28 सैनिकों में से एक ने योनातान से कहा, “तुम्हारे पिता ने एक विशेष प्रतिज्ञा करने के लिये सैनिकों को विवश किया है। तुम्हारे पिता ने कहा है कि जो कोई आज खायेगा, दण्डित होगा। यही कारण है कि पुरुषों ने कुछ भी खाया नहीं। यही कारण है कि पुरुष कमजोर हैं।”
28 एक सैनिक उससे बोला, ‘तुम्हारे पिता ने लोगों को कड़ी शपथ दी थी, और यह कहा था : “जो व्यक्ति आज भोजन करेगा, वह अभिशप्त होगा।” इसलिए सैनिक इतने थके-मांदे, अशक्त हैं।’
28 तब सैनिकों में से एक ने उन्हें बताया, “तुम्हारे पिता ने सेना को इन शब्दों में यह शपथ दी थी, ‘शापित होगा वह व्यक्ति जो आज भोजन करेगा!’ इसलिये सब सैनिक बहुत ही थके मांदे हैं.”
किन्तु शाऊल ने उस दिन एक बड़ी गलती की। इस्राएली भूखे और थके थे। यह इसलिए हुआ कि शाऊल ने लोगों को यह प्रतिज्ञा करने को विवश कियाः शाऊल ने कहा, “यदि कोई व्यक्ति सन्ध्या होने से पहले भोजन करता है अथवा मेरे द्वारा शत्रु को पराजित करने के पहले भोजन करता है तो वह व्यक्ति दण्डित किया जाएगा!” इसलिए किसी भी इस्राएली सैनिक ने भोजन नहीं किया।
किन्तु योनातान उस प्रतिज्ञा के बारे में नहीं जानता था। योनातान ने यह नहीं सुना था कि उसके पिता ने उस प्रतिज्ञा को करने के लिये लोगों को विवश किया है। योनातान के हाथ में एक छड़ी थी। उसने शहद के छत्ते में उसके सिरे को धंसाया। उसने कुछ शहद निकाला और उसे चाटा और उसने अपने को स्वस्थ अनुभव किया।
शाऊल ने योनातान से कहा, “मुझे बताओ कि तुमने क्या किया है?” योनातान ने शाऊल से कहा, “मैंने अपनी छड़ी के सिरे से केवल थोड़ा सा शहद चाटा था। क्या मुझे वह करने के कारण मरना चाहिये?”