13 उसने नजर दौड़ाई और राजा को देखा। राजा राज स्तम्भ के साथ सामने वाले द्वार पर खड़ा था। अधिकारी और लोग जो तुरही बजाते थे, राजा के पास थे। देश के लोग प्रसन्न थे और तुरही बजा रहे थे। गायक संगीत वाद्यों को बजा रहे थे। गायक प्रशंसा के गायन में लोगों का नेतृत्व कर रहे थे। तब अतल्याह ने अपने वस्त्रों को फाड़ डाला, और उसने कहा, “षड़यन्त्र!”
13 और उसने क्या देखा, कि राजा द्वार के निकट खम्भे के पास खड़ा है और राजा के पास प्रधान और तुरही बजाने वाले खड़े हैं, और सब लोग आनन्द कर रहे हैं और तुरहियां बजा रहे हैं और गाने बजाने वाले बाजे बजाते और स्तुति करते हैं। तब अतल्याह अपने वस्त्र फाड़ कर पुकारने लगी, राजद्रोह, राजद्रोह!
13 उसने देखा, प्रवेश-द्वार पर राजा राजकीय मंच पर खड़ा है। शतपति और तुरही-वादक भी राजा के समीप खड़े हैं। आम जनता आनन्द मना रही है। वे नरसिंगे फूंक रहे हैं। गायक अपने हाथों में वाद्य-यन्त्र लिए हुए समारोह का संचालन कर रहे हैं। अतल्याह ने अपने राजसी वस्त्र फाड़ दिए, और वह चिल्लाई, ‘यह राज-द्रोह है!’
13 उसने क्या देखा, कि राजा द्वार के निकट खम्भे के पास खड़ा है, और राजा के पास प्रधान और तुरही बजानेवाले खड़े हैं, और सब लोग आनन्द कर रहे हैं और तुरहियाँ बजा रहे हैं और गाने बजानेवाले बाजे बजाते और स्तुति करते हैं। तब अतल्याह अपने वस्त्र फाड़कर पुकारने लगी, राजद्रोह, राजद्रोह!
13 उसने दृष्टि की और देखा कि राजा अपने ठहराए हुए खंभे के पास खड़ा हुआ था और शतपति और तुरही वादक राजा के पास खड़े हुए थे. सभी देशवासी आनन्दमग्न हो तुरही फूंक रहे थे, गायक लोग अपने वाद्य-यंत्रों के साथ स्तुति कर रहे थे. यह देख अथालियाह अपने वस्त्र फाड़ चिल्ला उठी, “राजद्रोह! राजद्रोह!”
13 उसने क्या देखा, कि राजा द्वार के निकट खम्भे के पास खड़ा है, और राजा के पास प्रधान और तुरही बजानेवाले खड़े हैं, और सब लोग आनन्द कर रहे हैं और तुरहियां बजा रहे हैं और गाने बजानेवाले बाजे बजाते और स्तुति करते हैं। तब अतल्याह अपने वस्त्र फाड़कर पुकारने लगी, राजद्रोह, राजद्रोह!
कोई भी व्यक्ति यह नहीं जानता है कि इसके बाद उसके साथ क्या होने वाला है। वह जाल में फँसी उस मछली के समान होता है जो यह नहीं जानती कि आगे क्या होगा। वह उस जाल मैं फँसी चिड़िया के समान होता है जो यह नहीं जानती कि क्या होने वाला है? इसी प्रकार एक व्यक्ति उन बुरी बातों में फाँस लिया जाता है जो उसके साथ घटती हैं।
तब राजा अपने स्थान पर खड़ा हुआ। उसने यहोवा के साथ वाचा की। उसने यहोवा का अनुसरण करने की और यहोवा के आदेशों, विधियों और नियमों का पालन करने की वाचा की। योशिय्याह पूरे हृदय और आत्मा से आज्ञा पालन करने को सहमत हुआ। वह पुस्तक में लिखे वाचा के कथनों का पालन करने को सहमत हुआ।
सभी लेवीवंशी जो साक्षीपत्र के सन्दूक को लेकर चल रहे थे, उत्तम सन के चोगे पहने थे। गायन का प्रबन्धक कनन्याह और सभी गायक उत्तन सन के चोगे पहने थे और दाऊद भी उत्तम सन का बना एपोद पहने था।
याजक शबन्याह, योशापत, नतनेल, अमासै, जकर्याह, बनायाह और एलीएजेर का काम साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने चलते समय तुरही बजाना था। ओबेदेदोम और यहिय्याह साक्षीपत्र के सन्दूक के लिये अन्य रक्षक थे।
जहाँ इस्सकार, जबूलून, और नप्ताली के समूह रहते थे, उस क्षेत्र से भी उनके पड़ोसी गधे, ऊँट, खच्चर, और गायों पर भोजन लेकर आये। वे बहुत सा आटा, अंजीर—पूड़े, रेशिन, दाखमधु, तेल, गाय बैल और भेड़ें लाए। इस्राएल में लोग बहुत खुश थे।
राजा स्तम्भ के पास खड़ा हुआ और उसने यहोवा के साथ वाचा की। उसने यहोवा का अनुसरण करना, उसकी आज्ञा, वाचा और नियमों का पालन करना स्वीकार किया। उसने पूरी आत्मा और हृदय से यह करना स्वीकार किया। उसने उस पुस्तक में लिखी वाचा को मानना स्वीकार किया। सभी लोग यह प्रकट करने के लिये खड़े हुए कि वे राजा की वाचा का समर्थन करते हैं।
इसलिए गिदोन ने इस्राएल के शेष व्यक्तियों को उनके घर भेज दिया। किन्तु गिदोन ने तीन सौ व्यक्तियों को अपने साथ रखा। उन तीन सौ आदमियों ने अन्य जाने वाले आदमियों के भोजन, सामग्री और तुरहियों को रख लिया। अभी मिद्यानी लोग, गिदोन के नीचे घाटी में डेरा डाले हुए थे।
अतल्याह ने उस स्तम्भ के सहारे राजा को देखा जहाँ राजा प्रायः खड़े होते थे। उसने प्रमुखों और लोगों को राजा के लिये तुरही बजाते हुये भी देखा। उसने देखा कि सभी लोग बहुत प्रसन्न थे। उसने तुरही को बजते हुए सुना और उसने अपने वस्त्र यह प्रकट करने के लिये फाड़ डाले कि उसे बड़ी घबराहट है। तब अतल्याह चिल्ला उठी, “षडयन्त्र! षडयन्त्र!”
याजक यहोयादा सेना के नायकों को बाहर लाया। उसने उनसे कहा, “अतल्याह को, सेना से, बाहर ले आओ। अपनी तलवार का उपयोग उस व्यक्ति को मार डालने के लिये करो जो उसके साथ जाता है।” तब याजक ने सैनिकों को चेतावनी दी, “अतल्याह को यहोवा के मन्दिर में मत मारो।”
शासक फाटक के प्रवेश कक्ष से अन्दर आएगा और उस फाटक के स्तम्भ के सहारे खड़ा होगा। तब याजक शासक की होमबलि और मेलबलि चढ़ाएगा। शासक फाटक की देहली पर उपासना करेगा। तब वह बाहर जाएगा। किन्तु फाटक संध्या होने तक बन्द नहीं होगा।