2 इतिहास 20:21 - पवित्र बाइबल21 यहोशापात ने लोगों का सुझाव सुना। तब उसने यहोवा के लिये गायक चुने। वे गायक यहोवा की स्तुति के लिये चुने गए थे क्योंकि वह पवित्र और अद्भुत हैं। वे सेना के सामने कदम मिलाते हुए बढ़े और उन्होने यहोवा की स्तुति की। इन गायकों ने गाया, “परमेश्वर को धन्यवाद दो क्योंकि उसका प्रेम सदैव रहता है!” अध्याय देखेंHindi Holy Bible21 तब उसने प्रजा के साथ सम्मति कर के कितनों को ठहराया, जो कि पवित्रता से शोभायमान हो कर हथियारबन्दों के आगे आगे चलते हुए यहोवा के गीत गाएं, और यह कहते हुए उसकी स्तुति करें, कि यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)21 तब उसने लोगों से विचार-विमर्श किया, और कुछ गायकों को नियुक्त किया कि वे पवित्र वस्त्र पहिन कर प्रभु का स्तुति-गान करें, और जब सेना प्रस्थान करे तब वे उसके आगे-आगे यह गाएं : “प्रभु की स्तुति करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।” अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)21 तब उसने प्रजा के साथ सम्मति करके कितनों को ठहराया, जो कि पवित्रता से शोभायमान होकर हथियारबन्दों के आगे आगे चलते हुए यहोवा के गीत गाएँ, और यह कहते हुए उसकी स्तुति करें, “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।” अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल21 जब राजा लोगों से सलाह-मशवरा कर चुका, उसने याहवेह के स्तुति के लिए गायक चुने. इनका काम था पवित्र वस्त्र पहनकर सेना के आगे-आगे चलते हुए इन शब्दों में याहवेह की स्तुति करना, “याहवेह का धन्यवाद करो-वे भले हैं; उनकी करुणा सदा की है.” अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 201921 तब उसने प्रजा के साथ सम्मति करके कितनों को ठहराया, जो कि पवित्रता से शोभायमान होकर हथियार-बन्दों के आगे-आगे चलते हुए यहोवा के गीत गाएँ, और यह कहते हुए उसकी स्तुति करें, “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।” अध्याय देखें |
जो तुरही बजा रहे थे और गा रहे थे, वे एक व्यक्ति की तरह थे। जब वे यहोवा की स्तुति करते थे और उसे धन्यवाद देते थे तब वे एक ही ध्वनि करते थे। तुरही, झाँझ तथा अन्य वाद्य यन्त्रों पर वे तीव्र घोष करते थे, उन्होंने यहोवा की स्तुति में यह गीत गया: “यहोवा की स्तुति करो क्योंकि वह भला है। उसका प्रेम शाश्वत है।” तब यहोवा का मन्दिर मेघ से भर उठा।
याजक अपना कार्य करने के लिये तैयार खड़े थे। लेवीवंशी भी यहोवा के संगीत के उपकरणों के साथ खड़े थे। ये उपकरण राजा दाऊद द्वारा यहोवा को धन्यवाद देने के लिये बनाए गए थे। याजक और लेवीवंशी कह रहे थे, “यहोवा का प्रेम सदैव रहता है!” जब लेवीवंशियों के दूसरी ओर याजक खड़े हुए तो याजकों ने अपनी तुरहियाँ बजाईं और इस्राएल के सभी लोग खड़े थे।
लोगों ने यरूशलेम की दीवार का समर्पण किया। उन्होंने सभी लेवियों को यरूशलेम में बुलाया। सो लेवी जिस किसी नगर में भी रह रहे थे, वहाँ से वे आये। यरूशलेम की दीवार के समर्पण को मनाने के लिए वे यरूशलेम आये। परमेश्वर को धन्यवाद देने और स्तुतिगीत गाने के लिए लेवीवंशी वहाँ आये। उन्होंने अपनी झाँझ, सारंगी और वीणाएँ बजाईं।
वहाँ सुख और आनन्द की किलोलें होंगी। वहाँ वर—वधु की उमंग भरी चुहल होगी। वहाँ यहोवा के मन्दिर में अपनी भेंट लाने वाले की मधुर वाणी होगी। वे लोग कहेंगे, सर्वशक्तिमान यहोवा की स्तुति करो! यहोवा दयालु है! यहोवा की दया सदा बनी रहती है! लोग ये बातें कहेंगे क्योंकि मैं फिर यहूदा के लिये अच्छे काम करुँगा। यह वैसा ही होगा जैसा आरम्भ में था।” ये बातें यहोवा ने कही।