26 राजा मनश्शे ने अपने उकसाने वाले कार्यों से प्रभु को चिढ़ाया था। इसलिए उस की क्रोधाग्नि यहूदा प्रदेश के प्रति भड़क उठी थी। प्रभु की यह महाक्रोधाग्नि राजा योशियाह के धार्मिक सुधारों के बावजूद नहीं बुझी।
26 इतना सब होने पर भी याहवेह का वह भयंकर क्रोध, जो यहूदिया के विरुद्ध भड़का था, शांत न हुआ, क्योंकि मनश्शेह ने अपनी सारी हरकतों के द्वारा उनका क्रोध भड़का दिया था.
राजा योशिय्याह ने कहा, “जाओ, और यहोवा से पूछो कि हमें क्या करना चाहिये। यहोवा से मेरे लिये, लोगों के लिये और पूरे यहूदा के लिये याचना करो। इस मिली हुई पुस्तक के शब्दों के बारे में पूछो। यहोवा हम लोगों पर क्रोधित है। क्यों क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इस पुस्तक की शिक्षा को नहीं माना। उन्होंने हम लोगों के लिये लिखी सब बातों को नहीं किया।”
यहोवा ने कसदियों, अरामियों, मोआबियों और अम्मोनियों के दलों को यहोयाकीम के विरुद्ध लड़ने के लिये भेजा। यहोवा ने उन दलों को यहूदा को नष्ट करने के लिये भेजा। यह वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने कहा था। यहोवा ने अपने सेवक नबियों का उपयोग वह कहने के लिये किया था।
यहोवा यरूशलेम और यहूदा पर इतना क्रोधित हुआ कि उसने उन्हें दूर फेंक दिया। सिदकिय्याह ने बाबेल के राजा के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और उसकी आज्ञा मानने से इन्कार कर दिया।
यहोवा ने उन घटनाओं को यहूदा के साथ घटित होने का आदेश दिया। इस प्रकार वह उन्हें अपनी दृष्टि से दूर करेगा। उसने यह उन पापों के कारण किया जो मनश्शे ने किये।
यहोवा ने यह इसलिये किया कि मनश्शे ने बहुत से निरपराध व्यक्तियों को मार डाला। मनश्शे ने उनके खून से यरूशलेम को भर दिया था और यहोवा उन पापों को क्षमा नहीं कर सकता था।
योशिय्याह जब मन्दिर के लिये उन अच्छे कामों को कर चुका, उस समय राजा नको परात नदी पर स्थित कर्कमीश नगर के विरुद्ध युद्ध करने के लिये सेना लेकर आया। नको मिस्र का राजा था। राजा योशिय्याह नको के विरुद्ध लड़ने बाहर निकला।
किन्तु परमेश्वर के लोगों ने परमेश्वर के संदेशवाहकों (नबियों) का मजाक उड़ाया। उन्होंने परमेश्वर के संदेशवाहकों (नबियों) की अनसुनी कर दी। उन्होंने परमेश्वर के संदेश से घृणा की। अन्त में परमेश्वर और अधिक अपना क्रोध न रोक सका। परमेश्वर अपने लोगों पर क्रोधित हुआ और उसे रोकने के लिये कुछ भी नहीं था जिसे किया जा सके।
पूरे समूह के सभा की ओर से हमारे प्रमुखों को निर्णय करने दो। तब निश्चित समय पर हमारे नगरों का हर एक व्यक्ति जिसने किसी विदेशी स्त्री से विवाह किया है, यरूशलेम आए। उन्हें अपने अग्रजों (प्रमुखों) और नगरों के न्यायाधीशों के साथ यहाँ आने दिया जाये। तब हमारा परमेश्वर हम पर क्रोधित होना छोड़ देगा।”