21 उसने जो भी कार्य परमेश्वर के मन्दिर की सेवा में, नियमों व आज्ञाओं का पालन करने में और अपने परमेश्वर का अनुसरण करने में किये उसमें उसे सफलता मिली। हिजकिय्याह ने ये सभी कार्य अपने पूरे हृदय से किये।
21 और जो जो काम उसने परमेश्वर के भवन की उपासना और व्यवस्था और आज्ञा के विषय अपने परमेश्वर की खोज में किया, वह उसने अपना सारा मन लगाकर किया और उस में कृतार्थ भी हुआ।
21 उसने जो भी कार्य अपने हाथ में लिया, उसको पूर्ण हृदय से किया। उसने मन लगाकर परमेश्वर के भवन में आराधना का प्रबन्ध किया, परमेश्वर की व्यवस्था और उसकी आज्ञाओं के अनुरूप परमेश्वर की खोज की और वह उसमें सफल भी हुआ।
21 जो जो काम उसने परमेश्वर के भवन की उपासना और व्यवस्था और आज्ञा के विषय अपने परमेश्वर की खोज में किया, वह उसने अपना सारा मन लगाकर किया और उसमें सफल भी हुआ।
21 हर एक काम, जो उसने व्यवस्था और आदेशों के अनुसार परमेश्वर के भवन के हित में किया, जिसमें उसने परमेश्वर की इच्छा मालूम की, उसने सभी कुछ अपने पूरे मन से ही किया और हमेशा ही समृद्ध होता गया.
21 जो-जो काम उसने परमेश्वर के भवन की उपासना और व्यवस्था और आज्ञा के विषय अपने परमेश्वर की खोज में किया, वह उसने अपना सारा मन लगाकर किया और उसमें सफल भी हुआ।
और यदि तुम यहोवा की आज्ञा का पालन करते रहोगे तो यहोवा मेरे लिये की गई प्रतिज्ञाओं का पालन करेगा। मेरे लिये यहोवा ने जो प्रतिज्ञा की, वह यह है, ‘तुम्हारे पुत्रों को मेरी आज्ञा का पालन करना चाहिये और उन्हें वैसे रहना चाहिये जैसा रहने के लिये मैं कहूँ। तुम्हारे पुत्रों को पूरे हृदय और आत्मा से मुझमें विश्वास रखना चाहिये। यदि तुम्हारे पुत्र यह करेंगे तो तुम्हारे परिवार का एक व्यक्ति सदा इस्राएल के लोगों का शासक होगा।’”
होवा हिजकिय्याह के साथ था। हिजकिय्याह ने जो कुछ किया, उसमें वह सफल रहा। हिजकिय्याह ने अश्शूर के राजा से अपने को स्वतन्त्र कर लिया। हिजकिय्याह ने अश्शूर के राजा की सेवा करना बन्द कर दिया।
और तुम्हें सफलता तब मिलेगी जब तुम उन नियमों और व्यवस्था के पालन में सावधान रहोगे जो यहोवा ने मूसा को इस्राएल के लिये दी थी। तुम शक्तिशाली और वीर बनो। डरो नहीं।
अब तुम अपने हृदय और आत्मा को अपने यहोवा परमेश्वर को समर्पित कर दो और वह जो कहे, करो। यहोवा परमेश्वर का पवित्र स्थान बनाओ। यहोवा के नाम के लिये मन्दिर बनाओ। तब साक्षिपत्र का सन्दूक तथा अन्य सभी पवित्र चीजें मन्दिर में लाओ।”
आसा ने यहूदा के लोगों से कहा, “हम लोग इन नगरों को बनाऐं और इनके चारों ओर चारदीवारी बनाऐं। हम गुम्बद, द्वार और द्वारों में छड़ें लगायें। जब तक हम लोग देश में हैं, यह करें। यह देश हमारा है क्योंकि हम लोगों ने अपने यहोवा परमेश्वर का अनुसरण किया है। उसने हम लोगों को सब ओर से शान्ति दी है।” इसलिये उन्होंने यह सब बनाया और वे सफल हुए।
चौथे दिन यहोशापात और उसकी सेना बराका की घाटी में मिले। उन्होंने उस स्थान पर यहोवा की स्तुति की। यही कारण है कि उस स्थान का नाम आज तक “बराका की घाटी” है।
उज्जिय्याह ने परमेश्वर का अनुसरण जकर्याह के जीवन—काल में किया। जकर्याह ने उज्जिय्याह को शिक्षा दी कि परमेश्वर का सम्मान और उसकी आज्ञा का पालन कैसे किया जाता है। जब उज्जिय्याह यहोवा की आज्ञा का पालन कर रहा था तब परमेश्वर ने उसे सफलता दिलाई।
हर समय करने के लिये तुम्हारे पास काम है। इसे तुम जितनी उत्तमता से कर सकते हो करो। कब्र में तो कोई काम होगा ही नहीं। वहाँ न तो चिन्तन होगा, न ज्ञान और न विवेक और मृत्यु के उस स्थान को हम सभी तो जा रहे हैं।
“इस्राएल के लोगो, अब सुनो! यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चाहता है कि तुम ऐसा करोः यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करो और वह जो कुछ तुमसे कहे, करो। यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करो और उसकी सेवा हृदय और आत्मा से करो।