2 इतिहास 32:17 - पवित्र बाइबल17 अश्शूर के राजा ने ऐसे पत्र भी लिखे जो इस्राएल के यहोवा परमेश्वर का अपमान करते थे। अश्शूर के राजा ने उन पत्रों में जो कुछ लिखा था वह यह है: “अन्य राज्यों के देवता मुझसे नष्ट होने से अपने लोगों को न बचा सके। उसी प्रकार हिजकिय्याह का परमेश्वर अपने लोगों को मेरे द्वारा नष्ट किये जाने से नहीं रोक सकता।” अध्याय देखेंHindi Holy Bible17 फिर उसने ऐसा एक पत्र भेजा, जिस में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की निन्दा की थे बातें लिखी थीं, कि जैसे देश देश की जातियों के देवताओं ने अपनी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचाया वैसे ही हिजकिय्याह का देवता भी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचा सकेगा। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)17 सनहेरिब ने इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर की निन्दा करते हुए पत्र भी लिखे। उस ने प्रभु परमेश्वर के विरुद्ध ये बातें लिखी थीं, “जैसे विश्व की अन्य कौमों और देशों के राष्ट्रीय देवी-देवता अपने निज लोगों को मेरे पंजे से नहीं छुड़ा सके, वैसे ही हिजकियाह का परमेश्वर भी अपने निज लोगों को मेरे पंजे से नहीं छुड़ा सकेगा।” अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)17 फिर उसने ऐसा एक पत्र भेजा, जिसमें इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की निन्दा की ये बातें लिखी थीं : “जैसे देश देश की जातियों के देवताओं ने अपनी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचाया वैसे ही हिजकिय्याह का देवता भी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचा सकेगा।” अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल17 सेनहेरीब ने याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के प्रति अपमानजनक पत्र भी भेजे. इनमें उसने यह लिखा था, “जैसा विभिन्न देशों के देवता उन्हें मुझसे सुरक्षा प्रदान करने में असफल रहे हैं, वैसे ही हिज़किय्याह का परमेश्वर भी उसके लोगों को मुझसे सुरक्षा देने में असफल रहेगा.” अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 201917 फिर उसने ऐसा एक पत्र भेजा, जिसमें इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की निन्दा की ये बातें लिखी थीं: “जैसे देश-देश की जातियों के देवताओं ने अपनी-अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचाया वैसे ही हिजकिय्याह का देवता भी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचा सकेगा।” अध्याय देखें |
कुल्हाड़ा उस व्यक्ति से अच्छा नहीं होता, जो कुल्हाड़े को चलाता है। कोई आरा उस व्यक्ति से अच्छा नहीं होता, जो उस आरे से काटता है। किन्तु अश्शूर का विचार है कि वह परमेश्वर से भी अधिक महत्वपर्ण और बलशाली है। उसका यह विचार ऐसा ही है जैसे किसी छड़ी का यह सोचना कि वह उस व्यक्ति से अधिक बली और महत्वपूर्ण है जो उसे उठाता है और किसी को दण्ड देने के लिए उसका प्रयोग करता है।