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2 पतरस 3:5 - पवित्र बाइबल

5 किन्तु जब वे यह आक्षेप करते हैं तो वे यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर के वचन द्वारा आकाश युगों से विद्यमान है और पृथ्वी जल में से बनी और जल में स्थिर है,

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Hindi Holy Bible

5 वे तो जान बूझ कर यह भूल गए, कि परमेश्वर के वचन के द्वारा से आकाश प्राचीन काल से वर्तमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 वे जान-बूझकर यह भूल जाते हैं कि प्राचीन काल में एक आकाश था और एक पृथ्‍वी, जो परमेश्‍वर के शब्‍द द्वारा जल से उत्‍पन्न हो कर जल पर बनी हुई थी।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 वे तो जान बूझकर यह भूल गए कि परमेश्‍वर के वचन के द्वारा आकाश प्राचीन काल से विद्यमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है,

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नवीन हिंदी बाइबल

5 वे जानबूझकर इस बात को अनदेखा कर देते हैं कि परमेश्‍वर के वचन के द्वारा आकाश का अस्तित्व तो बहुत पहले से है, और उसी के द्वारा पृथ्वी जल में से रची गई और जल के द्वारा स्थिर है,

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सरल हिन्दी बाइबल

5 जब वे जानबूझकर यह भूल जाते हैं कि प्राचीन काल में परमेश्वर के शब्द मात्र द्वारा आकाशमंडल अस्तित्व में आया तथा शब्द ही के द्वारा जल में से, जल के द्वारा ही पृथ्वी की रचना हुई.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

5 वे तो जान बूझकर यह भूल गए, कि परमेश्वर के वचन के द्वारा से आकाश प्राचीनकाल से विद्यमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है (उत्प. 1:6-9)

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2 पतरस 3:5
11 क्रॉस रेफरेंस  

तब परमेश्वर ने कहा, “जल को दो भागों में अलग करने के लिए वायुमण्डल हो जाए।”


और तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी का जल एक जगह इकट्ठा हो जिससे सूखी भूमि दिखाई दे” और ऐसा ही हुआ।


परमेश्वर ने सागर के बीच में सूखी धरती को स्थापित किया। उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।


यहोवा ने इस धरती को जल पर रचा है। उसने इसको जल—धारों पर बनाया।


यहोवा ने आदेश दिया और सृष्टि तुरंत अस्तित्व में आई। परमेश्वर के श्वास ने धरती पर हर वस्तु रची।


मूर्ख के हाथों में धन का क्या प्रयोजन! क्योंकि, उसको चाह नहीं कि बुद्धि को मोल ले।


और क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को पहचानने से मना कर दिया सो परमेश्वर ने उन्हें कुबुद्धि के हाथों सौंप दिया। और ये ऐसे अनुचित काम करने लगे जो नहीं करने चाहिये थे।


सबसे पहले उसी का अस्तित्व था, उसी की शक्ति से सब वस्तुएँ बनी रहती हैं।


विश्वास के आधार पर ही हम यह जानते हैं कि परमेश्वर के आदेश से ब्रह्माण्ड की रचना हुई थी। इसलिए जो दृश्य है, वह दृश्य से ही नहीं बना है।


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