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1 शमूएल 15:12 - पवित्र बाइबल

12 शमूएल अगले सवेरे उठा और शाऊल से मिलने गया। किन्तु लोगों ने बताया, “शाऊल यहूदा में कर्मेल नामक नगर को गया है। शाऊल वहाँ अपने सम्मान में एक पत्थर की यादगार बनाने गया था। तब शाऊल ने कई स्थानों की यात्रा की और अन्त में गिलगाल को चला गया।” इसलिये शमूएल वहाँ गया जहाँ शाऊल था। शाऊल ने अमालेकियों से ली गई चीज़ों का पहला भाग ही भेंट में चढ़ाया था। शाऊल उन्हें होम बलि के रूप में यहोवा को भेंट चढ़ा रहा था।

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Hindi Holy Bible

12 बिहान को जब शमूएल शाऊल से भेंट करने के लिये सवेरे उठा; तब शमूएल को यह बताया गया, कि शाऊल कर्म्मेल को आया था, और अपने लिये एक निशानी खड़ी की, और घूमकर गिलगाल को चला गया है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 वह सबेरे शाऊल से भेंट करने के लिए उठा। परन्‍तु शमूएल को यह बताया गया : ‘शाऊल कर्मेल नगर को गए थे। उन्‍होंने वहाँ एक विजय-स्‍तम्‍भ स्‍थापित किया है। वह वहाँ से मुड़कर आगे बढ़ गए और अब गिलगाल की ओर चले गए हैं।’

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 जब शमूएल शाऊल से भेंट करने के लिये सबेरे उठा; तब शमूएल को यह बताया गया, “शाऊल कर्मेल को आया था, और अपने लिये एक स्मारक खड़ा किया, और घूमकर गिलगाल को चला गया है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

12 प्रातःकाल वह शीघ्र उठ गए कि जाकर शाऊल से मिलें; मगर उन्हें यह सूचना दी गई, “शाऊल कर्मेल को चले गए थे, कि वह वहां अपनी स्मृति के लिए एक स्मारक का निर्माण करें. इसके बाद वह आगे बढ़कर गिलगाल को चले गए हैं.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

12 जब शमूएल शाऊल से भेंट करने के लिये सवेरे उठा; तब शमूएल को यह बताया गया, “शाऊल कर्मेल को आया था, और अपने लिये एक स्मारक खड़ा किया, और घूमकर गिलगाल को चला गया है।”

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1 शमूएल 15:12
12 क्रॉस रेफरेंस  

दूसरे दिन बहुत सवेरे इब्राहीम ने कुछ भोजन और पानी लिया। इब्राहीम ने यह चीज़ें हाजिरा को दें दी। हाजिरा ने वे चीज़ें लीं और बच्चे के साथ वहाँ से चली गई। हाजिरा ने वह स्थान छोड़ा और वह बेर्शेबा की मरुभूमि में भटकने लगी।


जब अबशालोम जीवित था, उसने राजा की घाटी में एक स्तम्भ खड़ा किया था। अबशालोम ने कहा, था, “मेरा कोई पुत्र मेरे नाम को चलाने वाला नहीं है।” इसलिये उसने स्तम्भ को अपना नाम दिया। वह स्तम्भ आज भी “अबशालोम का स्मृति—चिन्ह” कहा जाता है।


कर्म्मली हेस्रो; अराबी पारै;


अत: राजा अहाब भोजन करने गया। उसी समय एलिय्याह कर्म्मेल पर्वत की चोटी पर चढ़ा। पर्वत की चोटी पर एलिय्याह प्रणाम करने झुका। उसने अपने सिर को अपने घुटनों के बीच में रखा।


उज्जिय्याह ने मीनारों को मरुभूमि में बनाया। उसने बहुत से कुँए भी खुदवाए। उसके पास पहाड़ी और मैदानी प्रदेशों में बहुत से पशु थे। उज्जिय्याह के पास पर्वतों में और जहाँ अच्छी उपज होती थी, उस भूमि में किसान थे। वह ऐसे व्यक्तियों को भी रखे हुए था जो उन खेतों की रखवाली करते थे जिनमें अँगूर होते थे। उसे कृषि से प्रेम था।


यहूदा के लोगों को ये नगर भी दिये गये थे: माओन, कर्मेल, जीप, यूता,


मैंने अपने मन में सोचा, “पलिश्ती यहाँ गिलगाल में आकर मुझ पर आक्रमण करेंगे और मैंने अब तक यहोवा से हमारी सहायता करने के लिये याचना नहीं की है। अत: मैंने अपने को विवश किया और मैंने होमबलि चढ़ाई।”


तब शमूएल उठा और उसने गिलगाल को छोड़ दिया। शाऊल और उसकी बची सेना ने गिलगाल को छोड़ दिया। वे बिन्यामीन में गिबा को गये। शाऊल ने उन व्यक्तियों को गिना जो आब तक उसके साथ थे। वहाँ लगभग छः सौ पुरुष थे।


सवेरे तड़के ही दाऊद, ने भेड़ों की रखवाली दूसरे गड़रिये को सौंपी। दाऊद ने भोजन लिया और वहाँ के लिये चल पड़ा जहाँ के लिये यिशै ने कहा था। दाऊद अपनी गाड़ी को डेरे में ले गया। उस समय सैनिक लड़ाई में अपने मोर्चे संभालने जा रहे थे जब दाऊद वहाँ पहुँचा। सैनिक अपना युद्ध उद्घोष करने लगे।


एक व्यक्ति था जो माओन में रहता था। वह व्यक्ति बहुत सम्पन्न था। उसके पास तीन हजार भेड़ें और एक हजार बकरियाँ थीं। वह कर्मेल में अपने धंधे की देखभाल करता था। वह कर्मेल में अपनी भेड़ों की ऊन काटता था।


इसके बाद, शमूएल ने एक विशेष पत्थर स्थापित किया। उसने यह इसलिऐ किया कि लोग याद रखें कि परमेश्वर ने क्या किया। शमूएल ने पत्थर को मिस्पा और शेन के बीच रखा। शमूएल ने पत्थर का नाम “सहायता का पत्थर” रखा। शमूएल ने कहा, “यहोवा ने लगातार पूरे रास्ते इस स्थान तक हमारी सहायता की।”


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