रहता है क्यों जीवन दिया जाता है?


“अत: मैं चुप नहीं रहूँगा। मैं सब कह डालूँगा। मेरी आत्मा दु:खित है और मेरा मन कटुता से भरा है, अत: मैं अपना दुखड़ा रोऊँगा।


परमेश्वर मुझे फिर साँस नहीं लेने देगा। वह मुझे और अधिक यातना देगा।


हर मन अपनी निजी पीड़ा को जानता है, और उसका दुःख कोई नहीं बाँट पाता है।


परमेश्वर किसी व्यक्ति को बहुत सा धन देता है, सम्पत्तियाँ देता है और आदर देता है। उस व्यक्ति के पास उसकी आवश्यकता की वस्तु होती है और जो कुछ भी वह चाह सकता है वह भी होता है। किन्तु परमेश्वर उस व्यक्ति को उन वस्तुओं का भोग नहीं करने देता। तभी कोई अजनबी आता है और उन सभी वस्तुओं को छीन लेता है। यह एक बहुत बुरी और व्यर्थ बात है।


“मनुष्य के पुत्र! तुम्हें ऐसा करना चाहिये मानों तुम बहुत भयभीत हो। जब तुम खाना खाओ तब तुम्हें काँपना चाहिए। तुम्हें पानी पीते समय चिन्तित और भयभीत होने का दिखावा करना चाहिये।


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