38 तब वे देश में जहाँ वे बन्दी हैं, अपने पूरे हृदय व आत्मा से तेरे पास लौटेंगे और इस देश की ओर जो तूने उनके पूर्वजों को दिया है, इस नगर की ओर जिसको तूने चुना है, और इस मन्दिर की ओर जो मैंने तेरे नाम की महिमा के लिये निर्मित किया है, उसकी ओर मुख करके प्रार्थना करेंगे।
38 सो यदि वे अपनी बन्धुआई के देश में जहां वे उन्हें बन्धुआ कर के ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तू ने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तू ने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैं ने तेरे नाम का बनाया है, मुंह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
38 यदि वे अपने निष्कासन के देश में, जहां शत्रु उन्हें बन्दी बनाकर ले गए थे, सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से पश्चात्ताप करेंगे, और इस देश की ओर जो तूने उनके पूर्वजों को दिया है, इस नगर की ओर, जिसको तूने चुना है, और इस भवन की ओर, जो मैंने तेरे नाम की महिमा के लिए निर्मित किया है, मुख करके प्रार्थना करेंगे,
38 इसलिये यदि वे अपनी बँधुआई के देश में जहाँ वे उन्हें बन्दी बनाकर ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तू ने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तू ने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैं ने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
38 यदि वे बंधुआई के उस देश में, जहां उन्हें ले जाया गया है, सच्चे हृदय और संपूर्ण प्राणों से इस देश की ओर, जिसे आपने उनके पूर्वजों को दिया है, उस नगर की ओर जिसे आपने चुना है और इस भवन की ओर, जिसको मैंने आपके लिए बनवाया है, मुंह करके प्रार्थना करें;
38 इसलिए यदि वे अपनी बँधुआई के देश में जहाँ वे उन्हें बन्दी बनाकर ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तूने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तूने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैंने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
दानिय्येल तो सदा ही प्रतिदिन तीन बार परमेश्वर से प्रार्थना किया करता था। हर दिन तीन बार दानिय्येल अपने घुटनों के बल झुक कर अपने परमेश्वर की प्रार्थना करता और उसका गुणगान करता था। दानिय्येल ने जब इस नये नियम के बारे में सुना तो वह अपने घर चला गया। दानिय्येल अपने मकान की छत के ऊपर, अपने कमरे में चला गया। दानिय्येल उन खिड़कियों के पास गया जो यरूशलम की ओर खुलती थीं। फिर वह अपने घटनों के बल झुका जैसे सदा किया करता था, उसने वैसे ही प्रार्थना की।
“जब तू अपने लोगों को किसी स्थान पर उनके शत्रुओं के साथ लड़ने के लिये भेजे और वे इस नगर की ओर देखकर प्रार्थना करें, जिसे तूने चुना है तथा इस मन्दिर की ओर देखें जिसे मैंने तेरे नाम पर बनाया है।
किन्तु जब वे अपना विचार बदलेंगे और वे याचना करेंगे जबकि वे बन्दी बनाये जाने वाले देश में ही हैं। वे कहेंगे, ‘हम लोगों ने पाप किया है, हम लोगों ने बुरा किया है तथा हम लोगों ने दुष्टता की है।’
जब ऐसा हो तो तू स्वर्ग से उनकी सुन। स्वर्ग तेरा आवास है। उनकी प्रार्थना और याचना को स्वीकार कर और उनकी सहायता कर और अपने उन लोगों को क्षमा कर दे जिन्होंने तेरे विरुद्ध पाप किया है।