19 उन सेवकों ने उन देवताओं के विरुद्ध बुरी बातें कहीं जिनकी पूजा संसार के लोग करते थे। वे देवता सिर्फ ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें मनुष्यों ने अपने हाथ से बनाया है। इस प्रकार उन सेवकों ने वे ही बुरी बातें यरूशलेम के परमेश्वर के विरुद्ध कहीं।
19 दूत यरूशलेम के परमेश्वर के विषय में ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहे थे, जिनका प्रयोग वे पृथ्वी के अन्य देशों के उन देवी-देवताओं के विषय में करते थे, जो केवल मिट्टी के पुतले, मनुष्य के हाथों की रचना हैं!
परमेश्वर का एक व्यक्ति इस सन्देश के साथ इस्राएल के राजा के पास आया: “यहोवा ने कहा है, ‘अराम के लोगों ने कहा है कि मैं अर्थात् यहोवा पर्वतों का परमेश्वर हूँ। वे समझते हैं कि घाटियों का परमेश्वर मैं नहीं हूँ। इसलिए मैं तुम्हें इस विशाल सेना को पराजित करने दूँगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा सर्वत्र हूँ।’”
उन्होंने राष्ट्रों के देवताओं को आग में फेंक दिया। किन्तु वे सच्चे देवता नहीं थे। वे केवल लकड़ी और पत्थर की मूर्ति थे जिन्हें मनुष्यों ने बना रखा था। यही कारण था कि अश्शूर के राजा उन्हें नष्ट कर सके।
वह सेना अपने नगर में दूत भेजेंगे। दूत अपने लोगों से क्या कहेंगे वे घोषणा करेंगे: “पलिश्ती पराजित हुआ, किन्तु यहोवा ने सिय्योन को सुदृढ़ बनाया है, और उसके दीन जन वहाँ रक्षा पाने को गये।”
अश्शूर के राजाओं ने उन देशों के देवताओं को जला डाला है किन्तु वे सच्चे देवता नहीं थे। वे तो केवल ऐसे मूर्ती थे जिन्हें लोगों ने बनाया था। वे तो कोरी लकड़ी थे, कोरे पत्थर थे। इसलिये वे समाप्त हो गये। वे नष्ट हो गये।
और मैं अपने लोगों के विरूद्ध अपने निर्णय की घोषणा करूँगा। मैं यह इसलिये करूँगा, क्योंकि वे बुरे लोग हैं, और वे मेरे विरुद्ध चले गए हैं। मेरे लोगों ने मुझे छोड़ा। उन्होंने अन्य देवताओं को बलि चढ़ाई। उन्होंने अपने हाथों से बनाई गई मूर्तियों को पूजा की।
वे अपनी मूर्तियों को तर्शीश नगर की चाँदी और उफाज नगर के सोने का उपयोग करके बनाते हैं। वे देवमूर्तियाँ वढइयों और सुनारो द्वारा बनाई जाती हैं। वे उन देवमूर्तियों को नीले और बैंगनी वस्त्र पहनाते हैं। निपुण लोग उन्हें “देवता” बनाते हैं।
मैंने इस्राएल और यहूदा के लोगों पर नजर रखी है। वे जो कुछ करते हैं, बुरा है। वे तब से बुरा कर रहे हैं जब से वे युवा थे। इस्राएल के लोगों ने मुझे बहुत क्रोधित किया। उन्होंने मुझे क्रोधित किया क्योंकि उन्होंने उन देवमूर्तियों की पूजा की जिन्हें उन्होंने अपने हाथों से बनाया।” यह सन्देश यहोवा का है।
“‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो असत्य देवता बनाता है और उसे अपने गुप्त स्थान में रखता है। असत्य देवता केवल वे मूर्तियाँ हैं जिसे कोई कारीगर लकड़ी, पत्थर या धातु की बनाता है। यहोवा उन चीजों से घृणा करता है!’ “तब सभी लोग उत्तर देंगे, ‘आमीन!’
तुम लोग वहाँ मनुष्यों के बनाए देवताओं की पूजा करोगे, उन चीजों की जो लकड़ी और पत्थर की होंगी जो देख नहीं सकतीं, सुन नहीं सकतीं, खा नहीं सकतीं, सूँघ नहीं सकतीं।
मैंने एक शेर और एक रीछ को मार डाला है! मैं उस विदेशी गोलियत को वैसे ही मार डालूँगा। गोलियत मरेगा, क्योंकि उसने साक्षात परमेश्वर की सेना का मजाक उड़ाया है।