20 सो यदि ये हमारे प्रभु एवं उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह को जान लेने और संसार के खोट से बच निकलने के बाद भी फिर से उन ही में फंस कर हार गये हैं, तो उनके लिए उनकी यह बाद की स्थिति, उनकी पहली स्थिति से कहीं बुरी है
20 और जब वे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की पहचान के द्वारा संसार की नाना प्रकार की अशुद्धता से बच निकले, और फिर उन में फंस कर हार गए, तो उन की पिछली दशा पहिली से भी बुरी हो गई है।
20 जो व्यक्ति हमारे प्रभु एवं मुक्तिदाता येशु मसीह का ज्ञान प्राप्त कर संसार के दूषण से बच गये, वे यदि फिर उसी में फँस कर उसके अधीन हो जाते हैं, तो उनकी यह पिछली दशा पहली से भी बुरी होती है।
20 जब वे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की पहचान के द्वारा संसार की नाना प्रकार की अशुद्धता से बच निकले, और फिर उनमें फँसकर हार गए, तो उनकी पिछली दशा पहली से भी बुरी हो गई है।
20 यदि वे हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के ज्ञान के द्वारा इस संसार की अशुद्धताओं से बच निकलने के बाद फिर से उनमें फँसकर हार जाते हैं, तो उनकी दशा पहले से भी बुरी हो जाती है।
20 यदि वे मसीह येशु हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता के सारे ज्ञान के द्वारा संसार की मलिनता से छूटकर निकलने के बाद दोबारा उसी में फंसकर उसी के अधीन हो गए हैं, तो यह स्पष्ट है कि उनकी वर्तमान स्थिति पिछली स्थिति से बदतर हो चुकी है.
“यह हो सकता है कि मैं किसी अच्छे व्यक्ति के लिये कहूँ कि वह जीवित रहेगा। किन्तु यह हो सकता है कि वह अच्छा व्यक्ति यह सोचना आरम्भ करे कि अतीत में उसके द्वारा किये गए अच्छे कर्म उसकी रक्षा करेंगे। अत: वह बुरे काम करना आरम्भ कर सकता है। किन्तु मैं उसके अतीत के पुण्यों को याद नहीं रखूँगा! नहीं, वह उन पापों के कारण मरेगा जिन्हें वह करना आरम्भ करता है।
याजक को उसे देखना चाहिए। यदि सूजन चर्म से गहरा है और इस पर के बाल सफेद हो गये हैं तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि वह व्यक्ति अशुदध है। वह दाग भयानक चर्म रोग है। यह फोड़े के भीतर से फूट पड़ा है।
उस समय के बाद याजक को फिर देखना चाहिए। यदि फफूँदी ठीक वैसी ही दिखाई देती है तो वह वस्तु अशुद्ध है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि छूत फैली नहीं है। तुम्हें उस कपड़े या चमड़े को जला देना चाहिए।
ऐसा कोई भी, जो सैनिक के समान सेवा कर रहा है, अपने आपको साधारण जीवन के जंजाल में नहीं फँसाता क्योंकि वह अपने शासक अधिकारी को प्रसन्न करने के लिए यत्नशील रहता है।
परम पिता परमेश्वर के सामने सच्ची और शुद्ध भक्ति वही है जिसमें अनाथों और विधवाओं की उनके दुःख दर्द में सुधि ली जाए और स्वयं को कोई सांसारिक कलंक न लगने दिया जाए।
अपने जीवन के लिए और परमेश्वर की सेवा के लिए जो कुछ हमें चाहिए, अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा उसने सब कुछ हमें दिया है। क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिसने अपनी धार्मिकता और महिमा के कारण हमें बुलाया है।
इन्हीं के द्वारा उसने हमें वे महान और अमूल्य वरदान दिये हैं, जिन्हें देने की उसने प्रतिज्ञा की थी ताकि उनके द्वारा तुम स्वयं परमेश्वर के समान हो जाओ और उस विनाश से बच जाओ जो लोगों की बुरी इच्छाओं के कारण इस जगत में स्थित है।
क्योंकि यदि ये गुण तुममें हैं और उनका विकास हो रहा है तो वे तुम्हें कर्मशील और सफल बना देंगे तथा उनसे तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह का परिपूर्ण ज्ञान प्राप्त होगा
ये उन्हें जो भटके हुओं से बच निकलने का अभी आरम्भ ही कर रहे हैं, अपनी व्यर्थ की अहंकारपूर्ण बातों से उनकी भौतिक वासनापूर्ण इच्छाओं को जगा कर सत् पथ से डिगा लेते हैं।